देवभूमि उत्तराखंड का लाल संजय शहीद हो गए हैं उनके शहीद होने के ख़बर सुनकर उनकी माँ व पत्नी बेसुध है तो परिवार में चीखपुकार ,कोहराम , जय हिंद सर जी
मूनाकोट ब्लॉक के तोली गांव निवासी सेना का जवान संजय चंद शहीद हो गए हैं। शहीद की पार्थिव देह आज शाम तक गांव पहुंचने की उम्मीद है। सैनिक संजय चंद के शहीद होने की खबर सुनकर क्षेत्र में शोक की लहर छा गई है।
जानकारी के अनुसार तोली गांव निवासी संजय चंद (32) पुत्र भरत चंद दो कुमाऊं रेजीमेंट में तैनात थे।
सूचना मिलने के बाद शहीद की मां गंगा देवी और पत्नी दीपिका का रो-रोकर बुरा हाल है। शहीद के चाचा दौलत चंद ने बताया कि सेना की तरफ से उन्हें भतीजे के निनसुकिया बार्डर पर गोली लगने से शहीद होने की सूचना मिली।
शहीद संजय चंद के दो बच्चे हैं। बड़ी बेटी अक्षिता पांच साल और बेटा सारांश चार साल का है। शहीद के बड़े भाई निरंजन चंद लखनऊ में प्राइवेट नौकरी करते हैं, जबकि दूसरा भाई ललित चंद सेना में लखनऊ में तैनात हैं। घटना की सूचना मिलने के बाद शनिवार को दोनों गांव के लिए निकल गए हैं। शहीद का अंतिम संस्कार सैन्य सम्मान के साथ रामेश्वर घाट में किया जाएगा।
बचपन से ही संजय का जज्बा सेना में जाने का रहा
जय हिंद सर जी
(मूनाकोट)
अपना उत्तराखंड जिले में पिथौरागढ़ जिले के
मूनाकोट ब्लॉक के दूरस्थ गांव तोली में पैदा हुए संजय बचपन से ही होनहार थे। पिता भरत चंद के प्राइवेट नौकरी में होने के कारण संजय बेहद गरीबी ओर बेरोजगारी का दंश झेलते हुए पले बढ़े। उन्होंने प्राइमरी शिक्षा तोली में लेने के बाद हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की शिक्षा राजकीय इंटर कॉलेज बड़ाबे से पूरी की। संजय बचपन से ही परिजनों से सेना में जाने की जिद करते थे।
वे सेना में भर्ती होने के लिए सुबह जल्दी उठकर घर से निकल जाता था। रोज सुबह शाम सेना में भर्ती होने के लिए शारीरिक परिश्रम भी करते थे। नवंबर 2008 में चंपावत के लोहाघाट में हुई सेना की भर्ती में उन्होंने दौड़ और शारीरिक दक्षता परीक्षा पास कर ली। मेडिकल और लिखित परीक्षा पास करने के बाद संजय सेना में भर्ती हो गए। शहीद संजय के रिश्तेदार शमशेर चंद ने बताया कि छोटे भाई ललित के गोरखा रेजिमेंट में भर्ती होने के बाद वह बहुत खुश हुआ। करीब दो महीने पहले ही घर आया था। गांव के लोगों के साथ उसका काफी अच्छा व्यवहार था। जिस घर में वह जाता था वहां के लोग खुश हो जाते थे। हमें क्या पता था कि वह उसकी गांव की अंतिम यात्रा होगी।
गांव में छाया मातम
मूनाकोट। शहीद के गांव तोली में मातम छाया हुआ है। हर कोई शहीद के घर के परिवार को ढाढ़स बंधाने के लिए उनके पास जाना चाहता है। मगर परिवार के लोगों की चीखपुकार सुनकर वे घर के अंदर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। जवान को जानने वालों को यकीन नहीं हो रहा कि उनका संजय उनके बीच नहीं रहा। घर के अंदर जवान की मौत के बाद कोहराम मचा है तो घर के बाहर लोग शांत बैठे हैं।