बरतोली गांव से ग्राउंड जीरो से जितेंद्र पवार की रिपोर्ट आज आपको बोलता उत्तराखण्ड तब की बात बता रहा हैं जब राज्य का गठन नही हुवा था यानी हम उत्तरप्रदेश का हिसा थे ये उन दिनों की बात है। तारीख
30 अप्रेल साल 1999 रोज की तरह 14 वर्षीय बीना अपनी सहेलियों के साथ जंगल गयी थी । बीना ने देखा कि जंगल धू धू कर जल रहे है । नीला सा दिखने वाला आसमान काला दिखने लगा । सूरज की रोशनी ठीक से धरती पर नही पहुच पा रही थी । आग की लपटो को देखकर बीना की सहेलियाँ भागने लगी मगर बीना ने आग को बुझाने का संकल्प ले लिया और तुन की टहनियों का झाड़ू बनाकर बीना आग को बुझाने लगी जब बीना ने अकेले जंगल की आग बुझा ली थी तो अचानक बीना को आग ने अपने आगोस में ले लिया बीना की चीख पुकार सुन वहां मौजूद बीना को उसकी सहेलियों ने आग से बाहर निकला मगर तब तक बीना झुलस चुकी थी । ग्रामीणों की मदद से बीना को कर्णप्रयाग अस्पताल में भर्ती किया गया । 12 दिनों तक बीना मौत और जिंदगी से लड़ती रही अचानक एक दिन बीना की तबियत बिगड़ी और बीना ने 12 मई 1999 को इस दुनिया से अलविदा कह दिया यह पूरा मामला कर्णप्रयाग तहसील से 40 किलोमीटर दूर बरतौली ( तोलसैंण ) गांव का है ।
बीना की मौत से इतना तो साफ़ हो गया कि तमाम संसाधनों के वावजूद जो उस वक़्त जो काम वन महकमा नही कर पाता है वो बीना ने कर दिखाया था जब बोलता उत्तराखण्ड के रिपोर्टर बारतोली गांव स्थित बीना के घर पहुचे तो बीना की माँ के आँखों से निकले आंसुओ ने बीना के दर्द को बयां कर दिया । स्व0 बीना के पिता ने बताया कि बीना तब कक्षा 7वीं की छात्रा थी जब उसने यह बलिदान दिया मगर अफ़सोस इस बात का है कि आज तक सरकारो ने बीना के नाम से कोई भी ऐसा कार्य नही किया जिससे बीना के बलिदान को लोग याद रखे हा वन विभाग द्वारा बनाया गया एक स्मारक जो कि आज खुद अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा हैं जो जीर्ण शीर्ण स्थिति में है । बीना के नाम से बना स्कूल का नाम भी सरकारी अभिलेखों से हटकर सिर्फ विद्यालय के गेट तक सिमट कर रह गया । क्षेत्रीय लोगो की पहल पर 12 मई को एक मेला किया जाता है । लोक जाग्रति संस्था की सराहना करते हुए बीना के पिता ने बताया कि संस्था बीना के नाम से कार्यक्रम करवाती है मगर सरकारो ने बीना के नाम पर कुछ नही किया । बोलता उत्तराखण्ड को यह सब कुछ बताते बताते बीना के पिता की आँखे भी छलक उठी ।
अब बोलता हैं उत्तराखण्ड कि हसीन डबल इज़न जी सरकार आज तक 17 सालो से जो इंसाफ बीना को नही मिल पाया , उनके माता पिता को जो समान नही मिल पाया वो आपको देना होगा बोलता उत्तराखण्ड आप से कहता हैं कि हैं सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ भी आपकी पहल हैं वन लगाओ जंगल बचाओ भी आपकी पहल हैं अब ऐसे में पहाड़ की बेटी स्वगीय बीना की आत्मा को शांति तभी मिलेगी जब आप उचित कार्य पहाड़ के लिए करेगे ओर बीना के माता पिता को जिनकी आंखों से आज भी आँसू छलक जाते हैं बीना का नाम जुवा पर आते ही आप उनका समानं करेगे ये उम्मीद डबल इज़न की सरकार से ताकि जहा 17 साल तक किसी की नज़र नही पढ़ी वहां आपकी जाए और पहाड़ के लोगो को एक बार फिर विस्वास हो जाये कि ये सरकार उनकी हैं और जंगल हरे वनों की रक्षा करना उनका कर्तव्य क्योकि आज़ जंगल किस तरह जल रहे हैं वन संपदा को नुकसान पूरे प्रकति के चक्र का बिगड़ना सरकार सब जानती हैै
सीएम सर बीना को इंसाफ दिला दो ,18 साल बीत गए है बीना के माता पिता आज भी निराशा
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