मानव और वन्यजीवों को जीने के लिए संघर्ष की इस कोशिश में दोनों ही लगातार जान गंवा रहे हैं। प्रदेश में सबसे अधिक गुलदार के हमले सामने आ रहे हैं।
पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में मानव-वन्यजीव संघर्ष में इस साल अब तक 30 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
वही अकेले 16 लोगों की जान गुलदार ले चुका है
आपको बता दे कि मानव और वन्यजीवों के बीच बढ़ते टकराव की वजह से नुकसान दोनों को ही हो रहा है। जिसको लेकर वन महकमा और विशेषज्ञ भी चिंतित हैं। वन विभाग ने इन घटनाओं को रोकने लिए कुछ प्रयास तो किए हैं, लेकिन वह नाकाफी साबित हो रहे हैं।
मानव और वन्यजीवों को जीने के लिए संघर्ष की इस कोशिश में दोनों ही लगातार जान गंवा रहे हैं। उत्तराखंड में सबसे अधिक गुलदार के हमले सामने आ रहे हैं। जनवरी 2021 से चालू माह जुलाई तक अगर 16 लोगों की गुलदार ने जान ली है
तो सात गुलदारों को अपनी जान देकर इसकी कीमत भी चुकानी पड़ी।
इन्हें मनुष्यों पर हमला करने और जान लेने पर आदमखोर घोषित कर मारा गया। पिछले एक सप्ताह में ही टिहरी और रुद्रप्रयाग में दो गुलदार आदमखोर घोषित कर मारे गए। इन्होंने अलग-अलग घटनाओं में दो लोगों की जान ली थी।
वन्यजीवों के हमले में इस साल 30 लोग मारे गए
गुलदार के हमले में मारे गए लोग- 16
हाथी के हमले में मारे गए लोग- 05
टाइगर के हमले में मारे गए लोग- 02
सांप के हमले में मारे गए लोग- 06
जंगली सूअर के हमले में मारे गए लोग- 01
कुल मारे गए लोग – 30
वन्यजीवों के हमले में घायल हुए 64 लोग
गुलदार के हमले में घायल हुए लोग- 23
हाथी के हमले में घायल हुए लोग- 07
टाइगर के हमले में घायल लोग- 03
सांप के हमले में घायल लोग- 04
जंगली सूअर के हमले में घायल हुए लोग- 05
भालू के हमले में घायल हुए लोग- 22
कुल घायल हुए लोग – 64
बहराल जिस तरह मानव और वन्यजीवों के बीच ये जो सघर्ष चला रहा यदि इसका जल्द हल ना निकाला गया तो आगे परिणाम ओर अधिक भयानक होंगे
जरा इधर भी नज़र डालिये
2001 से अब तक मारे गए 1467 गुलदार
साल 2001 से अब तक अलग-अलग कारणों से प्रदेश में 1467 गुलदार की मौत हुई है। इनमें से 72 गुलदार को मनुष्यों
पर हमला करने के बाद आदमखोर घोषित कर मारा गया। इस साल चालू माह तक ऐसे सात गुलदारों को मौत के घाट उतारा गया।
साल 2021 में अब तक कुल 63 गुलदार की मौत हुई है। इनमें दो गुलदार अज्ञात दुर्घटना में, चार सड़क दुर्घटना में, 14 आपसी संघर्ष में, 17 की स्वभाविक मौत हुई, जबकि 19 गुलदार अज्ञात मौत मरे।
वन विभाग की ओर से मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए बड़े स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन उनका बहुत ज्यादा प्रतिफल सामने नहीं आ रहा है। खासकर गुलदार हमलों लगातार तेजी आई है।
वन मुख्यालय के अफसरों का कहना है कि गुलदारों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए इनकी अधिक आबादी वाले क्षेत्रों में कैमरा ट्रैप लगाने के साथ कुछ गुलदार को डीओ कॉलर भी लगाए गए हैं। देहरादून स्थित वन्यजीव संस्थान के वैज्ञानिक भी मानव-गुलदार के इस संघर्ष को कम करने के उपायों पर काम कर रहे हैं। पर असर दिखाई नही दे रहा है