उत्तराखंड फेसबुक पर जारी दो दिग्गजों के बीच महासंग्राम भाजपा के मीडिया प्रमुख बलूनी के कूदने के बाद बोले पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत मैंने निर्णय लिया है कि मैं उस पोस्ट को हटा दूँ
भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख व सांसद अनिल बलूनी ओर उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के बीच अजकल फेसबुक जंग जारी
बात यहा से आरभ हुई जब पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपने फेसबुक पर लिखा था कि
भाजपाई दोस्तो नीचे के कुछ चित्र देखिये।
दरगाह में गोल टोपी पहनने से हरीश रावत तो मौलाना हरीश रावत हो गये और घर-घर में आपने वो टोपी वाली मेरी तस्वीर पहुंचा दी।
अब जरा मुझे बताइए क्या Rajnath Singh जी भी मौलाना राजनाथ सिंह हो गये हैं? अटल बिहारी वाजपेई जी की एक पुरानी फोटो है, क्या इनको भी आप मौलाना अटल बिहारी वाजपेई कहना पसंद करेंगे?
मोदी जी की भी एक फोटो है, आपके हिंदुत्व के आईकॉन की,
क्या इनको भी आप उसी संबोधन से नवाजेंगे जो संबोधन आपने केवल-केवल मेरे लिए रिजर्व करके रखा है।
हिम्मत है तो मेरे साथ इनको भी उसी नाम से पुकारिये।
हरीश रावत ने पीएम मोदी सहित भाजपा के सभी बड़े नेताओं की फ़ोटो अपने फेसबुक पर गोल टोपी पहने पोस्ट कर दी
जिसके बाद भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख और उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी को दिल्ली से हरीश रावत की पोस्ट पर जवाब देना पड़ा
सांसद अनिल बलूनी ने पलटवार करते हुए हरीश रावत के लिए कहा कि
आपने फिर बड़ी सफाई के साथ कांग्रेस की डूबती नैया बचाने के लिए *हिंदू-मुस्लिम कार्ड खेला है। इस कार्ड को आप अपनी ‘राजनीतिक संजीवनी’ मानते आए हैं*
। *स्वाभाविक है सत्ता पाने के लिए कांग्रेस हर बार इस धार्मिक कार्ड का उपयोग करती आई है। इसके अनगिनत उदाहरण हैं*।
जनता जनार्दन सब कुछ जानती है। जनता जानती है कि भाजपा ‘सबका साथ , सबका विकास’ में विश्वास करती है , जबकि कांग्रेस विशुद्ध तुष्टिकरण की राजनीती करती रही है और इसके ज्वलंत उदाहरण आप हैं
जनता को याद है जब आपने मुख्यमंत्री रहते हुए जुमे की नमाज के लिए छुट्टी का आदेश निकाला था। जनता को याद है जब आप बार-बार विशेष संदेश देने के लिए निरन्तर मुस्लिम धार्मिक स्थानो की यात्रा करते रहते थे, मदरसों का गुणगान करते थे। हम सभी को देश का नागरिक मानते हैं, सबके लिए बराबर मनोभाव और सम्मान रखते हैं। आज देश मे एक ऐसी सरकार हैं जो बिना भेद-भाव और तुष्टीकरण के के विकास के लिए संकल्पबद्ध है।
*आपकी तुष्टिकरण की चालों और नीतियों की जनता को याद दिलाने की जरूरत नहीं है किंतु आप जैसे वरिष्ठ नेता से अपेक्षा रहती है कि उत्तराखंड के विकास के मुद्दे पर आप सार्थक बहस करते, उसका चौतरफा स्वागत होता*
: जिसके बाद फिर हरीश रावत ने लिखा कि
बंधुवर अनिल जी, आपने अपनी दूसरी पोस्ट मे सूर्योदय का जिक्र किया है और अपनी पहली पोस्ट में आपने कहा मुझसे आपको अपेक्षा थी कि मैं इस धर्मयुद्ध में विकास को फिर मुद्दा बनाकर बात करूं। अनिल बलूनी जी को मैं एक बहुत उदार और अग्रिम दृष्टि रखने वाला नेता मानता हूंँ। जब इस बार आप मुख्यमंत्री की दौड़ में चूके तो मेरे दिल से आह निकली, खैर ये बीती बातें हैं। थोड़े मेरे मन का दर्द मैंने आपको संबोधित अपने इस श्रृंखला के पहले ट्वीट में कहा कि दो दुष्प्रचार। एक दुष्प्रचार रोजा इफ्तार में पहनी हुई मेरी टोपी को लेकर और दूसरा दुष्प्रचार शुक्रवार जिसको जुम्मा कहते हैं, जुम्मे की नवाज़ के लिए छुट्टी की। मैंने आपको कुछ चित्र भेजे हैं जिसमें आपके सोशल मीडिया की टीम यदि मैं हरेले की शुभकामना भी देता हूंँ तो उसमें भी रोजा इफ्तार में पहनी हुई मेरी उस टोपी को लेकर अपनी पोस्ट डालते हैं और मेरी आलोचना करते हैं, आलोचना का स्वागत है। मगर एक आदर योग पहनावे को आखिर रोजा इफ्तार में आपकी पार्टी के आदरणीय नेतागणों ने भी उस टोपी को पहना है, तो वो भारतीय संस्कृति अनुरूप है, उनकी उदारता है उन्होंने आदर पूर्वक प्रस्तुत की गई टोपी को अपने सर पर धारण कर यह संदेश दिया है कि हम सब का विकास, सबका साथ की भावना लेकर के चलते हैं। मैंने आपके नेतागणों की फोटोज उनके प्रति आदर जताने के लिए और आपकी सोशल मीडिया टीम के दुष्प्रचारकों आईना दिखाने के लिए डाली। *आपको कष्ट पहुंचा रहा है, मैंने निर्णय लिया है कि मैं उस पोस्ट को हटा दूँ* और जो आपका आवाहन् है कि आओ चुनाव के धर्म युद्ध में विकास-विकास, रोजगार-रोजगार, तेरी महंगाई क्यों आदि सवालों पर खेल खेलें तो खेल होगा, लोकतांत्रिक तरीके से होगा और इन सवालों पर होगा कि कौन सक्षम है जो इन सवालों को लेकर के जन आकांक्षा को पूरा कर सकता है। *मुझे पूरा भरोसा है कि आप अपनी सोशल मीडिया टीम को आदेशित करेंगे कि वो अपना दुष्प्रचार बंद करें और अपनी डर्टी ट्रिक्स को इस्तेमाल न करें*, उत्तराखंड के स्वस्थ वातावरण को प्रदूषित करने का प्रयास न करें और हर किसी के बाने का, हर किसी के हर वस्त्र का, हर किसी की भावना कवर सम्मान करके आगे चलें। जिस सुबह की आपने प्रतीक्षा बात करने की बात कही है, मैं उस सुबह का शब्दों के साथ अभिनंदन कर रहा हूंँ।
“म्योर प्यारों भुला अनिल बलूनी जू आओ विकास-विकास, रोजगार-रोजगार खिलुला।”
“जय हिंद”।
बहराल अनिल बलूनी बनाम हरीश रावत के बीच जंग का ऐलान चुनाव से ठीक 6 महीने पहले फेसबुक के जरिए हो गया है और हमें मालूम है कि
अब अगले 6 महीने तक अनिल बलूनी हरीश रावत पर शब्दो से प्रहार करते नज़र आएंगे तो
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी कहा चुप बैठने वाले है आखिर सवाल उत्तराखंड में उनके आगे कांग्रेस की सरकार वापस लाने का जो है