आपको बता दे कि उत्तराखंड शासन की ओर से 2021-22 को शून्य तबादला सत्र घोषित किए जाने के बावजूद शिक्षा विभाग में गुपचुप तरीके से तबादलों का खेल जारी है। ताजा मामला रामनगर स्थिति उत्तराखंड बोर्ड का है। कहा जा रहा है कि विभाग में कैंसर पीड़ित एवं अन्य जरूरतमंद शिक्षकों के तबादले नहीं हो रहे हैं, लेकिन चहेतों को मनमाफिक तैनाती दी जा रही है।
शिक्षा विभाग में जिसकी पहुंच नहीं है उसकी कोई सुध लेने वाला नहीं है। यही वजह है कि कैंसर पीड़ित एवं दुर्गम और अति दुर्गम स्कूलों में 15 से 20 वर्षों से कार्यरत शिक्षक तबादला एक्ट बनने के बाद भी सुगम क्षेत्र के स्कूलों में नहीं आ पा रहे हैं। वहीं विभाग में सिफारिशी शिक्षकों के तबादलों का सिलसिला जारी है। विभाग में हाल ही में दो शिक्षकों के तबादलों के बाद अब दो अन्य शिक्षकों का नैनीताल एवं उत्तरकाशी के दुर्गम क्षेत्र के स्कूलों से रामनगर बोर्ड में शोध अधिकारी के पद पर तबादला कर दिया गया है।
विभागीय सूत्रों के मुताबिक शोध अधिकारी के पद पर जिन दो शिक्षकों के तबादले किए गए हैं उसमें शैलेंद्र जोशी नैनीताल के दुर्गम क्षेत्र के स्कूल में कार्यरत थे। जिन्हें चार साल पहले शिकायत प्रकोष्ठ शिक्षा निदेशालय देहरादून में लाया गया, लेकिन वह तभी से शिक्षा मंत्री के स्टाफ में कार्यरत थे। जबकि एक अन्य शिक्षक रामचंद्र पांडे का उत्तरकाशी से रामनगर बोर्ड में तबादला किया गया है।
वही
राजकीय प्राथमिक विद्यालय बिरमोली जिला पौड़ी में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत कैंसर पीड़ित जय प्रकाश बहुखंडी एवं उनकी तरह के अन्य शिक्षकों की कोई सुध लेने वाला नहीं है।
बहुखंडी के मुताबिक वह जुलाई वर्ष 2020 से तबादले के लिए विभाग के चक्कर काट रहे हैं। इसके लिए वह मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री, मुख्य सचिव के साथ ही क्षेत्रीय विधायक हरक सिंह रावत को लिख चुके हैं। उनका कहना है कि यदि उनका तबादला नहीं हो सकता तो उन्हें इलाज कराने तक देहरादून के किसी स्कूल में अटैच किया जाए, लेकिन किसी ने उनकी सुध नहीं ली। इसी तरह कई ऐसे शिक्षक हैं जो पिछले 20 साल से दुर्गम क्षेत्र के स्कूलों में हैं।
सुना है मामला मंत्री से जुड़ा होने से चुप्पी साधे हैं अधिकारी
शिक्षकों के तबादले का मामला शिक्षा मंत्री से जुड़ा होने की वजह से विभागीय अधिकारी मामले में चुप्पी साधे हैं। शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम का कहना है कि मामले को दिखवाया जाएगा। वहीं प्रयास के बाद भी इस मामले में शिक्षा मंत्री से संपर्क नहीं हो सका।
तबादला एक्ट बनने के बावजूद शिक्षकों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। शून्य तबादला सत्र में हाल ही में दो शिक्षकों के बाद अब दो अन्य शिक्षकों के तबादले कर दिए गए हैं। इस तरह से तबादले किए जाने से शिक्षकों में नाराजगी है ये कहना है
केके डिमरी का जो प्रदेश अध्यक्ष है राजकीय शिक्षक संघ के