त्रिवेंद्र सरकार का फैसला
रिटायरमेंट के बाद दोबारा नही मिलेगी सरकारी कुर्सी !
मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद
मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने पुनर्नियुक्ति के नियम किये कड़े
जी हां
अब
उत्त्तराखण्ड में रिटायरमेन्ट के बाद भी नियमों का उल्लंघन कर अलग अलग विभागों की कुर्सी तोड़ने का सपना देखने वालों को
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र की बिछाई कड़ी अग्निपरीक्षा से गुजरना होगा।
बता दे कि
राज्य गठन के बाद कई अधिकारी-कर्मचारी रिटायरमेंट के बाद भी सालो साल तक सरकारी कुर्सियों में जमे रहे।
लेकिन 8 सितम्बर को जारी मुख्य सचिव ओमप्रकाश के आदेश में उत्त्तराखण्ड में रिटायर्ड कर्मचारियों की पुनर्नियुक्ति व संविदा में अब काफी पेंच फंसा दिए गए हैं।
जान ले कि
मुख्य सचिव ओमप्रकाश की ओर से जारी लंबे चौड़े शासनादेश में कई नियम व शर्तें जोड़ी गई हैं।
मुख्य सचिव ने कहा है कि सेवानिवृति के बाद फिर से सरकारी कुर्सी पाने वाले को प्रशासकीय विभाग सतर्कता व कार्मिक विभाग की बिना अनुमति के मुख्यमन्त्री स्तर पर आवेदन भेज रहे हैं। यही नही समूह ग और घ के ऐसे रिटायर कर्मचारियों को जो विशेष योग्यता नही रखते उनको भी प्रतिनियुक्ति दी जा रही है।
वही जारी आदेश में कहा गया है कि कुछ विभाग सतर्कता व कार्मिक विभाग की सहमति नही मिलने के बावजूद मुख्यमंत्री स्तर पर सहमति लेने के बाद विशेष कार्य अधिकारी व अन्य पदनाम से नियुक्त कर रहे हैं
इससे उस विभाग के मानव संसाधन पर विशेष असर पड़ रहा है।
साथ ही वित्तीय बोझ भी पड़ रहा है । आज जारी शासनादेश में यह भी लिखा है कि कुछ प्रशासकीय विभाग ऐसे रिटायर्ड कर्मचारियों को भी पुनर्नियुक्ति दे रहे हैं जो उस पद के योग्य नहीं है।
नए शासनादेश के अनुसार अब यदि कोई प्रशासकीय विभाग सतर्कता एवं कार्मिक विभाग में पुनर्नियुक्ति का कोई प्रस्ताव पेश करता है तो उसे इस आशय का प्रमाण पत्र भी देना होगा कि उक्त विभाग में कार्यरत कर्मचारी व अधिकारी अपना कार्य ठीक ढंग से करने में समर्थ नहीं है। यह प्रमाणपत्र विभाग की प्रमोशन समिति को भी भेजा जाएगा।
मुख्य सचिव के आदेश में यह भी कहा गया कि पुनर्नियुक्ति पाए कर्मचारी को छह माह के अंदर अन्य कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने होगा ताकि उस विभाग में पुनर्नियुक्ति की जरूरत न पड़े।
आदेश में यह भी कहा गया है कि जिन विभागों में विभाग अध्यक्ष/ अपर विभागाध्यक्ष के पद पूर्ण रूप से भरे हुए हैं उन विभागों में पुनः नियुक्ति किसी भी दशा में नहीं की जाएगी। इसके अलावा 62 वर्ष से अधिक आयु वाले रिटायर्ड अधिकारी की पुनर्नियुक्ति भी दशा में नही की जाएगी।
बहराल अगर सब कुछ ठीक ठाक इस नियम के हिसाब से ही चला तो पढ़े लिखे बेरोजगारों के लिए रोजगार का वो रास्ता खुल जायेगा जिसे काफी समय से बंद किया हुवा था जो मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र के निर्देश के बाद सुलझ गया है