
देहरादूनः कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में हैप्पी हाइपोक्सिया से भी लोगों की मौत हो रही है। इसमें ज्यादातर संख्या युवाओं की है। कोरोना के लक्षण न दिखने और सही समय पर इलाज न मिलने के कारण ऐसे युवा आमतौर पर मौत का शिकार हो रहे हैं।
राजकीय दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल और जिले के अन्य कोविड अस्पतालों में भी इस तरह के लगभग 15 से 20 प्रतिशत मरीज सामने आ रहे हैं, जिनमें मरीज की हैप्पी हाइपोक्सिया से मौत हो रही है।
कोविड मरीजों के लिए पूरी तरह से समर्पित राजकीय दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. नारायणजीत सिंह ने बताया कि इसमें शरीर में ऑक्सीजन घटता रहता है और कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ता है। लक्षण महसूस न होने पर मरीज को संक्रमण होने का पता नहीं चल पाता।
वह इसी भ्रम में रहता है कि उसे कोरोना नहीं है। अचानक ऑक्सीजन स्तर घटता रहता है और यहां तक कि 40 फीसदी तक पहुंच जाता है। तब मरीज को सांस लेने और अन्य कई तरह की दिक्कतें होने लगती हैं। ऐसे में उपचार मिलने के बाद भी मरीज की हालत बिगड़ती जाती है और अधिकतर मामलों में मरीज की मौत की आशंका ज्यादा रहती है।
ऑक्सीजन स्तर और पल्स रेट जांचते रहें
राजकीय जिला अस्पताल कोरोनेशन के कोविड के नोडल अधिकारी एवं वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. एनएस बिष्ट ने बताया कि जैसा कि इस बीमारी के नाम से ही स्पष्ट है कि इसमें मरीज को संक्रमण तो हो रहा होता है, लेकिन लक्षण न दिखने और सांस लेने आदि कोई दिक्कत न होने के कारण इंसान इस खुशफहमी में रहता है कि उसे कोरोना संक्रमण नहीं है।
इसके चलते वह सही समय पर दवाई शुरू नहीं कर पाते और न ही अस्पताल पहुंचते हैं। ऐसे में फेफड़ों में सूजन आने पर ऑक्सीजन रक्त में नहीं मिल पाती। मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी से कोशिकाएं क्षतिग्रस्त होने लगती हैं। अन्य अंग भी खराब होने लगते हैं।
मसूरी रोड स्थित मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के वरिष्ठ सांस एवं छाती रोग विशेषज्ञ डॉ. वैभव चाचरा ने बताया कि इस तरह के मामलों में मरीज को जल्द ही वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है। थोड़ा भी संदेह होने पर हर छह घंटे में सावधानीपूर्वक अपने शरीर के ऑक्सीजन और पल्स रेट की जांच करते रहें।
ऑक्सीजन स्तर 90 प्रतिशत से नीचे जाने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें या अस्पताल पहुंचे। राजकीय दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डॉ. नारायण जीत सिंह ने बताया कि इसमें जरूरी है कि व्यक्ति को नियमित अंतराल पर अपना ऑक्सीजन स्तर जांचते रहना चाहिए।