उत्तराखंडः शहीद हिमांशु नेगी 21वें जन्मदिन के दूसरे दिन ही पंचत्तव में हुए विलीन

अंतिम विदाई में उमड़ा जन सैलाब, जवान बेटे की शहादत से सदमें में परिवार.. घर के अकेले थे कमाऊ पूत

सिक्कम मे शहीद हुये हिमांशु नेगी का पार्थिव शरीर उनके आवास पांडेय कलोनी हेमपुर पहुंचा। शव के पहुंचते ही महौल गमहीन हो गया। शहीद हिमांशु नेगी के आवास बड़ी संख्या लोगों को हुजूम उमड़ पड़ा। उसके बाद पर ही उन्हें सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई।

इस दौरान तमाम, राजनीतिक संगठनों के लोगों ने उनके आवास पर पहुंचकर उन्हें नम आंखों से विदाई दी। पूरा माहौल हिमाशु नेगी अमर रहे के नारों से गूंज उठा। शहीद हिमांशु रामनगर के यूथ फॉउंडेशन कैंप से आर्मी का प्रशिक्षण ले चुके हैं। उनके निधन पर यूथ फाउंडेशन परिवार ने गहरा दुख प्रकट किया है।

कर्नल अजय कोठियाल ने उनके परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की है। हिमांशु नेगी के पिता हीरा सिंह दैनिक मजदूरी करते हैं। बता दें कि शहीद हिमांशु नेगी  घर में अकेले कमाने वाले थे। हिमांशु का एक भाई दिव्यांग है और दूसरे का एक हाथ खराब है। छोटी बहन बीएससी में पढ़ रही है। इस दौरान हिमांशु के शहीद होने की सूचना से परिवार गम में डूब गया है। हिमांशु नेगी के बाद उनके 2 भाई और 1 बहन है। शहीद हिमांशु अपने भाई बहनों मे सबसे बड़े थे। उनके जाने से परिवार के सदस्यों का रो रोकर बुरा हाल है।

हिमांशु के पिता हीरा सिंह नेगी ने बताया कि 27 मार्च 2019 को हिमांशु कुमाऊँ रेजीमेंट में बतौर सिपाही भर्ती हुआ था। घर में 90 वर्षीय दादी सरूली देवी, मां कमला देवी, भाई बिरेंद्र व चंदन है। उसकी छोटी बहन दीपा राम नगर के पीएनजी कॉलेज में बीएससी फर्स्ट ईयर की छात्रा है। हिमांशु के दादा जय सिंह भी फौज में सिपाही थे। वह भी 1980 में गंगटोक में ही शहीद हुए थे। हिमांशु का सपना था कि वह बहन और भाइयों को किसी लायक बनाए। बहन आर्मी में जाना चाहती थी। वह चाहता था कि चारों भाई-बहन एक साथ शादी करेंगे। पूरा परिवार उसकी शादी की राह देख रहा था। इसी दौरान आई सिक्किम में हादसे की मनहूस खबर ने सारी खुशियों को उजाड़ कर रख दिया।

विडंबना ही कहेंगे कि हिमांशु जैसा होनहार बेटा जन्मदिन से ठीक 2 दिन पहले इस दुनिया को अलविदा कह गया। स्वजनों ने बताया कि हिमांशु का जन्म 2 जुलाई 2000 को हुआ था। 2 जुलाई को वह 21 साल का होने वाला था। परिवार वाले जन्मदिन की खुशियां मनाने की तैयारी कर रहे थे कि इसी दौरान उसकी मौत की सूचना ने सब खत्म कर दिया। हिमांशु इसी 2 जून को 45 दिन की छुट्टी खत्म होने के बाद वापस सिक्किम लौटा था। छुट्टी पर रहने के दौरान उसने परिवार के साथ भविष्य को लेकर अपनी योजनाएं साझा की थी। और अब जन्मदिन के एक दिन बाद ही उनका पार्थिव शरीर गांव आएगा। उनका आज अंतिम संस्कार किया जाएगा।

 

 

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