स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत अपने उत्तराखंड में तीन अस्पतालों में धक्के खाने के बाद खटीमा की इस महिला को अस्पताल के गेट के बाहर ही बच्चे को जन्म देना पड़ा ..
हल्द्वानी।
सरकारी अस्पतालों की संवेदनहीनता एक बार फिर सामने आई है। पहले खटीमा और फिर हल्द्वानी में दो सरकारी अस्पतालों ने गर्भवती को इलाज देने के बजाय उसे यहां.वहां दौड़ाया। प्रसव पीड़ा से जूझ रही गर्भवती को मजबूरी में शनिवार तड़के महिला अस्पताल के गेट के बाहर ही बच्चे को जन्म देना पड़ा।
बहरहाल, सरकारी अस्पतालों की यह लापरवाही झेलने वाले जच्चा.बच्चा सुरक्षित हैं। इधर, मामले में विभागीय अधिकारियों ने जांच करने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया है।
खटीमा निवासी प्रीति को शुक्रवार को प्रसव पीड़ा होने पर परिजन खटीमा के ही एक सरकारी अस्पताल में भर्ती कराने ले गए, जहां डॉक्टर ने प्रीति की जांच कर परिजनों को ऑपरेशन कराने की सलाह दी। लेकिन साथ ही यह भी बताया कि उनके अस्पताल में एनेस्थेटिक डॉक्टर छुट्टी पर हैं।
ऐसे में पति मनोज कुमार और परिजन उसे हल्द्वानी सुशीला तिवारी अस्पताल लेकर आए। शुक्रवार आधी रात को यहां एक डॉक्टर ने उनसे यह कह दिया कि ऑपरेशन नहीं, नॉर्मल डिलीवरी होगी। लेकिन प्रीति ने प्रसव पीड़ा का हवाला देकर डॉक्टरों से ऑपरेशन करने की गुहार लगाई, मगर डॉक्टर अपनी बात पर कायम रहे।
इस बीच उसे अस्पताल में ही भर्ती कराया दिया गया। अत्यधिक प्रसव पीड़ा से परेशान प्रीति डॉक्टरों द्वारा बार-बार चेकअप किए जाने से परेशान होने लगी। पति मनोज कुमार ने बताया कि यह बात डॉक्टरों को नागवार गुजरी और उन्होंने प्रीति को वहां से डिस्चार्ज कर दिया।
आरोप लगाया कि डॉक्टरों ने उन्हें धोखे में रखकर डिस्चार्ज पेपर पर साइन करा लिए। वे पत्नी को भर्ती कराने के लिए कई बार गिड़गिड़ाए, लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी।
मजबूरी में प्रीति को रात 3 बजे राजकीय महिला अस्पताल ले आए। मनोज ने बताया कि एसटीएच में चेकअप कराने की बात पता चलते ही महिला अस्पताल के स्टाफ ने उन्हें भर्ती करने से मना कर दिया।
असहनीय दर्द के चलते प्रीति ने अस्पताल के गेट के बाहर ही बच्चे को जन्म दे दिया। महिला अस्पताल के स्टाफ को जब यह पता चला तो वे बच्चे को लेकर चले गए, लेकिन प्रीति की कोई सुध नहीं ली।
प्रीति अस्पताल आई थी। जांच में बच्चे की धड़कन सही नहीं चल रही थी। ऐसे में जच्चा.बच्चा को नुकसान की आशंका थी। निश्चेतक छुट्टी पर थे, इसलिए प्रीति को 108 की मदद से रेफर किया था।
डॉ सुषमा नेगी, एमएस खटीमा उप जिला चिकित्सालय।’
यह संवेदनशील मामला है, इसकी जांच की जाएगी। अस्पताल के स्टाफ ने ऐसा क्यों किया, इसके बारे में भी जानकारी ली जाएगी। जांच में दोषी स्टाफ पर विभागीय कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।.डॉ ऊषा जंगपांगी,
सीएमएस, महिला अस्पताल हल्द्वानी।
खटीमा निवासी गर्भवती के महिला अस्पताल के बाहर बच्चे को जन्म देने के मामले की जांच की जा रही है। जांच में मामला सही मिलने पर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
डा़ भागीरथी जोशी, सीएमओ, नैनीताल’
खटीमा की गर्भवती महिला रात को सुशीला तिवारी अस्पताल में आई थी। उसको भर्ती किया गया था। बाद में परिजन उसके निजी अस्पताल में इलाज की बात करते हुए खुद यहां से चले गए।
डॉ अरुण जोशी, प्राचार्य, राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी।’