
आपको बता दे कि त्रिवेंद्र सरकार ने महत्वपूर्ण फैसला लेते हुये पारंपरिक फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य और मार्केटिंग के लिए 10 करोड़ का रिवाल्विंग फंड को मंजूरी देकर प्रदेश के किसानों को बड़ी राहत दी है। अब इससे किसानों को फसलों का उचित दाम मिलेगा। तो वहीं, मार्केटिंग के लिए बिचौलियों से छुटकारा मिलेगा। बता दे कि उत्तराखंड कृषि उत्पादन विपणन बोर्ड सीधे किसानों से फसलें खरीदेगा और प्रोसेसिंग कर उसे आगे बेचेगा। शनिवार को पौड़ी में हुई कैबिनेट की बैठक में इस पर मुहर लगा दी गई
- इससे राज्य के लगभग 10 लाख किसानों को त्रिवेंद्र सरकार की राहत के रूप मैं देखा जा रहा है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने किसानों की दोगुनी आय करने के संकल्प को पूरा करने के लिए पारपंरिक फसलों का न्यूनतम समर्थन तय किया है। वहीं, किसानों से सीधे फसल खरीदने के लिए उत्तराखंड कृषि उत्पादन विपणन बोर्ड के माध्यम से 10 करोड़ का रिवाल्विंग फंड बनाया जाएगा। जिसके लिए मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है। त्रिवेन्द्र सरकार ने पहले चरण में मंडुवा, झंगोरा, चौलाई, गहत, काला भट्ट, राजमा का एमएसपी तय किया है। अभी तक इन फसलों का एमएसपी तय न होने से किसानों को उचित दाम नहीं मिलते हैं। अब सरकार की पहल से किसानों को उपज का उचित मूल्य मिल सकेगा। साथ ही मार्केटिंग के लिए बिचौलियों की भूमिका से छुटकारा मिलेगा।
बता दे कि न्यूनतम समर्थन मूल्य जिसमें झंगोरा 1950 रुपये प्रति क्विंटल, चौलाई 2935 रुपये, काला भट्ट 3468 रुपये, गहत 7725 रुपये और राजमा 7920 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया।
वही अब उत्तराखंड कृषि उत्पादन विपणन बोर्ड किसानों से उत्पाद खरीदेगी। इसके लिए 10 करोड़ का रिवाल्विंग फंड, बनाया जाएगा। मंडी समितियां किसानों से उत्पाद खरीदने करने के बाद प्रोसेसिंग कर उसे आगे बेचेगी। ओर उत्पाद खरीदने के लिए परिषद रिवाल्विंग फंड तैयार करेगी।
त्रिवेंद्र सरकार का दावा है कि
किसानों की दोगुनी आय के संकल्प को पूरा करने के लिए सरकार ने यह फैसला लिया है। वही कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, जो कृषि एवं उद्यान मंत्री है राज्य के उन्होंने कहा कि
अब न्यूनतम समर्थन मूल्य तय होने से किसानों को अपनी फसल का सही मूल्य मिलेगा। साथ ही किसानों के सामने उत्पादन बेचने की समस्या नहीं रहेगी। आने वाले समय में सरकार के इस फैसले से आप देखिएगा आपको कृषि क्षेत्र में एक बड़ा परिवर्तन देखने को मिलेगा।
बहराल अच्छा है सरकार का ये प्रयास ये सोच
बस सरकार बंदरों , सुवरो, से बर्बाद होती फसलो के लिए कोई रास्ता निकले, जो लोग खेती करना चाहते है पर पानी की जहा बड़ी समस्या है और सिर्फ मोसम पर ही निर्भर रहना पड़ता है वहा पानी की समस्या। दूर हो जाये। तो एक ये खेती ही है जो पलयान पर लगाम लगा सकती है। ओर दूसरा कोई उपाय नही ।