
उत्तराखण्ड में सहकारिता बैंक भर्ती घोटाला: सरकार की नीयत साफ है तो पिछले पांच साल से सहकारिता विभाग देख रहे काबीना मंत्री डॉ. रावत को दोबारा यही विभाग क्यों दिया गया है? जांच की निष्पक्षता के लिए मंत्री धन सिंह रावत को तत्काल इस विभाग से हटाया जाना चाहिए!!
सबसे बड़ी ख़बर : :-सहकारिता बैंक भर्ती घोटाले को लेकर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा मंत्री धन सिंह को हटाओ सहकारिता विभाग से
उत्तराखण्ड में सहकारिता बैंक में भर्ती घोटाला अब लगातार आग की तरह फैल कर तूल पकड़ता जा रहा है
आरोप है कि सरकारी पक्ष इस मामले में लीपापोती करने में जुटा है
वही कांग्रेस ने सहकारी बैंक भर्ती घपले में धामी सरकार को कठघरे में करते हुए विधानसभा की सर्वदलीय जांच कमेटी बनाने की मांग की।
साथ ही विभागीय मंत्री डॉ. धन सिंह रावत को तत्काल पद से हटाने की पैरवी भी की।
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि सरकार इस भर्ती घोटाले के मुख्य सूत्रधारों को बचाने की कोशिश कर रही है।
कांग्रेस के निर्वतमान अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने गुरूवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि सहकारी बैंक घपले ने भाजपा के भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टालरेंस के दावे की कलई खोल दी है। खुद भाजपा के लोग भी इन भर्तियों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते रहे हैं।
गोदियाल ने कहा कि सरकार इस मामले को दबाने की कोशिश कर रही है। यदि सरकार की नीयत साफ है तो पिछले पांच साल से सहकारिता विभाग देख रहे काबीना मंत्री डॉ. रावत को दोबारा यही विभाग क्यों दिया गया है?
जांच की निष्पक्षता के लिए उन्हें तत्काल इस विभाग से हटाया जाना चाहिए।
केंद्रीय स्तर पर बनने वाली संयुक्त संसदीय कमेटी (जेपीसी) की तर्ज पर विधानसभा की संयुक्त कमेटी बनाई जाए।
इसमें भाजपा, कांग्रेस, बसपा, निर्दलीय सभी विधायकों को शामिल किया जाए।
इस कमेटी की निगरानी में जांच होने पर ही दूध का दूध और पानी पानी का हो सकता है। यदि सरकार ने जल्द कदम न उठाया तो कांग्रेस सरकार के खिलाफ आंदोलन करेगी। कांग्रेस के निवर्तमान अध्यक्ष गणेश गोदियाल का कहना है कि में इस विषय में जल्द ही विधानसभा अध्यक्ष से भी मिलने जा रहा हूं। सहकारी बैंक भर्ती के साथ ही विधानसभा में की गई नियुक्तियों का मामला भी उनके सामने रखा जाएगा
वही सूत्र बताते है कि मुख्यमंत्री धामी इस पूरे मसले पर नज़र बनाये बेठे है और उन्होंने ही इसकी जांच के आदेश दिये और जरूरत होगी तो एस आई टी से भी जांच कराई जाएगी
पर जो सवाल उत्तराखण्ड खड़ा हो रहा है वो यही कि यदि धामी सरकार की नीयत साफ है तो पिछले पांच साल से सहकारिता विभाग देख रहे काबीना मंत्री डॉ. रावत को दोबारा यही विभाग क्यों दिया गया है?
जांच की निष्पक्षता के लिए उन्हें तत्काल इस विभाग से हटाया जाना चाहिए ये आवाज़ अब उठने लगे गई है जो दिल्ली तक भी पहुच गई है