उत्तराखण्ड का सहकारिता बैंक भर्ती घोटाला: तो क्या मंत्री धन सिंह रावत को एस आई टी जांच के लिए तैयार रहना होगा..


सहकारिता बैंक भर्ती घोटाला के मामले में महिला कांग्रेस कार्यकरर्ताएं मंत्री के आवास के बाहर प्रदर्शन करने पहुंची। भारी संख्या में यहां एकजुट हुई महिलाओं ने गेट खोलकर अंदर जाने की कोशिश की, जिस पर तैनात पुलिस बल ने उन्हें रोका। कार्यकर्ताओं ने सरकार पर आरोप लगाते हुए निष्पक्ष जांच की मांग उठाई ओर धन सिंह रावत के मंत्री पद से इस्तीफा की माग की
कांग्रेस की महिला कार्यकर्ताओं ने भर्ती घोटाले को लेकर कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत के यमुना कॉलोनी स्थित निवास का घेराव किया गया। मंत्री के खिलाफ जमकर नारेबाजी व प्रदर्शन करते हुए वह आगे गेट तोड़कर बढ़ने की कोशिश करती रही। मामला बढ़ता देख मौके पर पहुंचे अधिकारियों ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से ज्ञापन लिया। 

 बता दें कि मुख्यमंत्री धामी के निर्देश पर सहकारिता विभाग की ओर से जिला सहकारी बैंकों में चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की भर्ती प्रक्रिया में अनियमितता उजागर होने और जांच शुरू हुई और पहली गाज चार जिलों के जिला सहायक निबंधक (एआर) और चार महाप्रबंधकों (जीएम) पर गिरी है।
साथ ही चारों एआर और तीन महाप्रबंधकों का तबादला कर दिया गया है

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जबकि डीसीबी देहरादून की महाप्रबंधक का सेवा विस्तार समाप्त कर दिया गया है।
इससे पहले कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ सहकारिता में हुई भर्तियों को लेकर राज्य सचिवालय के मुख्य द्वार पर नारेबाजी व प्रदर्शन किया और धरना दिया। कड़ी धूप में उनके साथ पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा भी धरने पर बैठे। गोदियाल ने नियुक्तियों में घोटाले का आरोप लगाया और सहकारिता मंत्री के इस्तीफे की मांग की। कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए निवर्तमान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा कि रोजगार के नाम पर युवाओं से उनके परिवार की खून-पसीने की कमाई डकारी जा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य को-आपरेटिव बैंक में चतुर्थ श्रेणी के पदों की भर्ती में हुए भारी भ्रष्टाचार ने सरकार की कलई खोलकर रख दी है
उन्होंने कहा कि इससे पूर्व भी को-आपरेटिव बैंक में रिक्त पदों पर हुई भर्ती में भारी भ्रष्टाचार को अंजाम देने की नीयत से चयन परीक्षा उत्तराखंड के किसी स्थान पर कराने की बजाय नोयडा में आयोजित कर स्थानीय बेरोजगार नौजवानों के हक को मारा गया। उन्होंने कहा कि पिछली भाजपा सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री ने स्वयं स्वीकार किया था कि सरकार में उगाही की खुली लूट मची हुई है, जिस पर लगाम लगाने की जरूरत है।
वहीं दूसरी ओर सहकारिता विभाग की ओर से जिला सहकारी बैंकों में चतुर्थ श्रेणी के पदों पर भर्तियों में घोटाले के आरोप के बीच डीबीसी के निदेशकों ने सामने आकर कांग्रेस के विरोध को राजनीति से प्रेरित बताया था। आरोप लगाया कि कांग्रेस कार्यकाल में सहकारी बैंकों में बड़े पैमाने पर विभिन्न पदों पर बैकडोर से नियुक्तियां की गईं, उसकी भी जांच होनी चाहिए

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