
उत्तराखण्ड में संवेदनहीनता की हद हो गई : लेबर रूम में लटका मिला ताला, फिर गर्भवती ने सड़क पर दिया बच्चे को जन्म
दुःखद ख़बर है
बता दे कि रोशनाबाद की गर्भवती अपने तीमारदारों के साथ सामुदायिक केंद्र बहादराबाद में डिलीवरी करवाने आई थी।
फिर अस्पताल में स्वास्थ्य कर्मियों ने बताया कि लेबर रूम बंद पड़ा है।
ओर कर्मियों की बात सुनकर तीमारदारों ने जिला अस्पताल हरिद्वार हायर सेंटर भेजने की गुहार लगाई
उजागर हो गई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बहादराबाद की स्वास्थ्य सुविधाएं और स्वास्थ्य कर्मियों की संवेदनहीनता जो गर्भवती महिला को भारी पड़ गई।
अस्पताल के लेबर रूम में तीन महीने से ताला लटका है।
स्टाफ अस्पताल में धूप सेंक रहा है। सोमवार को अस्पताल पहुंची गर्भवती महिला को हायर सेंटर रेफर नहीं किया गया।
हायर सेंटर भेजने की गुहार लगाई
गर्भवती ने स्वास्थ्य केंद्र के नजदीक सड़क किनारे नवजात बच्ची को जन्म दिया।
प्रसव के बाद आसपास के दुकानदारों ने जच्चा-बच्चा को जिला अस्पताल भेजा।
सोमवार को रोशनाबाद की गर्भवती अपने तीमारदारों के साथ सामुदायिक केंद्र बहादराबाद में डिलीवरी करवाने आई थी। अस्पताल में स्वास्थ्य कर्मियों ने बताया कि लेबर रूम बंद पड़ा है। कर्मियों की बात सुनकर तीमारदारों ने जिला अस्पताल हरिद्वार हायर सेंटर भेजने की गुहार लगाई।
स्वास्थ्य कर्मियों ने कहा कि एंबुलेंस कर खुद ही जिला अस्पताल चले जाएं। तीमारदारों के पास इतने पैसे नहीं थे कि प्राइवेट एंबुलेंस कर गर्भवती को हरिद्वार रेफर कर सकें। अस्पताल पहुंचे एक मरीज के तीमारदार ने तीमारदारों को 108 एंबुलेंस के लिए फोन करने की सलाह दी। टोल फ्री नंबर पर फोन कर 108 एंबुलेंस मंगवाई। एंबुलेंस कर्मचारी ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बहादराबाद में आने का आश्वासन दे दिया।
जब गर्भवती और उनके तीमारदार अस्पताल के पास ही सड़क पर एंबुलेंस का इंतजार करने लगे। गर्भवती प्रसव की पीड़ा नहीं सहन कर सकी और सड़क पर ही उसने नवजात को जन्म दे दिया। आसपास के दुकानदारों ने तीमारदारों की मदद की और एक खोखे की आड़ में गर्भवती का प्रसव करवाया। नवजात के पैदा होने के काफी समय बाद एंबुलेंस 108 पहुंची थी
फिर दुकानदारों की मदद से जच्चा और बच्चे को सुरक्षित महिला अस्पताल पहुंचाया। सीएचसी अधीक्षक डॉ. सुबोध जोशी ने बताया की मामला उनकी जानकारी में नही है। अस्पताल पर स्टाफ मौजूद रहता है। गर्भवती महिलाओं की यथास्थिति देखकर अस्पताल कार्रवाई करता है और एंबुलेंस से महिला अस्पताल रेफर करता है। अस्पताल में किसी कर्मचारी ने लापरवाही की है तो जांच कर कार्रवाई की जाएगी।