पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत लिखते है कि पार्टी ने साल 2014 में। चुनौतीपूर्ण स्थितियों में मुख्यमंत्री बनाया, मैं पार्टी का बहुत आभारी हूंँ। फिर आज की कहानी के कुछ नायकों ने उस समय भी कुछ खटर-पटर खड़ी की। मैंने तब भी कहा कि और कुछ नहीं तो मुझसे एक बात सीखो कि अपने स्थान पर रहो, एक स्थान पर पड़ा हुआ पत्थर भी भारी हो जाता है। लेकिन कई लोग बहुत जल्दी में थे, एक व्यक्ति का मुझे बहुत दु:ख है, वैसे उनका दल-बदल सामान्य नहीं था, उसके पीछे एक पारिवारिक निर्णय था। लेकिन यदि वो कांग्रेस में रहते तो मुझे पूरा भरोसा है कि कांग्रेस एक दिन उनको अवश्य मुख्यमंत्री पद से नवाजती, क्योंकि कांग्रेस का स्वभाव व सिद्धांत, दोनों का लाभ उनको मिलता। यूं मैंने कल मजाक में कह दिया खट्टे अंगूर, लेकिन कुछ लोगों के लिए वास्तव में अब अंगूर खट्टे हो गये हैं। कोई भी पार्टी उनको अपने साथ जोड़ने में हिचकिचायेगी और यहां एक सबक भाजपा के लिए भी है, “जिसकी जैसी करनी, उसकी वैसी भरनी”। मोदी जी की लोकप्रियता का वेग बड़ा प्रचंड था। मैंने चुनाव के दौरान अंतिम 4 दिनों में मोदी लहर का अनुभव किया, हवा में भी वो लहरें तैरती थी, मोदी-मोदी, मोदी की लहरें तो भाजपा ने सत्ता में आना ही था। मगर उन्होंने #उत्तराखंड के अंदर दल-बदल का कृत्य करवाया, आज उसी का परिणाम है कि उनको 5 साल पूरे होने में ये तीसरा मुख्यमंत्री देना पड़ा है और कुछ लोग चौथे मुख्यमंत्री की बात करने लग गये हैं। भाजपा की सत्ता तो आई, मगर सत्ता एक दाग के साथ आई और सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट का निर्णय, ऐतिहासिक निर्णय भले ही मोदी जी की लोकप्रियता के आलोक में लोगों को नहीं दिखाई दिया। लेकिन मैं, श्री मोदी जी के स्वभाव को जानता हूँ, उनको कहीं न कहीं, वो दोनों निर्णय जरूर चुभते होंगे और अब वो निर्णय उत्तराखंड की जनता को भी याद आ रहे होंगे। मैं समझता हूंँ, निर्णय अब राजनैतिक दलों के दायरे से अलग निकल गया है, अब जनता की अदालत में आ गया है और 2022 में उत्तराखंड की जनता इस सारे घटनाक्रम पर विहंगम विवेचन कर एक ऐतिहासिक निर्णय लेगी।
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