नेता जी बोले भाजपा ने 2 हज़ार करोड़ रुपया खर्च करके उत्तराखंड की कुर्सी हासिल की है उसकी धीरे धीरे वसूली बोले तो हिलटॉप

बात माँ अलकनंदा और माँ भागीरथी नदी की ओर इसी देवप्रयाग क्षेत्र से बनती है माँ गंगा , ओर अब इन क्षेत्र मै ‘हिल टॉप’ के शराब कारोबार जिस ओर अब मच गया है सियासी कोहराम। आरोप एक दूसरे ओर खूब लगा रहे है   जैसे ज्यादी पी ली हो और कह रहे हो सर इसने पिलाई.. मेरी गलती नही ।नही सर उसने पिलाई मेरी गलती नही। ये हाल नेताओ के बयान सुनकर लग रहा है आजकल टीवी चैनलों मै चल रहे बयानों को देख कर ।
भाजपा कहती है कि इस हिलटॉप की कहानी कांग्रेस राज से शुरू हुई पर आज ये भाजपा तक पहुंच रही है। चर्चाएं है कि भाजपा की जान तो हिंदुत्व के एजेंडे में बसी है, फिर आखिर कैसे भाजपा देवप्रयाग जैसे धार्मिक स्थल से शराब कारोबार को फलता -फूलता देख सकती है।
हम आपको पहले भी बता चुके है की जानकारी अनुसार , देवप्रयाग क्षेत्र में डिस्टलरी लगने की शुरुआत कांग्रेस के जमाने में ही आगे बढ़ी। सूत्रों के अनुसार, विजय बहुगुणा सरकार के जमाने में इस संबंध में बात शुरू हो गई थी। 2016 के आखिरी में चुनाव मैदान में जाने से पहले हरीश रावत सरकार ने इस पर अनुमति जारी कर दी थी।
वही उस दौरान विरोध हुआ, तो उस समय हरीश सरकार के कदम रुक गए ।ओर अब उत्तराखंड मैं 18 मार्च 2017 से प्रदेश मैं भाजपा की सरकार है और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत है । ओर अब भाजपा सरकार के राज में इस डिस्टलरी से हिल टॉप ब्रांड को जोड़ते हुए सोशल मीडिया मे हाउस फुल है।
भले है इस पूरे मामले में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत सामने आकर जवाब दे रहे हैं, लेकिन पूरी सरकार इस मामले में मचे हल्ले के बाद ठीक से जवाब तक भी नही दे पा रही है। ओर भाजपा असहज भी नज़र आ रही है।
‘हिल टॉप’ मामले के उछलने के बाद उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत इस प्रकरण के केंद्र में आ गए हैं। उनकी सरकार ने ही देवप्रयाग क्षेत्र में बाटलिंग प्लांट की स्थापना के लिए एफएलएम-2 की अनुमति प्रदान की थी। इन स्थितियों के बीच, पूर्व सीएम हरीश रावत इस मामले में खुलकर बोल रहे है। मीडिया से बातचीत में मंगलवार को रावत ने कहा कि उनकी सरकार ने फ्रूट वाइन के लिए लाइसेंस मंजूर किया था, जिसे मौजूदा सरकार ने बदल दिया है।उन्होंने कहा कि आबकारी नीति में बदलाव उनकी सरकार ने यह सोचकर किया था कि पहाड़ी फलों का बेहतर इस्तेमाल हो सके। इसी क्रम में देवप्रयाग क्षेत्र में लाइसेंस मंजूर किया गया था, लेकिन जब विरोध शुरू हो गया, तो हमने इसे रोक दिया था। उन्होंने कहा कि एक व्यवहारिक दृष्टिकोण अपनाते हुए बाटलिंग प्लांट को प्रदेश के किसी हिस्से में लगाए जाने पर कोई एतराज नहीं है, लेकिन गंगा किनारे किसी भी जगह पर ऐसा नहीं किया जा सकता। हमारी सरकार ने तो देवप्रयाग को कुंभ मेला क्षेत्र के अंतर्गत शामिल किया था। भाजपा सरकार इससे उलट काम कर रही है।


