भाजपा कार्यालय में सुबोध उनियाल के जनता दरबार में ज़हर खाकर आत्महत्या करने वाले प्रकाश पांडेय के बाद सूबे में आत्महत्या की धमकियों की बाढ़ आ गई है। ज़मीन की समस्या को लेकर तहसील धुमाकोट ज़िला पौड़ी निवासी अजय भदोला आत्महत्या करने विधानसभा पहुंचे। अजय भदोला की समस्या है की उत्तराखंड सरकार द्धारा घोषित ग्रामीण पर्यटन रोज़गार हेतु अपनी पैतृक भूमि पर मुद्रा लोन लिया था, जिसमें वह टेंट लगाकर अपना व्यवसाय करता है और साथ ही खेती करके अपना परिवार चलाता है लेकिन वन विभाग द्धारा पैतृक रास्ते को खोद कर रास्ता बंद कर दिया गया है जिससे उसके सामने रोज़ी रोटी का संकट खड़ा हो गया है और आत्महत्या के अलावा उसके पास अब कोई चारा नहीं है। अजय भदोला ने कहा की उसकी फरियाद को कोई भी नहीं सुन रहा है। इस वजह से वो आत्महत्या करने को विवश हो चुका है। फिलहाल विधानसभा कर्मचारियों ने अजय भदोला को बैठाकर मामला शांत करने का प्रयास किया है। अभी प्रकाश पांडेय की ज़हर खाकर मौत होने को कुछ ही दिन हुए हैं लेकिन सरकार के सामने लगातार इस तरह के मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है। टीएसआर सरकार अब जनता को कार्यक्रम आयोजनो में यह कहती हुई भी नज़र आ रही है की आप संयम रखें, आपके हितों के लिए सरकार काम कर रही है और अब ऐसे मामलों में सरकार किसी को भी अनुदान नहीं देगी। बहरहाल सवाल ये खड़ा होता है की आख़िर क्यों त्रिवेंद्र सरकार के राज में राज्य के कुछ लोग आत्महत्या की धमकी देते नज़र आ रहे हैं। क्या हक़ीक़त में जनता परेशान है या फिर सरकार द्धारा किया गया अच्छे दिनों का वादा सरकार की गले की फांस बनता नज़र आ रहा है क्योंकि अगर अच्छे दिन आ गये हैं तो फिर आत्महत्या की धमकियां देने वालों की तादात क्यों बढ़ रही है?