विकास में बाधक हड़तालों के प्रति जवाबदेही के लिए आवाज दो हम एक हैं के नारे को धरातल पर साकार करने के मूल उद्देश्य को लेकर गठित उत्तराखंड कार्मिक एकता मंच की जिस ताकत का आंकलन करने में अब तक सब नाकाम रहे वह शीघ्र ही धरातल पर दिखेगी ।
उक्त उद्देश्य को लेकर गत वर्ष गंगोत्री के जल कलश के साथ अल्मोड़ा स्थित न्याय के प्रतीक गोलज्यू के मंदिर से रामपुर तिराहा स्थित शहीद स्थल तक निकाली गई एकता यात्रा के अनुभवों को साझा करते हुए यह बात एकता मंच के प्रदेश अध्यक्ष रमेश चन्द्र पांडे ने कही ।
उन्होने कहा कि यात्रा दौरान हुए चौतरफा स्वागत के बीच कई जगह विभिन्न स्तरों से कहा गया कि यह पहल तो बहुत अच्छी है लेकिन ये बताओ कि आपके साथ कौन-कौन हैं ? असहज करने वाले इस सवाल का जवाब सवाल से देते हुए हुए जब उनसे कहा गया कि ये बताओ कि कौन नहीं हैं साथ ? जवाबदेही होनी चाहिए या नहीं ? एकता होनी चाहिए या नहीं ?जैसे सवालों पर जनमत संग्रह की शुरुआत में आपके खुद के उत्तर से न केवल आपको अपने सवाल का उत्तर मिल जाएगा बल्कि एकता मंच की ताकत का भी एहसास हो जाएगा । इस पर असहज होते हुए सवाल पूछने वालों की ओर से जब साथ होने का वादा किया तो नई ऊर्जा मिली ।
पाण्डे ने कहा कि व्यक्ति के साथ होने से अधिक महत्व विचार के साथ होना होता है । एकता मंच का उदय ही शहीदों के सपने को साकार करने के लिए एक विचार मंच के रूप में हुआ है । 18 मार्च 20 को गोलज्यू के मंदिर में जागर लगी थी जिसमे गोलज्यू के डंगरिया ने विकास के लिए जवाबदेही हेतु लगी एक फरियाद के पूरा नहीं होने पर राज्य में उथल पुथल होने का वचन दिया था, जिसकी गंभीरता को दृष्टिगत रखते हुए ही जनजागरण के तहत एकता यात्रा निकाली गई थी । यात्रा दौरान राज्य के सभी जनपदों के विकास भवनों के मुख्य द्वार सहित सचिवालय के मुख्य द्वार पर हुई खुली विचार गोष्ठियों में कहा गया कि मौजूदा संवैधानिक व्यवस्था के अंतर्गत राजकीय सेवा में न कोई जनरल/ओ0बी0सी0 है और न कोई एस0सी0/ एस0 टी0 है ।
मूल रूप से सरकारी नौकर वर्ग से जुड़े सभी कार्मिकों से इसको लेकर राजनीति का शिकार होने से बचने की सलाह देते हुए उनके समक्ष सभी संघों के शीर्ष स्तर पर एक सशक्त व सर्वमान्य महासंघ का गठन किए जाने का प्रस्ताव रखा गया जिसका सभी के द्वारा पुरजोर समर्थन किया गया । 30 अगस्त 20 को तत्कालीन जिलाधिकारी अल्मोड़ा श्री नितिन भदौरिया द्वारा एकता यात्रा का शुभारंभ किया और 2 अक्टूबर 20 को तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत द्वारा रामपुर तिराहा स्थित शहीद स्थल पर यात्रा का समापन किया गया । 15 अक्टूबर 20 को अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में हुई बैठक में हड़ताल के कारणों की समीक्षा तो हुई लेकिन जवाबदेही के सवाल पर चुप्पी साध ली गई ।
उन्होने बताया कि सभी संघों के शीर्ष स्तर पर महासंघ के गठन हेतु अब तक परस्पर संवाद के लिए किए गए प्रयासों में कई संघों के कतिपय प्रतिनिधियों द्वारा संकीर्ण मानसिकता का परिचय देते हुए गाँव घरों की तर्ज पर यह कहा जाता रहा है कि फलां आएगा तो वे नहीं आएंगे। कहा कि किसी भी मुहिम को मुकाम तक पहुंचाने के लिए त्याग, समर्पण व जुनून की जरूरत होती है जो दीपक जोशी में कूट कूट कर भरी है और इसीलिए मंच से जुडने के बाद उन्हें बतौर कार्यकारी अध्यक्ष आम कार्मिकों की भावनाओं के अनुरूप महासंघ के स्वरूप व गठन करने की दिशा में निर्णायक प्रयास करने का महत्वपूर्ण दायित्व दिया गया है । उन्होने उम्मीद जताई है कि सही को सही और गलत को गलत कहने का साहस रखने वाले तथा कार्मिक वर्ग के इस समय के सबसे हितैषी दीपक जोशी जी कार्मिक संघों के प्रतिनिधि एकता मंच के कोर्डिनेटर के रूप में एकता की इस मुहिम को मुकाम तक पहुंचाने के लिए सभी को साथ लेते हुये आगामी 2 अक्टूबर को शहीदों की बरसी के अवसर पर शहीद स्थल मे शहीदों के सपने के रूप में आवाज़ दो हम एक हैं के नारे को बुलंद कर उन्हें श्रद्धांजली देंगे।
रमेश चंद्र पाण्डे प्रदेश अध्यक्ष
उत्तराखंड कार्मिक एकता मंच