Friday, March 29, 2024
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ये तीसरा मोर्चा कही सिर्फ सीएम त्रिवेन्द्र के लिए तो नही !

बोलता उत्तराखंड़

9 नवंबर 2018 को राज्य पूरे 18 साल का हो जाएगा ओर इन 18 सालो की बात करें तो राज्य मे बारी बारी से बीजेपी और कांग्रेस ने सत्ता पे राज किया । .            अधिक महत्वाकांक्षी नेता होने के कारण यहा बार बार मुख्यमंत्री को टिकने नही दिया जाता हर कोई उसको गिराने के लिए उचित से उचित प्रयास करता दिखाई देता है जो राज्य मे बदस्तूर जारी रहता है राज्य के मुख्यमंत्री जब से त्रिवेन्द्र रावत बने है वो जीरो टालरेश की नीति के साथ काम कर रहे है और यही वजह है कि वो ना किसी को खाने दे रहे है ना खुद खा रहे है फिर वो नेता किसी भी पार्टी का क्यो ना हो ओर वो अधिकारी भी जिन्होंने राज्य को अपनी ऐशगाह बना लिया है जो आज करोड रुपयों के स्वामी है  तो वो किलसे पड़े है जिनको ठेकेदार कहा जाता है अवैध खनन का , ओर शराब माफिया ओर बड़े बड़े बिल्डर्स जो आज खाली है जिनकी दुकानों पर त्रिवेन्द्र रावत ने ताला लगा दिया बस यही वजह है कि आज त्रिवेन्द्र को घेरने के लिए रोज नई नई चाल ओर दबाव की राजनीति का खेल रचा जा रहा है ।               अब बात करते है आजकल उन नेताओं की जो
उत्तराखंड राज्य में तीसरे मोर्चे को उतारने का मन बना चुके है
उत्तराखंड की राजनीति में इन दिनों एक नई सुगबुगाहट सुनाई दे रही है। बीजेपी और कांग्रेस की उंगली पकड़कर जिन्होंने राजनीति का क ख ग सीखा उन्ही मे से अधिक नेता लोगो ने या कहले अंसतुष्ट नेताओ ने कुछ दिन पहले ऋषिकेश में बागी और असंतुष्ट नेताओं की एक के बाद ताबड़तोड़ बैठक हुई जिसके बाद मीडिया को भनक लगी कि राज्य मे एक ओर नए दल या फिर मंच की शुरूआत होने वाली है। आपको बता दे कि ऋषिकेश में हुई दोनों दलों के बागी और असंतुष्ट नेताओं की बैठक में प्रदेश में तीसरा राजनीतिक मोर्चा तैयार कर जनता को नया विकल्प उपलब्ध कराने पर सहमति बनी है। कहा जा रहा है कि भाजपा और कांग्रेस के बागी व असंतुष्ट नेताओं का यह मंच जल्द ही नए तेवर के साथ जनता के बीच आएगा।ओर जनता के आगे जाकर 17 सालो से चली आ रही बीजेपी ओर कांग्रेस की राज्य के लिए घातक जन विरोधी नीतियों को लेकर जनता के पास जाने को तैयार है 

