घी संग्रांद के साथ हुआ धाद का हरेला माह समापन – पौड़ी के विद्यादत्त शर्मा को मिला 2020 का जसोदा देवी नवानी हरेला सम्मान, हिमालयी अनाजों के साथ आम समाज को जोड़ने के लिए “फँची” मुहिम प्रारम्भ ।

घी संग्रांद के साथ हुआ धाद का हरेला माह समापन
– पौड़ी के विद्यादत्त शर्मा को मिला 2020 का जसोदा देवी नवानी हरेला सम्मान-
– हिमालयी अनाजों के साथ आम समाज को जोड़ने के लिए “फँची” मुहिम प्रारम्भ ।

अस्थल गांव स्थित स्मृति वन में उत्तराखंड के धन-धान्य के पर्व घी संग्रांद के सांकेतिक आयोजन के साथ धाद ने हरेला माह का समापन किया । कार्यक्रम में सीमित संख्या में संस्था के सदस्यों के साथ आयोजित समारोह में इस वर्ष का जसोदा देवी हरेला सम्मान कल्जीखाल ब्लॉक ( पौड़ी गढ़वाल ) के विद्यादत्त शर्मा को दिया जाने की घोषणा की गयी। पुरस्कार के अंतर्गत 51000 रुपए की सम्मान राशि एवम् मान पत्र विद्यदत्त शर्मा जी को स्थिति सामान्य होने पर सार्वजनिक रूप से दिया जाएगा

आयोजन का शुभारम्भ करते हुए केंद्रीय अध्यक्ष लोकेश नवानी ने कहा, कि उत्तराखंड में उत्पादकता एक बड़ा सवाल है और बेहतर कृषि बड़ी संख्या में रोज़गार सृजन कर सकती है. नदी, जंगल, हवा, सूरज ये इंसान के सबसे पहले स्त्रोत है और धरती सबसे पहला संसाधन है। जसोदा देवी सम्मान हर उस व्यक्ति को सम्मान देने की कोशिश है, जो कृषि या काश्तकारी के माध्यम से उत्पादन के क्षेत्र में अनूठे काम कर रहे हैं। 2017 में स्थापित यह सम्मान अब तक सुधीर सुन्दरियाल, प्रेमचंद शर्मा और अनूप पटवाल दिया जा चूका है । यह उनके पर्वतीय कृषि क्षेत्र में निरंतर कार्य करने और नए प्रयोग करने के लिए दिया जा रहा है। जब हमारी आबादी का श्रमशील आयु वर्ग का अधिकांश युवा रोजी-रोटी के लिए खेती-किसानी को छोड़ अन्यत्र जा रहा था तब उन्होंने अपनी मिट्टी से जुडे रहने को एक आर्थिक विकल्प के रूप में अपनाया और 60 साल इसी संकल्प पर टिके रहे। कृषि भी उद्यमिता है लेकिन कृषि आधारित उद्यमिता और नए प्रयोगों पर न तो समाज खास ध्यान नहीं दे रहा है। यदि उत्तराखण्ड को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना है तो कृषि आधारित उद्यमिता को प्रोत्साहित करना होगा, उसका सम्मान करना होगा।

