उत्तराखण्ड : घर के आंगन में खेल रही परिवार की लाडली चार साल की मानसी को साँप ने डसा मौत, तो उधर मनवर सिंह की 9 बकरियों को बाघ ने मार दिया , दुःख दर्द से भरा है मेरा पहाड़

 

उत्तराखण्ड : दुःखद हमारे पहाड़ मैं घर के आंगन में खेल रही चार साल की लाडली बच्ची को सांप ने डसा, हो गई मौत

हमारे पहाड़ी राज्य उत्तराखंड के चमोली जिले में जोशीमठ के एक सलूड नाम के गांव में सांप के काटने से एक चार साल की प्यारी बच्ची की मौत हो गई दुःखद
ख़बर है कि आज मानवी जिसकी उम्र महज 4 साल पुत्री गौरव सिंह कुंवर
वही अपने घर के आंगन में रोज की तरह ही खेल रही थी।
लेकिन तभी अचानक उनके घर के दरवाजे पर एक सांप आया और उसने प्यारी मानवी को डस लिया।
तब मानवी बेहोश होकर नीचे गिर गई। जिसके बाद आनन फानन में बच्ची को इस हाल मैं देखकर ग्रामीण बच्ची को सामुदायिक सवास्थ्य केंद्र ले गए, लेकिन उसके बाद डॉक्टर ने उसे हायर सेंटर रेफर कर दिया।
इसी बीच बच्ची की मौत हो गई दुःखद
बता दे कि इसके बाद ग्रामीणों काफी गुस्से मैं थे और उन्होंने जोशीमठ स्थित सीएचसी अस्पताल प्रबंधन पर इलाज न करने और दुर्व्यवहार करने जैसा आरोप भी लगाया। अगर उनकी बात माने तो बच्ची का सही समय पर सीएचसी में प्राथमिक उपचार नहीं किया गया जिससे उनका गुस्सा आ गया
ख़बर ये है कि इसी क्षेत्र में पिछले साल भी एक बच्ची की सांप के काटने से मौत हो चुकी है।
वही वन क्षेत्राधिकारी धीरेश चन्द्र बिष्ट ने मीडिया को बताया कि सांप के डसने और मौत होने पर 3 लाख का मुहावजा दिया जाता है। सभी कागजी कार्रवाई पूरी कर परिजनों को मुआवजे का पैसा दे दिया जाएगा, बहराल दुःखद है एक माँ ने एक पिता ने अपनी लाड़ली बिटिया रानी को खो दिया है। जिसे कुछ भी देकर उसकी ज़िंदगी को वापस नही लाया जा सकता है।
आज के समाज में बेटी के जन्म होने पर ही उनके माता पिता उसकी शादी तक के सपने देख लेते है और ख़ुशी ख़ुसी उसका लालन पालन करते है।पर अफसोस मानसी को महज 4 साल की उम्र मैं ही भगवान ने अपने पास बुला लिया
भगवान मानसी के माता पिता को ये दुःख सहने की शक्ति दे।

तो वही जनपद पौड़ी के रिखणीखाल ब्लाक मे बीते दिनों
स्थित ग्राम सीनधी नजदीक कंडिया मलला के मनवरसिह की गौशाला से बाघ ने नौ बकरियो को मार दिया।जिससे स्थानीय लोग डरे हुए है। वहां के लोगो का कहना है कि अब तो लोगो का घर से बाहर निकलना खतरे से खाली नही है। जल्द शासन प्रशासन उचित कदम उठाये। सच मैं दुःख दर्द से भरा जीवन है मेरे तेरे हम सबके उन अपनो का जो पहाड़ मैं रहकर पहाड़ बचा रहे है।वही है असली पहाड़ पुत्र और पुत्री तो ,माँ हम तो बस अब सिर्फ नाम के पहाड़ी है क्यो है ना ???

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