है विधाता तूने ये क्या किया
इस महीने 17 अक्तूबर को उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में क्यूंजा घाटी के युद्धवीर सिंह रावत के घर में उनकी इकलौती बेटी दीक्षा के विवाह की चहलपहल रहनी थी, लेकिन आज वहा विवाह की खुशियों के घर में मातम पसरा हुवा है दुःखद
घर पर जिस लाडो की डोली उठने की तैयारियां चल रही थी,
आज उस आंगन से
अर्थी उठ गई
है विधाता जो खुशी के आंसू लाडो की विदाई में बहने थे वो उसकी मौत पर चीख रहे है उफ
भगवान
युद्धवीर के परिवार पर ऐसा कहर टूटा कि बेटी के साथ ही उनका बेटा भी इस हादसे का शिकार हो गया।
जहा कुछ दिन बाद शहनाई की गूंज होनी थी वहां अब सिर्फ रोने की चीखें सुनाई दे रही हैं ओर हमारे पास लिखने के लिए शब्द नही
बता दे कि देहरादून से वाया टिहरी होते हुए रुद्रप्रयाग जा रही मैक्स बुधवार तड़के लगभग तीन बजे टिहरी बांध की झील में समा गई। ओर इस हादसे के बाद से अगस्त्यमुनि विकासखंड के क्यूंजा घाटी के मोली और जाबरी गांव में मातम पसरा हुआ है
देहरादून से 29 सितंबर की रात को अपने घर के लिए जाबरी गांव के अवतार सिंह के वाहन में सवार हुए दीक्षा, अभिषेक और आशीष को क्या मालूम था कि ये उनका आखिरी सफर होगा दुःखद
जानकारी अनुसार
वाहन में बैठने के दौरान दीक्षा और अभिषेक की माता-पिता से हुई आखिरी बातचीत के बाद अगली सुबह परिजन घर में उनका इंतजार कर रहे थे, लेकिन दिन चढ़ने के साथ परिजनों की चिंता बढ़ने लगी। जैसे ही सूचना मिली कि टिहरी के समीप कोई वाहन दुर्घटनाग्रस्त है, वे दौड़े-दौडे़ मीलों दूर दुर्घटनास्थल पर पहुंचे और झील के किनारे ताकते रहे। तो मोली गांव में दीक्षा के घर में मां और दादी का रो-रोकर बुरा हाल है
अपनी इकलौती बेटी के विवाह की तैयारियों को याद करते हुए मां की आंखें सूख गई हैं।
तो बुजुर्ग दादी अपने नातिन और नाती को याद कर रही है। सांत्वना देने के लिए लोग घर पर आ रहे है लेकिन किसी के मुंह से बोल नहीं फूट रहे हैं।
तो मोली गांव के कुंवर सिंह रावत के घर का हाल भी ऐसा ही है। यहां माता-पिता अपने बेटे की याद में रो-रोकर बेसुध हो रहे हैं दुःखद जो गांव कुछ दिनों में शादी के उल्लास में झूमने वाला था। वहां, हर किसी की आंखें भरी हुई हैं गम के साये में पूरी घाटी है
जानकरीं है कि दीक्षा पॉलीटेक्निक करने वाले अपने छोटे भाई अभिषेक के साथ बीते मई में देहरादून चली गई थी। यहां अभिषेक और दीक्षा का बड़ा भाई रहता है, लेकिन वह लॉकडाउन में घर लौट आया था। ओर दीक्षा ने इन दिनों शादी के लिए अपनी शॉपिंग भी कर ली थी।
वही जाबरी गांव के तीन अबोध बच्चों के सिर से भी पिता का साया उठ गया है। सात वर्ष, पांच वर्ष और डेढ़ वर्ष की उम्र के इन बच्चों के पिता अवतार सिंह वाहन चला रहे थे, लेकिन रात के अंधेरे में वाहन पैराफिट तोड़ते हुए झील में समा गया। अवतार सिंह राणा कुछ वर्ष पूर्व आईटीबीपी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर घर लौटे थे।
बोलता उत्तराखंड इस जानकारीं को लिखते हुए खुद भी रो रहा है…
है भगवान तू ऐसा क्यो करता है
इन हादसे को सुनकर
दिल रो रहा है मेरा
तो उनका क्या हाल होगा
जिन्होंने अपना बेटा,बेटी,पिता को खो दिया
भगवान उन माता पिता को शक्ति दे