हरेला माह के आयोजन के बारे में बताते हुए धाद के सचिव तन्मय मंमगाईंने कहा कि कोरोना महामारी के दौर में जब सार्वजनिक आयोजन संभव नहीं थे तब संस्था ने ऑनलाइन फेसबुक वार्ताओं के जरिये ये अलख जगाये रखने का विचार किया । इस पूरे माह में विभिन्न विषयों के विशेसज्ञ और सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ चर्चा लोक भाषा के आयोजन के साथ हिमालयी अन्न के पक्ष में ऑनलाइन आयोजन की श्रंखला आयोजित की और उनके पक्ष में एक माहौल बनाने का प्रयास किया गया । इस वर्ष हरेला उत्तराखंड के साथ मुंबई, हैदराबाद, दिल्ली जैसे कई अन्य शहरों में कौथिग_फाउंडेशन मुंबई,उत्तराखंड भ्रातृमंडल सोलन (हिमाचल),राष्ट्रीयउत्तराखंड सभा अमृतसर,उतराखंड कल्याणकारी संस्था हैदराबाद अखिल गढ़वाल सभा देहरादून कुर्मांचल परिषद देहरादून क्रिएटिव उत्तराखंड रुद्रपुर के साथ मिलकर आयोजित किया गया ।
, वृक्ष लगाकर धरा सजाएँ, अन्न हिमालय का अपनाएँ के नारे के साथ हिमालायी अनाजों के प्रयोग एवम उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिये इस वर्ष धाद ने “फंची” की मुहीम प्रारम्भ की, जिसमें कोई भी व्यक्ति 100, 200 या 500 रुपए में उत्तराखंड के अनाजों को पा सकता है। उन्होंने बताया कि संस्था का प्रयास है कि पर्वतीय कृषि और उत्पादकता के पक्ष में काम कर रहे सभी उद्यमियों के लिए एक बेहतर माहौल बनाया जा सके.
इसके बाद कार्यक्रम में डी सी नौटियाल, हर्षमणि व्यास, विजय जुयाल, प्रभाकर देवरानी, गणेश उनियाल, राजीव पान्थरी, किशन सिंह , विकास बहुगुणा, नीलमप्रभा वर्मा, मीनाक्षी जुयाल, डॉ मधु थपलियाल, साकेत रावत, शान्ति प्रकाश ,विनोद, लीला बहुगुणा, अनुव्रत नवानी, तन्वी पाल आदि मौजूद रहे । कार्यक्रम का संचालन रविन्द्र नेगी ने किया।
विद्यादत्त शर्मा को चौथा हरेला सम्मान
धाद ने पर्वतीय क्षेत्रों में उत्पादकता और कृषि आणरित उद्यमिता के लिए दिया जाने वाले वर्ष 2020 के हरेला सम्मान की घोषणा कर दी है। चैथे वर्ष का यह सम्मान ग्राम सागुड़ा, कल्जीखाल ब्लाक के विद्यादत्त शर्मा जी को प्रदान किया जा रहा है। धाद एक समृ( और खुशहाल उत्तराखण्ड की परिकल्पना करती है और पर्वतीय क्षेत्रों की उत्पादकता के सवाल को वर्ष 2010 से उठा रही है। धाद चाहती है कि उत्तराखण्ड एक सुन्दर मानवीय आवास भी बने। धाद हरेला को उत्पादकता, खुशहाली और समृद्धि और खुशहाली का पर्व मानकर हर वर्ष उसका आयोजन कर रही है। और धाद ने उत्पादकता को बढ़ावा देने और इन कार्यों में मिशन भावना से काम कर रहे लोगों को हरेला सम्मान की स्थापना की है। इस सम्मान के तहत सम्मानित व्यक्ति को रु. 51 हजार की धनराशि, एक अंगवस्त्रम् और एक मानपत्र प्रदान किया जाता है। वर्ष 2017 में यह सम्मान सुधीर सुन्द्रियाल को उनके चैबट्टाखाल क्षेत्र में पर्वतीय ग्राम्य विकास की मूल अवधारणा पर काम करने के लिए, वर्ष 2018 का सम्मान त्यूणी, हटाल के किसान प्रेमचन्द शर्मा को अनार की बागवानी के लिए और 2019 का सम्मान कुणजोली में कीवी का बाग लगाने के लिए अनूप पटवाल को प्रदान किया गया था।
इस वर्ष का सम्मान विद्यादत्त शर्मा जी को दिया जा रहा है। वे वर्ष 1967 में राजस्व विभाग की सर्वेयर की सरकारी नौकरी से त्यागपत्र देकर लगभग 60 वर्षों से कृषि आधारित उत्पादकता पर काम कर रहे हैं। वे तब 25 वर्ष के थे। पहाड़ में सिंचाई एक समस्या है अतः उन्होंने 1976 में वर्षा के जल को एकत्र करने के लिए सुखदेई जलाशय का निर्माण किया और अपने काम की शुरुआत की। उन्होंने अपने गांव सांगुड़ा में लगभग एक हैक्टेअर में न केवल फलों के पौधे लगाए बल्कि सब्जी उत्पादन कर उत्पादकता की एक मिसाल कायम कीे। इसे उन्होंने मोतीबाग नाम दिया। उन्होंने 23 किलोग्राम की मूली का उत्पादन कर एक रिकार्ड भी बनाया है जो लिम्का बुक आॅफ रिकार्डस् में दर्ज है। समाज को समृद्ध और खुश हाल बनाने के हर विचार और कोशिश का अपना मूल्य है। हम विद्यादत्त शर्मा जी की कोशिशों को सही दिशा में पाते हैं इसलिए धाद ने उनको वर्ष 2020 के सम्मान के लिए चुना है। उन्होंने प्रमाणित कर दिखाया कि हमारे संसाधन हमारे रोज़गार का एक पक्का और शानदार विकल्प है। वे उम्मीद की एक किरन जगाते हैं। वे इस क्षेत्र में एक वातावरण बनाने में कामयाब हुए हैं। वे अपने भूगोल से डरकर भागते समाज को कृषि आधरित उत्पादकता का एक रास्ता दिखाते हैं। यह कृषि आधारित उत्पादकता के प्रति उनकी निष्ठा, समर्पण और मिशन भावना का सम्मान है। धाद उन्हें एक उत्पादक, आत्मनिर्भर और समृद्ध समाज का निर्माण करने के लिए किए गए उनके निरंतर प्रयासों के लिए भी सम्मानित कर रही है। उम्मीद है समाज उनका अनुकरण करेगा। इस समय वे 84 साल के है। उनके इस काम लघु फिल्म मोतीबाग भी बनी है।
क्योंकि यह सम्मान कोविड-19 के संकट के कारण सामाजिक आयोजन संभव नहीं हैं अतः इस संकट के सामान्य होने पर एक सम्मान समारोह में उन्हें यह सम्मन प्रदान किया जाएगा। इस सम्मान के निर्णायक मण्डल में प्रोफेसर एम सी सती, अर्थशास्त्र विभाग, हे. न. ब. गढ़वाल विश्वविद्यालय, रिषिकान्त ममगाई नोएडा, लोकेश नवानी और तन्मय ममगाईं थे।

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