मेरे लिए ‘आक्का’ आप Hero हो और सदा रहोगी, मुझे पता हे ‘आक्का’ , जब साश्रु नयनों से आपको याद कर रहा हूँ, आप ऊपर से मुझे देखकर गर्व कर रही होगी !

नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः,
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः “

मेरी परमपूज्य माता जी जिन्हें हम सब ‘आक्का’ कहते थे , उनका कल आकस्मिक निधन हो गया । उन्होंने ने १८ दिन तक covid से बहादुरी से संघर्ष किया । उनके अचानक जाने से मुझे और परिवार को अपूर्णनीय हानि हुयी हे ।

‘आक्का’ का जीवन संघर्ष से कम नही था । वे एक बेहद स्वतंत्र, स्वाभिमानी और स्वावलंबी व्यक्ति थी । उन्होंने कभी किसी का बुरा नही सोचा ना बुरा किया। हम मध्यमवर्गीय परिवार से होने के बावजूद जब घर पर आर्थिक संकट आया तो आक्का ने दिन रात मेहनत कर घर को सम्भाला। जब घर पर क़र्ज़ का बोज भारी होता गया , पीता जी की तनख़्वाह भी घर तक नहीं आतीं थी ( १५ साल तक ) , तो आक्का ने सिलाईं काम कर घर का सारा खर्चा उठाया । खेती मे जीं-जान से मेहनत कर हम पाँचो ( मैं और मेरी ४ बहने) को पढ़ाया और पीता जी का सक्षम तरीक़े से साथ दिया ।


उनको शिक्षा का महत्व पता था । हम सब को उन्होंने पढ़ाई के साथ अनुशासन का पाठ पढ़ाया और मेहनत की कमाई का महत्व अपने कर्मों से समझाया। उनके इनहि संस्कार की वजह से उच्च पद पर पहुँचने पर मेहनत और ईमानदारी से काम करने का हौंसला बना रहा। बेटा बड़ा अफ़सर बनने के बाद भी उनके रहन-सहन मे कोई बदलाव नही आया और ना ही कभी उन्होंने किसी भी चीज की अपेक्षा की । दूसरों को तकलीफ़ ना हो इसलिए हमेशा अपनी परेशनियाँ भी नहीं बतायी ।वे एक निष्काम कर्मयोगिनी थी ।

एक मध्यमवर्गीय परिवार की महिला के जीवन संघर्ष मे अपनी उपलब्धियों का श्रेय शायद ही मिलता हो , पर मेरे लिए ‘आक्का’ आप Hero हो और सदा रहोगी।

मुझे पता हे ‘आक्का’ , जब साश्रु नयनों से आपको याद कर रहा हूँ, आप ऊपर से मुझे देखकर गर्व कर रही होगी !
।। ओम् शांति ।।


सर की फेसबुक वॉल से

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