हरिद्वार महाकुंभ के दौरान कोविड-19 जांच फर्जीवाड़े में फंसे डॉ. लालचंदानी लैब दिल्ली की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद नैनीताल हाईकोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने रोक लगाते हुए उन्हें 26 जून को आईओ के समक्ष पेश होने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने उन्हें जांच में सहयोग करने को भी कहा है।न्यायमूर्ति एनएस धानिक की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।
मामले के अनुसार लैब की ओर से आंचल गुप्ता लालचंदानी, अर्जन लालचंदानी और मोहित लालचंदानी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अपनी गिरफ्तारी पर रोक लगाने व उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को निरस्त करने की मांग की थी। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि उन्हें कुंभ मेले में टेस्ट करने के लिए मैक्स कॉरपोरेट की ओर से कार्य दिया गया था, जिसे सही तरीके से किया गया और उसका सारा रिकॉर्ड उनके पास मौजूद है।
याचिकाकर्ता की ओर से रिकॉर्ड को कोर्ट के समक्ष पेश भी किया गया। कहा कि उनका लैब आईसीएमआर से मान्यता प्राप्त है। उनका मैक्स के साथ टेस्ट करने का अनुबंध हुआ था, न कि कोविड पीड़ितों के रजिस्ट्रेशन का। उन्हें जो सैंपल जांच के लिए उपलब्ध कराए गए, उनकी ही जांच की गई, जिसका पूरा रिकार्ड मैक्स, उत्तराखंड सरकार को उपलब्ध करा दिया गया है।
बाकी हमारा इनसे किसी भी तरह का कोई अनुबंध नहीं हुआ है। मालूम हो कि मुख्य चिकित्साधिकारी हरिद्वार ने पुलिस में कोविड जांच फर्जीवाड़े में मुकदमा दर्ज करते हुए आरोप लगाया है कि कुंभ मेले के दौरान लैब की ओर से खुद को लाभ पहुंचाने के लिए फर्जी तरीके से टेस्ट किए गए।