सबसे खास बात ये है कि अभी तक इन नेताओं ने मीडिया को अपने से दूर रखा है पर मीडिया को सूत्र भी इनके माध्य्म से मिल रहे है पहले बीजेपी नेता अब कांग्रेस नेता पूर्व विधायक सुरेश चंद्र जैन की अध्यक्षता में करीब ये बैठक चार घंटे तक चली। सूत्रों के मुताबिक दोनों दलों के असंतुष्ट और बागी नेताओं ने नया राजनीतिक दल बनाने पर भी चर्चा की।                     ख़बर है कि सभी असंतुष्टों ने भाजपा व कांग्रेस पर प्रदेश की जनता के साथ वादाखिलाफी का आरोप लगाया।
जानकारी अनुसार
सूत्रों के मुताबिक वरिष्ठ नेता सुरेश चंद्र जैन को ही इस मंच का अघोषित संरक्षक बनाया गया है। महेंद्र सिंह नेगी के संचालन में चली बैठक में पूर्व विधायक व काबीना मंत्री दिनेश धनै, पूर्व विधायक ओमगोपाल रावत, भाजपा व कांग्रेस से बगावत कर चुनाव लड़ चुके पूर्व दायित्वधारी संदीप गुप्ता, सूरतराम नौटियाल, आरेंद्र शर्मा, प्रमोद नैनवाल, सुभाष चंचल, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष गोंविद अग्रवाल, ज्योति सजवाण सहित भाजपा, कांग्रेस व संघ पृष्ठभूमि के कई नेता मौजूद थे              बोलता उत्तराखंड़ के सूत्र बोलते है कि नगर निगम व निकाय चुनाव से पहले ओर नजदीक लोकसभा के चुनाव से पहले अगर बीजेपी और कांग्रेस के कुछ नाराज़ या असन्तुष्ट या बागी मिलकर तीसरे मोर्चे के रूप मे सड़क पाए आ गये तो ये सब कांग्रेस को ना के बराबर पर त्रिवेन्द्र रावत की सरकार को परेशानी मे डालने का काम जरूर करेगे ओर निशाने पर होंगे मुख्य्मंत्री त्रिवेन्द्र रावत ।            दूसरी बात ये है कि या तो फिर ये सभी नेता बीजेपी और कांग्रेस के अपनी अपनी पार्टियों के अद्य्यक्ष पर दबाव बनाने के लिए ये सब कर रहे है।  पर  ये संकेत थोड़े कमजोर पड़ रहे है क्योकि जहा तक बोलता उत्तराखंड समझता है राज्य की राजनीति को ओर राज्य की उस जनता को जो वोट देने मतदान के कमरे तक नही पहुचती ,क्योकि वो अकसर उन्ही नेताओ को उन्ही राजनीतिक पार्टी को चुनाव के मैदान मे देखती है जो चुनाव के समय बहुत कुछ कहते है और जीतने के बाद सब भूल जाते है उस लिजाज़ से राज्य की जनता को राज्य मे तीसरा विकल्प की तलाश तो है पर एक बडे नाम की मजबूत नेता वाले साफ छबि वाले तीसरे मोर्चे की ज़िस पर जनता विस्वास कर सके जो राज्य को अभी तक दिखाई नही दिया । 
बोलता उत्तराखंड़ अब अंदर की बात ये कहता है कि इस तीसरे मोर्चे ने अगर जन्म ले लिया तो ये ठीक बीजेपी की नीति को अपना कर सबसे पहले धीरे धीरे बीजेपी और कांग्रेस के उन नेताओं को ओर कार्यकर्ताओ को तीसरे मोर्चे से जोड़ेगा जिनका जनता के बीच अच्छा जनाधार हो, जो बीजेपी और कांग्रेस मे अपनी उपेक्षा का शिकार हो रखे है । सूत्र बोलते है कि इनकी नज़र बीजेपी ओर कांग्रेस के उन हारे से लेकर जीते नेताओ पर भी है जो काबिल होने के बाद ओर अच्छा खासा जनाधार होने के बाद भी पार्टी की उपेक्षा का शिकार है जिनको घेरने का काम सूत्र बोलते है कि आरम्भ हो गया है और अगर ये तीसरा मोर्चा अपनी रणनीति पर कायम रहा तो साल 2020 के आरंभ मे ही राज्य की राजनीति पर बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है मगर इन सबके बीच आज सबसे महत्वपूर्ण बात सियासी गलियारों मे ये है कि जब जब तीसरी पार्टी राज्य मे खड़ा होने का मन बनाती है तो वो धन बल ना होने के कारण बनने से पहले टूट जाती है ओर सफल नही हो पाती ऐसे मे अपने राजनीतिक करियर पर दांव लगाने वाले ये नेता जो तीसरे मोर्चे या तीसरी पार्टी बनाने की बात कर रहे है तो सूत्र बोलते है कि जाहिर है इन सबके ऊपर उस नेता का हाथ जरूर होगा जो धन से बल से ओर दिल्ली हाईकामान फिर वो बीजेपी का हो या कांग्रेस का उनकी राजनीतिक सोच और उनके कार्यो से पूरी तरह परिचित हो और क्योकि जहा तक उत्तराखण्ड समझता है उन नेताओं को जो तीसरा मोर्चा बनाने के लिए कूद गए है वो बिना सोचे समझे अपनी राजनीतिक हत्या नही कराएंगे इसलिये हो सकता है किसी बडे नेता की शरण मे रहकर ही चुप चाप तीसरे मोर्चा को उतारा जा रहा है ओर समय आने पर ये नेता ही तीसरे मोर्चे का नेतृत्व करे।इसलिए राजनीतिक दलों के लिए हल्के मे तीसरे मोर्चे को लेना नादानी होगी खास कर त्रिवेन्द्र सरकार के लिए बीजेपी के लिए क्योकि मुख्यमंत्री खुद ये बात बोल चुके है कि जब से वो राज्य के मुख्यमत्री बने है तो कुछ लोग उनसे परेशान है । बहराल ये राजनीति है और इस राजनीति मे कब किस की चाल या दिमाग अपनी मंज़िल तक पहुँच जाए ये कोई नही जानता ओर एक ओर बात अगर इनके दिमाग और चाल का एंटीवायरस साहब के पास है तो फिर            डोंट वारी बी  हैप्पी ।   फिलहाल तो हमारे सूत्र बोल रहे है कि अब बीजेपी और कांग्रेस के बड़े नेता ये जानने मे जुट गए है कि ये तीसरा मोर्च किस का दिमाग है और बात सिर्फ बीजेपी या त्रिवेन्द्र रावत को परेशान करने के लिए दबाव डालने के लिए है या फिर हकीकत मे राज्य के अंदर एक मजबूत मोर्चे की आहट सुनाई देने लगी है जिसके रहनुमा साल 2020 के बाद पर्दे के पीछे से निकलर सामने आयेगे

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