बोले हरदा बहुत अघोषित तरीके से चुपके-चुपके इस योजना को भाजपा में दफना दिया।
हमने गाय माता को सम्मान देने के लिये दुग्ध बोनस, प्रकृति व किसान को सम्मान देने के लिए वृक्ष और जल बोनस की नीति क्रियान्वित की। मगर मिट्टी को सम्मान मिले, उसके लिए आवश्यक था कि उसके उत्पादों को अच्छा मूल्य मिले और वो लाभकारी बने व किसानों को प्रेरित करें /ललचाएं कि वो खेती करें, इस उद्देश्य को आगे रखकर हमने मडुआ बोनस योजना, एक अंब्रेला योजना प्रारंभ की और इसके तहत मिर्च, एक वाणिज्य फसल भी है उत्तराखंड की। राजमा, गहत, झुंगरा, कौणी, चौलाई, मारसा और हमारे पहाड़ के प्यारे-प्यारे काले सोयाबीन भट्ट आदि पर हमने न केवल समर्थन मूल्य योजना का कवर पहनाया, हमने उनके न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया और साथ ही प्रति कुंतल बोनस पर ₹300 से लेकर के ₹700 प्रति कुंतल तक प्रोत्साहन राशि दी गई और इस योजना के तहत जब लोगों/मडुआ उत्पादकों को गांव में चेक मिलने शुरू हुये तो लोगों को बहुत सुखद आश्चर्य हुआ और इसका प्रभाव वर्ष 2016 में दिखाई दिया कि मडुवे व मोटे अनाजों की बुआई का क्षेत्र विस्तृत हुआ, पहली बार उत्तराखंड के अंदर खरीफ की फसल का बुआई क्षेत्र बड़ा। मगर सत्ता परिवर्तन के साथ इस मिट्टी को सम्मान देने वाली, मोटे अनाज की बुआई को प्रोत्साहित करने वाली मडुआ बोनस योजना को भाजपा सरकार ने समाप्त कर दिया और बहुत अघोषित तरीके से चुपके-चुपके इस योजना को दफना दिया।
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Tirath Singh Rawat