ट्रिपल इंजन है साहब, अब तो सड़क पहुंचा दो, मोदी सरकार वादा निभा दो

उत्तराखंड जो की पहाड़ के विकास के लिए ही बनाया गया, पहाड़ का विकास जो उत्तर प्रदेश के रहते नहीं हो पा रहा था, यहां के लोगों ने लम्बी लड़ाई लड़कर आखिरकार 9 नवम्बर 2000 को अलग राज्य पाया। लेकिन हालात क्या हैं प्रदेश के ये आज किसी से छिपे नहीं हैं। सिर्फ ताज पहनने वालों की सूरत बदल रही है। सूबे की सीरत आज तक नहीं बदल पाई। जनता राज्य निर्माण के 17 साल बाद भी उन्ही बुनियादी सहूलयतों के लिए तरस रही है आलम ये है कि दूर-दराज के जो ग्रामीण पहले जिला मुख्यालयों पर अपनी फरियाद करते थे आज देहरादून  पहुंच कर अपनी मामूली ख्वाहिशों की जरूरत के लिए हुक्मरानों से जंग लड़ने को मजबूर हैं। उत्तरकाशी जिले के मोरी तहसील से जुड़े चार गांवो के लोगों ने देहरादून के गांधी पार्क में पहुंचकर अपनी फरियाद सरकार से की। चार गांवों के लोगों में से एक युवा यशपाल पंवार की माने तो सड़क के आभाव में ग्रामीणों को तहसील तक पहुंचने में भी 15 से 18 किलोमीटर का सफर पैदल करने को मजबूर होना पड़ रहा है। गंगोत्री नेशनल पार्क से सटे इन गांवों में हालात ये हैं कि बरसात के मौसम में गांवों से संपर्क पूरी तरह कट जाता है। ग्रामीणों ने  अपनी ज़रुरतों के बारे में कई बार पहले भी सरकार, शासन,प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को बताया है। लेकिन सिर्फ आश्वासन मिला है। लेकिन चुनावों में किये गये वादे धरातल पर आज तक नहीं उतर पाये हैं। आज़ादी के बाद से लेकर गांवों के लिए सड़क की सहूलियत की मांग वक्त-वक्त पर उठती रही। गांव के लोगों के द्धारा कई आंदोलन किये जा चुके हैं लेकिन आज तक उनकी ज़रूरत पूरी नहीं हो पाई है।पिछले विधानसभा चुनावों में यहां के ग्रामीणों ने रोष भी दिखाया और चुनाव का बहिष्कार किया लेकिन इसके बावजूद भी सत्ता के कानों मे जूं तक नहीं रेंगी। लेकिन अब ये देखना होगा कि मोरी से देहरादून तक पहुंची जनता की ये मामूली फरियाद पूरी होती है या फिर इस बार भी सिर्फ आश्वासन ही मिलेगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here