हल्द्वानीः उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय अब क्षेत्रीय भाषा के तहत नेपाली भाषा को पाठ्यक्रम में शामिल करने जा रहा है. इसी सत्र से नेपाली भाषा में 6 महीने का प्रमाण पत्र और एक साल का डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू किया जाएगा. इसके अलावा गढ़वाली और कुमाऊंनी भाषा में भी प्रमाण पत्र व डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे.
दरअसल, उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के मानविकी विद्याशाखा की ओर से क्षेत्रीय भाषा के तहत नेपाली भाषा पाठ्यक्रम संचालित करने का निर्णय अध्ययन समिति (बीओएस) की वर्चुअल बैठक में लिया गया. यह बैठक विद्याशाखा के निदेशक प्रो. एचपी शुक्ल की अध्यक्षता में संपन्न हुई. बैठक में पाठ्यक्रम शुरू करने से संबंधित 8 मार्च 2021 को संपन्न हुई विशेषज्ञ समिति की ओर से तैयार पाठ्यवस्तु के प्रस्ताव पर सहमति प्रदान की गई.
नेपाली भाषा में 6 महीने का प्रमाण पत्र और एक साल का डिप्लोमा कोर्स
प्रस्ताव के अनुसार नेपाली भाषा में 6 माह का प्रमाण पत्र व एक वर्ष का डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू किया जाएगा. जो विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के मानकों के तहत 28 क्रेडिट का होगा. इनमें प्रवेश की योग्यता 12वीं पास है. कार्यक्रम समन्वयक डॉ. राकेश रयाल ने बताया कि क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा दिए जाने पर जोर देना होगा. प्रो. ओपीएस नेगी का कहना है कि नेपाल हमारा पड़ोसी देश है. हमारा नेपाल से रोटी-बेटी का रिश्ता पहले से ही रहा है, इसलिए नेपाली भाषा हमारे लिए एक क्षेत्रीय भाषा से कम नहीं.
गढ़वाली और कुमाऊंनी भाषा में भी शुरू होंगे प्रमाण पत्र व डिप्लोमा पाठ्यक्रम
डॉ. रयाल ने कहा कि कुलपति प्रो. ओपीएस नेगी के क्षेत्रीय भाषाओं पर आधारित पाठ्यक्रमों के प्रस्ताव के तहत कुमाऊंनी और गढ़वाली भाषा में भी प्रमाण पत्र व डिप्लोमा कार्यक्रम शुरू किया जाना है. जिनकी विशेषज्ञ समिति और अध्ययन समिति की बैठक जल्द ही कराई जाएंगी. इसी सत्र 2021-22 में ये तीनों पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे. वहीं, अध्ययन समिति की बैठक में गुवाहाटी विश्वविद्यालय से डॉ. खगेन शर्मा, बीएचयू से प्रोफेसर दिबाकर प्रधान, दार्जिलिंग पीजी कॉलेज से डॉ. नवीन पौडयाल और डॉ. राजकुमार मौजूद रहे.