
देहरादून मैं आज उत्तराखंड की वीरांगना तीलू रौतेली के जन्म दिवस के मोक पर कामकाजी युवतियों को अलग अलग कार्यो से समाज मे अपना प्रभाव छोड़ने वाली ओर साहसी महिलाओं को, खास सौगात मिली है।
पहले तो आज देहरादून में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल बेबी रानी मौर्य और महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास राज्यमंत्री रेखा आर्य ने वीरांगना तीलू रौतेली कामकाजी महिला छात्रावास का शिलान्यास किया। बता दे कि ये छात्रावास देहरादून के सर्वे चौक के पास बना है जिसमे 200 कमरो का लक्ष्य है वही इस दौरान तीलू रौतेली की प्रतिमा का भी अनावरण किया गया। हमारी उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने कहा कि उक्त हॉस्टल में महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचारों के संबंध में जानकारी देने के लिए काउंसलर और उनकी मदद के लिए वकील भी तैनात रहेंगे। जो महिला अपराधों के संबंध में कानूनी मदद करेंगे।
साथ ही उन्होंने कहा कि देहरादून में कोई भी कामकाजी महिला इस छात्रावास में रह सकती है। वही इस भव्य कार्यक्रम में राज्यपाल बेबी रानी मौर्य जी और महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास राज्यमंत्री रेखा आर्य जी ने 16 युवतियों सहित महिलाओं को पुरस्कार प्रदान किए। राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने कहा कि उन्हें लगता है, पूरे देश में सबसे ज्यादा मेहनती महिलाएं उत्तराखंड की ही हैं
क्योकि इस बार 16 युवती सहित महिलाओ को तीलू रौतेली सम्मान से नवाजा गया पिछके साल इस समारोह मैं 13 वीरांगनाओं को सम्मना से नवाजा गया था
जिसमे से पिछले साल 2018 में ये सम्मान महिला सशक्तिकरण मंत्रालय ने तीन तलाक के मामले को सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचाने वाली काशीपुर की शायरा बानो, सहित गढ़वाली कविताओं को पहचान दे रही रुद्रप्रयाग की उपासना, पिथौरागढ़ की हेमा थलाल, हल्द्वानी की त्रितिक्षा, अल्मोड़ा की हेमलता भट्ट, उत्तरकाशी की सविता सहित 13 वीरांगनाओं को दिया गया था। मगर आज ये पुरस्कार देहरादून की नीरजा गोयल, मीताली शाह और आशा कोठारी, अल्मोड़ा की गीता देवी और गंगा बिष्ट, बागेश्वर की कुमारी विशाखा, चंपावत की सीमा देवी, पिथौरागढ़ की लक्ष्मी बिष्ट और खीमा जेठी, हरिद्वार की बेबी नाज, नैनीताल की कनक, समृद्धि और मुन्नी देवी, उत्तरकाशी की शांति ठाकुर, ऊधमसिंह नगर की ज्योति गांधी और पूजा को दिया गया।
बता दे कि इसमें से पुरस्कार से नावजे जाने वाली गीता देवी ने अपनी सास को बाघ से बचाने के लिए खुद की जान दाव पर लगा दी थी। वो अपनी सास को तो बचा ना पाई पर उनके शव को बाघ को ले जाने नही दिया
गीता देवी कहती है कि हमारे गाव मैं ना सड़क है ना पानी , जिसकी माग उन्होंने त्रिवेंद्र सरकार से की है साथ ही कहती है कि बाघ के हमले मैं जिनकी जान चली जाती है सरकार मुआवज़ा तो देती है पर अगर सरकारे उस परिवार से किसी सदस्य को नोकरी दे दे तो बहुत अच्छा होगा । क्योंकि ये बाघ थोड़े जानता है कि वो पूरे घर को सभालने वाले को लोगो को खत्म कर रहा है ।
, तो उसको जिसके पीछे पूरा घर चलता है ।वो तो बस घर के पास आता है या फिर काम करते समय जंगल या घर के आस पास छूपा रहता है और मौका देख हमला कर देता है। वो किसी को भी अपना निवाला बना देता है दर्द तो अपनो की मौत का बहुत होता है। ओर जो भी लोग बाल बाघ के हमले मैं उसे दर्दनाक मौत मिलती है तो हम सब पहाड़ी लोगो को रोना आ जाता है ।पर जिस घर मैं कमाने वाले को बाघ मार देता है तो सोचो उस घर का क्या होता होगा बहराल गीता देवी खुश है कि उन्हें सम्मान से नवाजा गया ।
ओर वो मुख्य्मंत्री त्रिवेंद्र रावत जी से गाँव मे पानी और सड़क की माग करती है और उन्हें विस्वास है कि मुख्यमंत्री जी उनके गांव मैं जल्द पानी और सड़क का इन्तज़ाम करेगे।