तो वही प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत साफ कह चुके है कि इस बात को तूल नही दिया जाना चाइए ये मानसिकता ठीक नही।
पिछली कांग्रेस सरकार ये सब करके गई है ।मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत का मीडिया मैं ये बयान भी आया है कि इससे युवाओ को रोजगार मिलेगा , ओर राजस्व भी बढ़ेगा, ओर उत्तराखंड के फलों और फूल का 10 फीसदी इसमें प्रयोग किया जाएगा।
तो भाजपा के प्रवक्ताओं को विद्यायको को जो समझ मे आ रहा है या नही वो बस बयान देने मे लगे है और पिछली हरीश सरकार को भी जमकर  कोस रहे है।
बहराल पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत कह रहे है कि अगर उनकी सरकार मैं गलत हुवा तो त्रिवेन्द्र सरकार ने इन 2 सालो मैं फूल स्टॉप क्यो नही लगाया।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा है कि
सरकार का पक्ष रखते हुए सरकार के प्रतिनिधि कहते हैं कि ये लाइसेंस पिछली सरकार ने दिया था, मेरा कहना ये है कि हमने बॉटलिंग का लाइसेंस दिया था और हमने ये कंडीशन लगा दी थी, ये स्पष्ट कर दिया था कि यहां पर आप पानी की और फ्रूटी की और मैक्सिमम यदि आप चाहते हैं तो आपको ऑयल की बॉटलिंग करने दी जायेगी। स्थानीय लोगों के एतराज को देखने के बाद, हमारे विधायक के एतराज को देखने के बाद हमने उस पूरी प्रक्रिया को रोक दिया था। हमारे समय में केवल डिमार्केशन हुआ था, कोई वहां पर इन्वेस्टमेंट नहीं हुआ था। वर्तमान सरकार के समय में इन्वेस्टमेंट हो गया, निर्माण हो गया और बॉटलिंग प्लांट की आड़ में उनको व्हिस्की डिस्टल करने की अनुमति दी गई और अब वहां पर डिस्टिलरी एक्टिविटी हो रही है वहां पर स्कॉच बनाई जा रही है। फ्रूटी पर ऐतराज था, वॉटर बॉटलिंग पर ऐतराज था लेकिन व्हिस्की पर वर्तमान सरकार को कोई एतराज नहीं है क्योंकि ये उनके शासनकाल में लग रही हैं! मेरा सवाल ये है कि यदि पिछली सरकार ने कुछ गलतियां की तो जनता ने हमको उसके लिये दंडित किया तो आज की सरकार उस गलती को सुधारती क्यों नहीं है? यहां तो बॉटलिंग प्लांट की इजाजत रद्द करने के बजाय वर्तमान सरकार ने उनको डिस्टिलरी के रूप में उस लाइसेंस का उपयोग करने की छुट दी है और दोष हमारे ऊपर मढ़ने की कोशिश कर रहे हैं! हकीकत ये है कि वर्तमान सरकार जानबूझकर के इस काम को कर रही है और अपनी खाल बचाने के लिये दोष हमपर मढ़ रही है।


यही नही हरीश रावत ने ये तक कह दिया है कि आगे आगे देखिए खनन ओर जमीनों के घोटाले भी सामने आएंगे। क्योकि
मे जानता हूँ कि भाजपा ने 2 हज़ार करोड़ रुपया खर्च करके उत्तराखंड की कुर्सी हासिल की है।जिसमे से 400 करोड़ रुपए तो दल बदल करवाने में लगा तो उसकी वसूली कर रहे है। जैसा बोया उसका थोड़ा थोड़ा हिसा सबको झेलना पड़ेगा। और यदि फिर भाजपा ने कुछ और आगे कहा तो उसे भी जनता के सज्ञान मैं लाउगा।

 

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