
हर दा लिखते है कि
कल के धरने प्रदर्शन से मैं कौतिक्या रौंक अर्थात प्रफुल्लित हूं।
कुछ समाचार अन्यथा आये हैं। यह समय मान-अपमान का नहीं है, हमारे सम्मुख अस्तित्व की लड़ाई है। कर्नाटक और गोवा में वही किया जा रहा है जो हमने मार्च 2016 में #उत्तराखंड में झेला है, निशाने पर सारा भारत है। कल #देहरादून में आपके सामूहिक स्वर ने सत्ता के निशानेबाजों को ललकारा है। मैं खराब स्वास्थ्य के बावजूद चुनाव हारने के दिन से ही #असम और उत्तराखंड दोनों जगह सक्रिय हूँ, एकता प्रदर्शित करने का कोई अवसर नहीं छोड़ रहा हूं। #दिल्ली में मेरे फिजीशियन ने मुझे दो बार टीएमटी टेस्ट व एमआरआई करवाने की सलाह दी है मगर यह समय इससे चिंतित होने का नहीं है। हम अभी-अभी महायुद्ध हारे हैं, मैं भी इस युद्ध में एक सेक्टर का कमांडर था, अपने सैनिक साथियों को हार की हताशा से बाहर लाना मेरा कर्तव्य है।
कल साफ हो गया आप फिर लोकतांत्रिक युद्ध के लिये तैयार हो। इस स्थिति में बहुत कड़ुवा भी पीना पड़ता है, हलाहल भी पीना पड़ता है। आपको याद है लोकसभा चुनाव के वक्त वोट पड़ने से पहले ही एक अति महत्वपूर्ण नेता ने सार्वजनिक घोषणा कर दी थी कि हम अर्थात Indian National Congress Uttarakhand केवल एक सीट जीत रही है, तीन और सीटें भी मेरे साथ दहेज में BJP Uttarakhand को दे दी थी। मैंने हलाहल पिया इसीलिये सार्वजनिक जीवन में मेरे पास अमरत्व का वरदान है। उज्ज्वल पक्ष देखो और गुनगुनाओ
“माना वो मेरे घर नहीं आ सकते,
मगर उनके घर तो जाया जा सकता है”
कांग्रेस जिंदाबाद