अमर उजाला का खुलासा : उत्तराखंड में विकास दर शून्य से नीचे आखिर कैसे पूरी रिपोर्ट
अमर उजला के अनुसार
कोविड के दौर में उत्तराखंड की विकास दर खासी प्रभावित हुई है। नियोजन विभाग का अनुमान है कि यह कम से कम शून्य से नीचे -20 तक पहुंच गई है।
देश की तरह ही कृषि क्षेत्र में गिरावट अधिक नहीं है लेकिन यह क्षेत्र पहले से ही कमजोर प्रदर्शन कर रहा है।
बता दे कि
अधिकारियों के मुताबिक पिछले कुछ समय का ट्रेंड बता रहा है कि देश की विकास दर से प्रदेश की विकास दर लगभग दो प्रतिशत ही अधिक रहती आई है। हालांकि 2019-20 में प्रदेश की विकास दर अधिक प्रभावित हुई थी।
अब देश की विकास दर शून्य से -23 प्रतिशत कम हो गई है। ऐसे में प्रदेश की विकास दर भी शून्य से -20 प्रतिशत कम रहने का अनुमान है। सांख्यिकी विभाग का कहना है कि राज्य के लिए वार्षिक विकास दर ही जारी की जाती है। ऐसे में इस समय केवल अनुमान ही लगाया जा सकता है।
उत्तराखंड में कोविड-19 से पहले के दौर में उद्योग और सेवा क्षेत्र ने ही प्रदेश की विकास दर को संभाला था। कोविड काल में इन दोनों पर ही सबसे अधिक फर्क पड़ा। इसमें गिरावट का अभी आकलन नहीं किया गया है। दूसरी ओर, प्रारंभिक क्षेत्र में विकास दर को खनन ने संभाला था। इसमें भी लगातार गिरावट दर्ज की गई।
उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था पर कोविड संक्रमण से पहले ही प्रभाव पड़ना शुरू हो गया था। मार्च में लॉकडाउन शुरू हुआ था और जनवरी फरवरी में कर्मचारियों की नाराजगी के चलते हड़ताल आदि के कारण प्रभावित हुआ।
प्रदेश की विकास दर
2016-17 9.83
2017-18 7.84
2018-19 6.87
2019-20 विकास दर का अनुमान जारी नहीं किया गया।
2018-19 में जीडीपी 1.97 लाख करोड़ रुपये
कोरोना काल से पहले और 2012 के आधार वर्ष के हिसाब से व्यापार, होटल, जलपान गृह आदि में 11.30 की वृद्धि दर थी। इसमें मूल्य मेें वृद्धि करीब 24 हजार करोड़ रुपये आंकी गई थी। कोरोना काल में यह सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ। लिहाजा प्रदेश की विकास दर पर भी इसका प्रभाव पड़ा।
अनलॉक-4 में अब प्रदेश सरकार को करों में करीब 700 करोड़ रुपये की वापसी भी हो रही है। इससे अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने के संकेत भी मिल रहे हैं। आगे आने वाले समय में उद्योग धंधों, निर्माण आदि में तेजी पर निर्भर करेगा कि विकास दर कहां तक पहुंच पाएगी