पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने साधा भाजपा पर निशाना
फेसबुक पर लिखकर भाजपा को घेर डाला
मलिन बस्तियों के सुधार की बात तो हम बहुत करते हैं। मगर उसके लिये इन्दिरा गाॅधी जी के समय में कुछ व्यवहारिक योजनाएं बनी थी और हाल-फिलहाल के वर्षों में मलिन बस्तियां तो बसती गई, मगर उनकी दशा सुधारने के लिये कोई ठोस कार्यक्रम आगे नहीं आ पाया। उत्तराखण्ड में भी कई शहरों में मलिन बस्तियां हैं। यहां तक कि छोटे-2 शहरों में भी मलिन बस्तियों की संख्या बढ़ती जा रही है। मैंने, मलिन बस्तियों में रहने वालों को कैसे जहां वो बसे हुये हैं, उस स्थान का मालिकाना हक मिल सकता है और उनके लिये कैसे आवासीय योजना बनाई जा सकती है और किस प्रकार से हम नदियों के खालों और इसके आस-पास बसे हुये लोगों को व्यवहारिक तरीके से सुरक्षित स्थान पर बसा सकते हैं, इन बातों को अध्ययन करने के लिये उस समय के विधायक राजकुमार जी जो हमारे संसदीय सचिव भी थे, एक टास्क फोर्स/ समिति गठित की और मुझे खुशी है कि उन्होंने बड़ा अध्ययन करके उनकी समिति ने एक रिर्पोट हमको दी, जिसको सरकार ने स्वीकार किया और उसके आधार पर हमने मलिन बस्तियों में रहने वालों के नाम पर पट्टे करने की कार्ययोजना बनाई, बल्कि देहरादून के अन्दर इस तरीके के लगभग 500 पट्टे तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा आवंटित भी कर दिये गये और उसी के आस-पास प्रधानमंत्री मलिन बस्ती आवास योजना, गरीबों के लिये एक आवास योजना सामने आयी तो हमने उसी तर्ज पर उत्तराखण्ड में भी मुख्यमंत्री आवास योजना बनाकर के 35 हजार घर बनाने का लक्ष्य रखा, उसके लिये संबन्धित एजेंसियों से बातचीत करके पूरी योजना बनाई और उस योजना के अनुरूप मैंने रूद्रपुर में जहां हम इस तरीके पहली आवासीय योजना बनाना चाहते थे, वहां शिलान्यास भी किया।
हमें उम्मीद थी कि मलिन बस्तियों के राजनैतिक महत्व को देखते हुये भाजपा सरकार हमारे बनाये हुये कानून को और आगे लेकर के चलेगी। हम उनके हाथ में एक लोक कल्याणकारी कानून देकर के गये थे। लेकिन भाजपा के दोस्तों को किसी ने समझाया कि इसका श्रेय तो कांग्रेस को मिलेगा तो उन्होंने मलिन बस्तियों के लिये हमारे कानून के तर्ज पर एक अध्यादेश निकाला। हमने कहा, जब कानून है तो अध्यादेश की आवश्यकता कहां है! जब ये कानूनी पक्ष उनके समझ में आया तो फिर कानून बनाने की बात कही। मगर आज साढ़े चार साल हो गये हैं, न कोई इस दिशा में कदम आगे बढ़ा, न मलिन बस्तियों के लोगों को उनके रहने वाले स्थानों को अधिकार पत्र मिल पाये।
भाजपा ने एक बहुत अच्छे निर्णय को आगे न बढ़ाकर के जिसके क्रियान्वयन की हम शुरूआत करके गये थे, उसको ठण्डे बस्ते में डालकर के हमारे ऐसे हजारों परिवार जो मलिन बस्तियों में रह रहे हैं, उनके साथ बड़ा अन्याय किया। हमने इस योजना के लिये वित्तीय प्राविधान प्रधानमंत्री आवास योजना और उसमें राज्य के अन्दर जो आवासीय योजना है, जिसे हम इन्दिरा आवास योजना कहते हैं। उन दोनों को मिलाकर के एक ऐसी कार्ययोजना तैयार की जिससे राज्य के ऊपर ऐसा कोई वित्तीय भार भी न आये और साथ-2 हम अपने लोगों को अच्छी आवासीय सुविधा दे पायें। भाजपा बात गरीबों की करती है, मगर गरीबों के हित की वो कैसे अनदेखी करती है, उसका यह सबसे बड़ा ज्वलन्त प्रमाण है।