
PCS अफसरों की दखल से ट्रांसफर, कर्मचारियों ने लगाया आरोप, डीएम को अधिकारियों की दी शिकायत –
देहरादून: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में पीसीएस अधिकारियों की शिकायत से जुड़ा एक गंभीर शिकायती पत्र सामने आया है. दावा किया गया है कि कर्मचारियों की राजनीति में दो PCS अफसर दखल दे रहे हैं. जिससे न केवल कर्मचारियों के बीच गुटबाजी बढ़ रही है. बल्कि इसके जरिए पुराने द्वेष के तहत पदाधिकारियों के तबादले भी किए जा रहे हैं. आइए पूरा मामला जानते हैं.
जिला कलेक्ट्रेट में 15 मई को कुछ कर्मी स्थानांतरित हुए तो कई कर्मचारियों में आक्रोश फैल गया. कहा गया कि दो पीसीएस अधिकारियों का कर्मचारियों के संगठन की राजनीति में दखल देने के कारण ऐसा किया गया है. मामला तब बढ़ गया जब कर्मचारियों ने इस पर पत्र लिखकर अपर जिलाधिकारी केके मिश्रा पर गंभीर आरोप लगा दिए. जिलाधिकारी को लिखे गए इस पत्र में पीसीएस अधिकारी और जिले में प्रभारी अधिकारी की जिम्मेदारी देख रहीं अपूर्वा सिंह का नाम भी लिखा गया था.
जिला कलेक्ट्रेट में जिन कर्मचारियों को स्थानांतरित किया गया उनमें आलोक शर्मा, धर्मानंद बिजल्वाण और संगीता धानिक का नाम शामिल था. बड़ी बात यह है कि इनमें आलोक शर्मा हाल ही में मिनिस्ट्रियल कर्मचारियों के संगठन के जिला सचिव चुनकर आए हैं. इसी तरह धर्मानंद बिजल्वाण जिला कोषाध्यक्ष के तौर पर निर्वाचित हुए हैं. जाहिर है कि इनके निर्वाचन के फौरन बाद कलेक्ट्रेट स्तर पर इनका स्थानांतरण किसी की समझ में नहीं आया और कर्मचारियों ने इसे अपर जिलाधिकारी केके मिश्रा और प्रभारी अधिकारी अपूर्वा सिंह द्वारा पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर तबादला किए जाने से जोड़ा गया.
कर्मचारियों का कहना था कि नियमावली में स्पष्ट है कि मान्यता प्राप्त संगठन के पदाधिकारी को पद ग्रहण करने के 2 साल तक स्थानांतरित नहीं किया जा सकता. लेकिन इसके बावजूद स्थानांतरण नीति को दरकिनार करते हुए कर्मचारियों के स्थानांतरण किए गए. हालांकि जिला प्रशासन इसे तकनीकी रूप से पटल स्थानांतरण कहकर खुद को सही साबित करने की कोशिश भी कर रहा है.
जिला कलेक्ट्रेट के पदाधिकारी रहे राजेंद्र रावत कहते हैं कि,
एक विवादित अधिकारी द्वारा पूर्वाग्रह दिखाकर कर्मचारियों के एक खेमे को टारगेट किया जा रहा है. इसके खिलाफ अब बड़े आंदोलन की भी तैयारी की जा रही है. यदि इन तबादलों को वापस नहीं लिया गया तो इस पर कर्मचारी अपना विरोध आगे बढ़ाएंगे.
कर्मचारियों का अपर जिलाधिकारी केके मिश्रा के खिलाफ मोर्चा खोलना सामान्य बात नहीं है. प्रभारी अधिकारी अपूर्वा के हस्ताक्षर से किए गए तबादलों पर सवाल खड़े करना भी मामूली घटना नहीं हैं. पीसीएस अधिकारियों के मामले में ईटीवी भारत ने प्रभारी अधिकारी अपूर्वा सिंह से बात की लेकिन उन्होंने मामले में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया है. इसके बाद अपर जिलाधिकारी केके मिश्रा से भी संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया है.