पावन जयंती 6 अप्रैल पर विशेष माता श्री राजेश्वरी देवी करुणा ज्ञान एवं वात्सल्य की प्रतिमूर्ति।

पावन जयंती 6 अप्रैल पर विशेष माता श्री राजेश्वरी देवी
करुणा ज्ञान एवं वात्सल्य की प्रतिमूर्ति।

देवभूमि उत्तराखंड प्राचीन काल से ही ज्ञान भक्ति योग साधना समाजसेवी तथा रणबांकुरे की जन्म एवं कर्म स्थली रही है।
इस पावन भूमि ने वीर चंद्र सिंह गढ़वाली तीलू रौतेली पंडित गोविंद बल्लभ पंत योगराज श्री हंस जी महाराज समाजसेवी डॉ स्वामी राम श्री भक्त दर्शन श्री हेमवती नंदन बहुगुणा श्री नारायण दत्त तिवारी तथा कवि सुमित्रानंदन जैसी अनेक महान विभूति को जन्म दिया
जिन्होंने अपने व्यक्तित्व तथा सत्कर्म द्वारा पूरी दुनिया में उत्तराखंड का नाम रोशन किया ।
उत्तराखंड में जन्मे ऐसे ही महापुरुषों की श्रद्धा में एक नाम है आध्यात्मिक विभूति विचारक एवं समाज सेवी माता श्री राजेश्वरी देवी का।
जिन्हें देश-विदेश में फैले उनके करोड़ों भगत जगत जननी माता के नाम से भी पुकारते हैं दया करुणा ज्ञान एवं वासिलि की प्रतिमूर्ति माता श्री राजेश श्रीदेवी का जन्म पौड़ी गढ़वाल जिले के अंतर्गत मेल गांव पट्टी तलाई में 6 अप्रैल 1932 को हुआ, उनके पिता श्री गोपाल सिंह तथा माता श्रीमती चंद्रा देवी धार्मिक प्रवर्ति के थे और उनके घर पर संत महात्माओं का आना जाना लगा रहता था।


उस समय पहाड़ में स्कूल एवं पाठशालाए नहीं होने के कारण राजेश्वरी देवी की शिक्षा दीक्षा घर पर हुई वह बालक काल में ही कुशाग्र बुद्धि की धनि थी, तथा बचपन से ही उन्हें रामायण गीता तथा वेद पुराण आदि धर्म शास्त्र को पढ़ने का शौक था
सत्संग तथा प्रभु चर्चा का वातावरण मिलने से उनके अंदर सेवा भक्ति के संस्कार अंकुरित होने लगे राजेश्वरी देवी का विवाह पौड़ी जिले के पोखरा ब्लॉक स्थित गाड़ की सेडिया नामक
गाँव मैं योगीराज श्री हंस जी महाराज के साथ संपन्न हुआ उस समय श्री हंस जी महाराज अपने आध्यात्मिक गुरु स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज के सानिध्य में आध्यात्मिक ज्ञान का पूरी तरह से प्रचार प्रसार कर रहे थे उन्होंने कठोर परिश्रम कर लाखों लोगों को प्रेम ज्ञान एवं भक्ति के मार्ग पर लगाया और कई वर्षों तक भक्तों को आनंद देते रहे।

देश-विदेश में सत्संग व ज्ञान का प्रचार करते हुए 1966 में श्री हंस जी महाराज ने हम सब से विदा लेकर परम धाम को चले गए उनका महानिर्वाण लाखों भक्तों एवं संत महात्माओं के लिए अत्यंत कष्टदायक था , ये दुख की घड़ी किसी के लिए भी आसान नहीं थी
उनके परलोक गमन की घटना ने लोगो के साथ ही श्री माता राजेश्वरी देवी को भी बुरी तरह झकझोर दिया था
आया है जो सो जाएगा की उक्ति को स्वीकार करते हुए माता राजेश्वरी ने धीरे-धीरे अपने आप को संभाला तथा भक्तों को भी सहारा ,हिमत उनकी बांधकर ज्ञान और भक्ति के मार्ग पर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी


माता श्री राजेश्वरी देवी का पहला विशाल सत्संग समारोह सन 1970 में लंदन की ओल्ड टाउन हॉल में हुआ जहां पर कई हजार लोगों ने उनके प्रवचन सुने तथा अध्यात्म ज्ञान की दीक्षा ली जब वे पहली बार लंदन गई तो हवाई अड्डे पर उनका जोरदार स्वागत किया गया
न्यू कैसल के लार्ड
मेयर ने माता श्री राजेश्वरी देवी का अभिनंदन करते हुए कहा कि यह हमारे देश के लिए सौभाग्य की बात है कि भारत से आकर मां राजेश्वरी शांति का संदेश दे रही है उनका संदेश तथा शिक्षाएं आदर के साथ ग्रहण करने योग्य है माता श्री राजेश्वरी देवी का मातृशक्ति के प्रति बहुत प्रेम था वह महिलाओं के दुख दर्द को देखकर द्रवित हो जाती थी उनके कष्टों को दूर करने के लिए हर संभव प्रयास करती।

