सूबे में ट्रिपल इंजन की सरकार को भले ही एक साल पूरा होने वाला हो लेकिन उसकी कथनी और करनी में ज़मीन आसमान का अंतर है। 18 मार्च को त्रिवेंद्र सरकार का एक साल पूरा होने जा रहा है। लेकिन पहाड़ से लेकर मैदान तक के विकास के वादे के साथ सत्ता में आई सरकार का विकास मैदानों में तो दिखाई दे रहा है
लेकिन पहाड़ और पहाड़ का ग्रामीण आज भी सरकार की तरफ टकटकी लगाए देख रहा है। देश के पीएम नरेंद्र मोदी भले ही अपने संबोधन में पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी पहाड़ के काम आएगी इस बात को कहते हो लेकिन सच तो ये है पहाड़ को लेकर सिर्फ वादों का पुलिंदा होता है और कुछ नही। पहाड़ के ऐसे बहुते से इलाके है जहा आज विकास तो दूर की बात है यहां के लोग सड़क की राह देखते देखते बूढ़े हो चुके हैं। बात बद्रीनाथ के गांव किमाणा की करें तो यहां सड़कों का निर्माण फाइलों में दबकर रह गया है। कई सालों से लोकनिर्माण विभाग में किमाणा गांव की सड़क की फाइल चक्कर काट रही है। हेलंग किमाणा मोटर मार्ग बद्रीनाथ हाइवे से उर्गम घाटी के लिए कट जाता है।और वही मोटर मार्ग किमाणा ,पल्ला ,झखोला के लिए बनाया जा रहा है। लेकिन हैरत की बात ये है कि आज तक इन गांवों की सड़क का काम चालू नही हो पाया जिसका कारण ठेकेदार और लोकनिर्माण विभाग के बीच अनुबंध पर हस्ताक्षर ना होना है और फाइल कार्यालयों के चक्कर काट रही है।
किमाणा गांव के निवासी प्रदीप भंडारी कहते है कि विभाग की लापरवाही से सड़क पर काम चालू नही हो पा रहा है जिसके चलते गांव वालों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कहते है कि देश का असल विकास तब होता है जब उसके सीमांत गांवों तक विकास दिखे लेकिन इस देश की दुर्भाग्य ये है कि मैदानी इलाकों में विकास की बयार तो खूब बह रही है लेकिन गांव वीरान बदहाल होते जा रहे हैं। कुछ कीजिए देश के पीएम और प्रदेश के सीएम जब ग्रामीण इलाकों में लोग ही नही रहेंगे तो उस विकास से फायदा किसी को नही होने वाला ।