नई दिल्ली. उत्तराखंड की सियासत को लेकर सरगर्मियां तेज़ होने की खबरों के बीच दिल्ली तलब किए गए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने रात 12 बजे के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के निवास पर नेताओं के बीच मुलाकात हुई. इस बैठक में अगले साल होने वाले उत्तराखंड विधानसभा चुनावों के सिलसिले में बातचीत की गई. और जैसी अटकलें चल रही थीं, उसी के अनुरूप आलाकमान के साथ सीएम रावत की बातचीत इस पर भी हुई कि रावत के उपचुनाव लड़ने को लेकर क्या रणनीति बनाई जाए.
इससे पहले अचानक सीएम रावत को बीजेपी आलाकमान ने दिल्ली बुलाया था, जिसके चलते रावत बुधवार के अपने सारे कार्यक्रम निरस्त करते हुए बुधवार दोपहर 12 बजे तक दिल्ली के उत्तराखंड भवन पहुंच चुके थे. बताया गया है कि दिल्ली यात्रा पर नड्डा और शाह से मुलाकात के बाद अभी रावत की वापसी का कार्यक्रम तय नहीं हुआ है और वह कुछ और नेताओं से भी मिल सकते हैं.
कहां फंस रहा पेंच
दरअसल, सबसे खास बात ये है कि सीएम तीरथ सिंह रावत को 9 सितंबर से पहले विधायक का चुनाव जीतना जरूरी होगा. इस बीच कांग्रेस ने सवाल उठाया कि ऐसे प्रावधान हैं कि अगर एक वर्ष के भीतर विधानसभा चुनाव होने हैं, तो उपचुनाव नहीं होंगे. अभी तीरथ सिंह राज्य विधानसभा के सदस्य नहीं हैं. वह वर्तमान में टिहरी गढ़वाल से लोकसभा सांसद हैं. ऐसे में उन्हें मुख्यमंत्री बने रहने के लिए विधानसभा सीट जीतना जरूरी है.
इसलिए छाया है राजनीति संकट
9 सितंबर के बाद सीएम पद पर बने रहने के लिए तीरथ सिंह रावत को विधायक का चुनाव जीतना जरूरी होगा. इसी मुद्दे पर कांग्रेस बीजेपी पर हमलावर है. वहीं, जन प्रतिनिधिएक्ट के सेक्शन 151 ए के तहत फिलहाल उपचुनाव नहीं कराए जा सकते हैं क्योंकि राज्य में विधानसभा चुनाव में एक साल से भी कम समय बचा है. इसलिए सीएम तीरथ सिंह की कुर्सी पर संकट के बादल छाए हुए हैं.