अपने उत्तराखंड में भी यदि आकड़ो पर हम नज़र डालें तो महिलाओं के साथ कम अपराध नहीं होते हैं।
बता दे कि पुलिस के आंकड़ों के अनुसार हर पांचवें घंटे एक महिला अपने साथ हुए किसी न किसी अपराध की रिपोर्ट थानों में दर्ज कराती है।
आंकड़े बोलते है कि
सालभर में 350 से ज्यादा महिलाएं दुष्कर्म का शिकार होती हैं।
बता दे कि
अगस्त 2020 तक के यदि आंकड़ों पर हम गौर करें तो
31 अगस्त 2020 तक महिला अपराधों से संबंधित कुल 1740 मामले दर्ज हुए।
ओर पिछले साल समान अवधि में यह आंकड़ा 1833
और 2018 में यह संख्या 1904 था
ये समझे कि
इन आंकड़ों के अनुसार बीते तीन साली में आठ माह औसतन 1800 से ज्यादा मामले दर्ज हुए।
ओर इस हिसाब से लगभग
हर दिन पांच से ज्यादा मामले सामने आए।
मतलब हर पांचवें घंटे में एक महिला किसी न किसी अपराध की शिकार बनी
वही पुलिस अधिकारियों का ये भी कहना है कि आंकड़े सिर्फ अपराधों की बढ़ोतरी को नहीं दर्शाते हैं। बल्कि पुलिस की तत्परता को भी बताते हैं। उत्तराखंड पुलिस का रिकॉर्ड देश के कई राज्यों से बेहतर है। इसमें अपराध का दर्ज होना भी शामिल है। डीजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार ने मीडिया को बताया कि महिला अपराध के मामले में सख्त हिदायत है कि किसी भी प्रकार की कोई लापरवाही न बरती जाए।
सिर्फ महिला अपराध ही नहीं बल्कि अन्य अपराधों में भी उत्तराखंड पुलिस तत्काल केस दर्ज करती है।
बहराल ये भी जान ले कि आज भी दहेज के दानवों ने 21वीं सदी में भी महिलाओं का पीछा नहीं छोड़ा है।
आंकड़े बोलते है कि हर साल लगभग 400 मुकदमे दहेज प्रताड़ना के दर्ज होते हैं।
ओर दहेज के लिए होने वाली हत्याओं में इजाफा दर्ज किया गया है
साल 2018 में 40 महिलाओं की हत्या हुई थी और साल 2019 में यह संख्या 34 रही।
वर्तमान साल में आठ महीनों के भीतर ही यह आंकड़ा 48 पहुंच गया है।
यदि अन्य कारणों से हत्या के मामलों पर ध्यान दें तो यह आंकड़ा 2018, 2019 व 2020 में क्रमश: 34, 41 व 22 रहा।
प्रमुख आंकड़े
अपराध 2020 2019 2018
हत्या 22 41 34
दुष्कर्म 335 368 335
छेड़छाड़ 66 74 68
अन्य- 434 435 447