सतपाल महाराज : टिहरी झील में करोड़ो की फ्लोटिंग मरीना ही नही डूबी बल्कि लोगो का विस्वास भी डूब गया त्रिवेन्द्र सरकार।
आपको बता दे कि समय समय की सरकार से लेकर आज की सरकार भी भले ही
विश्व प्रसिद्ध टिहरी झील में पर्यटन को बढ़ावा देने की योजना कागज़ों मे बना चुकी हो पर वे धरातल पर परवान नहीं चढ़ पाई आज तक । टिहरी झील मै पर्यटन को बढ़वा देने के लिए वादे दावे ओर साल भर मे एक बार करोड़ो रूपये पानी मे जरूर बहाए गए पर नतीजा जीरो ।
ओर अब तो हद ही हो गई इस बार जो चीख चीख कर मानो कह रहा हो कि देखो करोड़ों की लागत से बना : बार्ज बोट और फ्लोटिंग मरीना (चलता-फिरता रेस्टोरेंट) जैसे कह रहा हो सरकार को की आप तो मेरा रख रखाव ही नही कर पा रहे हो लावारिस मुझे छोड़ा हुवा है। जब मेरी देखभाल ही नही कर सकते तो टिहरी के वासियो से फिर आपको क्या सरोकार?
जी हा बता दे आपको की मंगलवार सुबह झील का जलस्तर कम होने पर ढाई करोड़ की लागत वाली फ्लोटिंग मरीना झील में पूरी समाने से बाल-बाल बच गया। ओर मरीना का एक हिस्सा टेढ़ा होकर झील के पानी में समा गया है।
आपको बता दे कि टिहरी झील में पर्यटकों को लुभाने के लिए पर्यटन विभाग ने झील किनारे करोड़ों की योजनाएं बनाई है। ओर करोड़ो खर्च भी किये पर सब बेकार ओर बंदरबाट मै सरकारी पैसा बर्बाद होता आया है ,
बता दे आपको की ढाई करोड़ की लागत से बनी फ्लोटिंग मरीना और बांध प्रभावित क्षेत्र प्रतापनगर के लोगों की आवाजाही के लिए दो करोड़ 17 लाख की लागत से तैयार बार्ज बोट पिछले चार साल से झील किनारे संचालन की राह ताक रही है।
क्या ये शर्मनाक बात नही है।क्या इन पर लगा करोड़ो रुपैया किसी नेता , विद्यायक, मंत्री, के घर का लगा है? जी नही सरकारी धन लगा हुवा है सर ओर करोड़ो तो कमीशन मे ही निकल गए होंगे।तब ये सब आइटम पानी मे उतरा होगा। (अपनी बदहाली पर आंसू बहाने के लिए )
आपको बता दे कि पीपीपी मोड पर फ्लोटिंग मरीना और बार्ज बोट का संचालन होना था, लेकिन पर्यटन विभाग को दोनों योजनाओं के संचालन शुरू करने के लिए प्राइवेट पार्टनर नहीं मिल पा रहा है। जिससे कोटी कॉलोनी में झील किनारे खड़े फ्लोटिंग मरीना का एक हिस्सा आज मंगलवार सुबह टेढ़ा होकर पानी के अंदर समा गया था।
वही मरीना के टेढ़ा होने की जानकारी मिलते ही पर्यटन विभाग और टिहरी विशेष क्षेत्र पर्यटन प्राधिकरण के अधिकारियों के हाथ पैर फूल गए। फिर मौके पर पहुंचकर विभागीय अधिकारियों ने डूबे मरीना को किसी तरह खींचकर सुरक्षित स्थान पर खड़ा किया।
बहराल अब सवाल ये खड़ा होता है कि त्रिवेन्द्र रावत की सरकार टिहरी झील के विकास के लिए , पर्यटन को बढावा देने के लिए क्या अब तक कि पिछली सरकारों की तरह सिर्फ कागजों पर ही लकीर खिंचते आगे नज़र आएगी या फिर धरातल पर कुछ होगा भी। क्योकि अब टिहरी वासियो का विस्वास भी टिहरी झील में डूबने लगा है।