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तो उत्तराखंड के युवाओं के आंदोलन क़ो हाइजेक करने की हुई पूरी कोशिश… सवाल यह भी उठता है कि पुलिस और इंटेलिजेंस होते हुए कैसे हजारों की संख्या मे इकट्ठा हो गई भीड़.. और किसी को जानकारी तक नहीं,!! आखिर जिम्मेदारो पर कब होगी कार्यवाई??? .. या क्या धामी के खिलाफ बड़े षड्यंत्र का रचा जा रहा है चक्रव्यू!!!

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देहरादून कि राजधानी का दिल माने जाने वाले घंटा घर से लेकर राजपुर रोड तक साल 2013 से भर्ती घोटालों की सीबीआई जांच की मांग को लेकर राजपुर रोड को घेरे बैठे हजारों बेरोजगारों को कई बार समझाने के बाद भी .. ना मानने के बाद
पुलिस ने लाठी दिखाई बल का प्रयोग किया .. बस फिर क्या था.. इसी बात का इंतजार युवाओं के बीच में घुसे असामाजिक तत्वों को था .. जिन्होंने ताबड़तोड़ पुलिस पर आओ देखा ना ताव पर पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया.. जिसके बाद पुलिस ने भी तमाम युवाओ को गिरफ्तार किया.. ऒर राजपुर रोड क़ो प्रदर्शन करियो से खाली कराया गया बता दे कि ये आंदोलन युवाओं का था लेकिन कांग्रेस के नेता भी आंदोलन में सक्रिय दिखाई दिए यहाँ कांग्रेस के कई नेता आंदोलन के दौरान मौजूद रहें.. ऒर पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे तो कल रात से ही इनके साथ थे..
ये साफ हैं इतनी बड़ी भीड़ के आगे राजनीति चमकाने का मौका कौन छोड़ना चाहेगा..
लेकिन इसी के चलते बीजेपी वालों क़ो कहने का मौका मिल गया की युवाओं क़ो कांग्रेस वाले बहका रहें हैं…
वही सवाल पुलिस और इंटेलिजेन्स पर भी खड़ा होता हैं कि इतनी भीड़ देहरादून के दिल घंटाघर में एकत्रित हो गई और किसी क़ो खबर भी नहीं हुई क्या सरकार इसपर संज्ञान लेगी क्या इसके जिम्मेदारो पर कार्यवाई होगी??
सवाल यह भी खड़ा होता कि क्या मुख्यमंत्री धामी को बदनाम करने की उनके खिलाफ षडयंत्र रचने की उनकी छवि को खराब करने की साजिश रची जा रही है …
क्योंकि 22 साल के उत्तराखंड में धामी ही ऐसे पहले मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने भर्तियों में हुए घोटालों की जांच के आदेश दिए … और धरना प्रदर्शन कर रहे युवाओं का कहना था कि राज्य के अंदर साल 2013 से से ही भर्तियों में घोटाले जारी है ……
और मुख्यमंत्री धामी ही ऐसे पहले मुख्यमंत्री है जिन्होंने.. परीक्षा में हुए घोटालों की जांच करवाकर 50 से अधिक लोगों को सलाखों के अंदर पहुंचाया है….
और जल्द ही राज्य मे नकल विरोधी कानून लागू हों जायेगा…
इस सबके बाद भी यदि मुख्यमंत्री धामी को टारगेट कर… षड्यंत्र रचा जा रहा है…. तो यह भी ठीक नहीं है.. युवाओ का आंदोलन अपनी जगह ठीक है…
पर क्या यह युवा यह बता सकते हैं कि… साल 2013 से लेकर साल 2020 .21 तक किसने जांच बिठाई??? युवाओ का दर्द अपनी जगह ठीक है लेकिन यदि कोई असमाजिक तत्व पथर बाजी करेगा.. तो फिर कानून व्यवस्था बिगड़ते देख माहौल खराब होगा ही……. क्योंकि पत्थरबाजी करने वाले लोग कोई और ही थे  पढ़े-लिखे युवा नहीं  “”

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