वहीं इस वैरिएंट पर कोरोना वैक्सीन के असर को लेकर उन्होंने कहा कि इसके लिए टेस्ट किए जा रहे हैं और आने वाले 7 से 10 दिनों इसके बारे में जानकारी मिल पाएगी। भार्गव ने कहा कि डेल्टा प्लस से पहले मिले अल्फा बीटा, गामा और डेल्टा जैसे वैरिएंट पर कोविशील्ड और कोवैक्सिन कारगर रही हैं। उन्होंने कहा कि हमारी ओर से फिलहाल इसका परीक्षण जारी है कि कोरोना की वैक्सीन इस वैरिएंट पर कितना असर करती हैं। हमें लैबोरेट्री के नतीजों का इंतजार है। इसके रिजल्ट 7 से 10 दिन में आ जाएंगे। इसके अलावा कोरोना वैक्सीन को लेकर आईसीएमआर के डीजी ने एक और भ्रम दूर किया है।
गर्भवती महिलाओं को टीका लगने से विपरीत असर पड़ने की अफवाहों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है। बलराम भार्गव ने कहा कि हेल्थ मिनिस्ट्री की ओर से यह गाइडलाइन जारी की गई है कि गर्भवती महिलाओं को भी कोरोना का टीका लगाया जा सकता है। वैक्सीनेशन गर्भवती महिलाओं के लिए भी फायदेमंद है और यह होना चाहिए। बच्चों की वैक्सीन को लेकर बलराम भार्गव ने कहा कि अभी दुनिया में सिर्फ एक ही ऐसा देश है, जहां यह किया जा रहा है। हालांकि बेहद छोटे बच्चों को शायद कभी वैक्सीन की जरूरत न हो। यह एक बड़ा सवाल है।
डेल्टा वेरिएंट से घट रहा था ऑक्सिजन लेवल, डेल्टा प्लस से क्या होगा?
ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) में बायोटेक्नॉलजी डिपार्टमेंट में असोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर शुभ्रदीप कर्माकर के मुताबिक, डेल्टा प्लस वेरिएंट किस तरह का रंग दिखाएगा, अभी इस पर कुछ नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा, ‘हर वेरिएंट अलग तरह के क्लिनिकल रिस्पॉन्स के साथ आता है। पिछले वेरिएंट में ऑक्सिजन लेवल घट रहा था लेकिन हम नहीं जानते कि डेल्टा प्लस वेरिएंट के कैसे नतीजे होंगे।’ भारत में दूसरी लहर के बहुत ही ज्यादा खतरनाक होने के पीछे डेल्टा वेरिएंट ही था।