वे अपने प्रवचन में कहा करती थी कि नारी मात्र शक्ति है शक्ति स्वरूप है जहां पर नारियों की पूजा होती है वहां देवता निवास करते हैं
उन्होंने महिलाओं को प्रेरित किया कि व अपने बच्चों में भक्ति तथा सेवा के संस्कार डालें जिससे आगे चलकर देश के अच्छे नागरिक बन सकें।
भगवान राम , भगवान कृष्ण, स्वामी विवेकानंद ,महात्मा बुध ध्रुव प्रह्लाद छत्रपति शिवाजी महाराणा प्रताप, झांसी की रानी तथा मीराबाई आदि को महान बनाने में उनकी माताओं का बहुत बड़ा योगदान था
माता श्री राजेश्वरी देवी का सदाचार तथा सत्कर्म में अटूट विश्वास था और कर्म को वे ईश्वर की आराधना मानती थी प्रवचन में अक्सर कहा करती थी मैं सत्कर्म में विश्वास रखती हूं क्योंकि मनुष्य होने का गौरव कर्म शीलता में ही है उनका कहना था कि भगवान के नाम का सुमिरन करने से ही दुनिया में शांति हो सकती है बाहरी चीजों के द्वारा यह संभव नहीं है मनुष्य की वृत्तियों को बदलने की क्षमता केवल भगवान के नाम में ही है जिसका ज्ञान समय के सतगुरु महाराज देते थे माता राजेश्वरी देवी ने बच्चों को सदा शिक्षा देने तथा उनके बेहतर स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूक किया
दीन दुखियों एवं जरूरतमंदों की सेवा को ईश्वर की पूजा मानती थी, माता श्री राजेश्वरी देवी
निराश एवं हताश हो चुके गरीब लोगों के लिए आशा की किरण बनकर धरती पर आई थी माता श्री राजेश्वरी देवी ने गरीब एवं असहाय लोगों के ठहरने तथा इलाज कराने के लिए कई जगह धर्मशाला हो तथा धर्मार्थ चिकित्सालय का निर्माण कराया 24 नवंबर 1991 की रात्रि में माता श्री
राजेश्वरी देवी हम सब को रोता बिलखता छोड़कर परमधाम को चली गई।

यद्यपि वे शरीर से आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनका आशीर्वाद युगो युगो तक भक्तों को मिलता रहेगा
तथा उनकी शिक्षाएं प्रेरणा बनकर हमेशा हमारा मार्गदर्शन करती रहेगी माता श्री राजेश्वर देवी के महानिर्वाण के बाद उनके सुपुत्र श्री पहाड़ पुत्र भोले जी महाराज अपनी धर्मपत्नी पहाड़ पुत्री माता मंगला जी के साथ उनके पद चिन्हों पर चलकर आध्यात्मिक ज्ञान के प्रचार-प्रसार मानव सेवा तथा जन कल्याण के कार्य को आज लगातार आगे बढ़ा रहे हैं


पहाड़ पुत्र श्री भोले जी महाराज एवं पहाड़ पुत्री माता श्री मंगला जी के मार्गदर्शन में द हंस फाउंडेशन व हंस कलचर सेंटर राजेश्वरी करुणा शिक्षा परियोजना का शुभारंभ किया गया है
जिसके तहत सुनैना रावत नवदीप चिल्ड्रन एकेडमी सेडिया खाल (पोखड़ा ) बोक्सा जनजाति बालिका विद्यालय
(कोटद्वार) मां राजेश्वरी स्मारक मनु मंदिर जूनियर हाई स्कूल गिरुकुल हरिद्वार
राजेश्वरी करुणा स्कूल (मसूरी) राजेश्वरी करुणा स्कूल देघाट
( अल्मोड़ा) राजेश्वरी करुणा स्कूल मैंखण्डा (रुद्रप्रयाग) एवं
राजेश्वरी करुणा व आशालता विलकिन्सन स्कूल संजय कॉलोनी भाटी माइंस नई दिल्ली के अलावा देश के कई भागों में स्कूल का संचालन किया जा रहा है जिनमे गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान की जाती है
ओर बेसहारा तथा जरुतमद लोगों को बीमारी से राहत दिलाने के लिए सतपुली जिला पौड़ी गढ़वाल मै आधुनिक सुविधाओं से युक्त द हंस फाउंडेशन जर्नल हॉस्पिटल व बहादराबाद हरिद्वार मैं द हंस फाउंडेशन आई केयर ( आंखो के अस्प्ताल)
का सचालन किया जा रहा है।
इन अस्पतालों से प्रतिदिन
सैकड़ों मरीज अपने स्वास्थ्य की जांच करा कर निशुल्क दवाई प्राप्त कर रहे है।
माता श्री राजेश्वरी देवी की पावन जयंती यानी 6 अप्रैल पर हम सब उन्हें कोटि कोटि नमन करते है व उनसे प्राथना करते है कि आप हमें भक्ति दे शक्ति दे साथ ही अपना आशीर्वाद प्रदान करें
ताकि हम ज्ञान भक्ति मानव सेवा एवं जनकल्याण के मार्ग पर निरंतर आगे बढ़ते रहें।

बोलता है उत्तराखंड डंके की चोट पर

देवभूमि व देश के विकास में पहाड़ पुत्र भोले जी महाराज व पहाड़ पुत्री माता मंगला जी का अहम योगदान है। हंस फाउंडेशन शिक्षा, स्वास्थ्य, पलायन , जल संरक्षण व रोजगार समेत कई क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य कर रहा है। इसके अलावा गरीब तबके के लोगों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं संचालित की जा रही हैं। व फाउंडेशन के कार्यों का सीधा फायदा पहाड़ के लोगों को मिल रहा है
प्रदेश की शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था में हंस फाउंडेशन का योगदान सराहनीय है। राज्य के दूरस्थ इलाकों में शिक्षा के प्रचार प्रसार में फाउंडेशन की पहल अतुलनीय है।

 

मेंडम स्वेता रावत जी

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