देहरादून में आईएसबीटी के समीप 2-लेन वाई शेप फ्लाईओवर शुरू।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने किया लोकार्पण। आईएसबीटी के समीप हरिद्वार बाईपास की ओर 33 करोड़ 26 लाख रूपए लागत से बने इस फ्लाईओवर की लम्बाई 387.25 मीटर, पहुंच मार्ग की लम्बाई 210 मीटर व कुल लम्बाई 597.25 मीटर है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में रिकार्ड संख्या पर्यटक आ रहे हैं। इससे हमारे राज्य के युवाओं के लिए रोजगार की सम्भावनाएं बढ़ी हैं। परंतु पर्यटकों की बढ़ती संख्या के अनुरूप आधारिक संरचना के विकास और पर्यटन सुविधाएं उपलब्ध करवाने पर और ध्यान देना होगा। आने वाले समय में श्रद्धालुओं व पर्यटकों के लिए यात्रा सुगम हो सके, इस पर कार्ययोजना बनाई जा रही है।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि आईएसबीटी के फ्लाईओवर से देहरादून में ट्रैफिक जाम से कुछ निजात मिलेगी और सुलभ यातायात की सुविधा मिलेगी। इसका निर्माण निर्धारित समय के भीतर किया गया है। यहां 100 मीटर सर्विस रोड़ विकसित की जाएगी। देहरादून में स्थित फ्लाईओवरों के नीचे के स्थान का जनहित में सदुपयोग करने के लिए विचार किया जाएगा। प्रेमनगर देहरादून के लिए बोटलनेक था, वहां सड़क चौड़ीकरण किया जा रहा है। इसके लिए 18 करोड़ रूपए स्वीकृत भी हो चुके हैं।
इस अवसर विधायक विनोद चमोली, मेयर सुनील उनियाल गामा, अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश, मुख्य अभियंता एनएच हरिओम शर्मा आदि मौजूद थे।
वही मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा है कि वर्तमान में यात्रा मार्ग पर पेट्रोल डीजल पर्याप्त मात्रा में है। एक-दो दिन थोड़ी कमी हो गई थी परंतु अब कमी दूर हो गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष अनुमान से बहुत अधिक श्रद्धालु व पर्यटक उत्तराखण्ड में आए हैं। पिछले वर्ष की तुलना में ढ़ाई-तीन गुना तक पर्यटक आए हैं। पर्यटकों की बढ़ती संख्या को राज्य के युवाओं के लिए एक अच्छे अवसर के तौर पर देखा जाना चाहिए। हालांकि इसके अनुरूप इन्फ्रास्ट्रक्चर व अन्य पर्यटन सुविधाएं विकसित करने पर और अधिक ध्यान देना होगा। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत एक कार्यक्रम के बाद मीडिया से अनौपचारिक बातचीत कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी प्राथमिकता सर्विस सेक्टर पर रही है। हमने पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिया है। इसके परिणाम भी मिलने लगे हैं। राज्य के युवा पर्यटन के क्षेत्र में आगे आएं, स्वयं के साथ औरों को भी रोजगार दें। पर्यटन, वैलनेस व साहसिक पर्यटन में अपार सम्भावनाएं हैं। राज्य को वेडिंग डेस्टीनेशन के तौर पर भी प्रमुख केंद्र के तौर पर उभारा जा सकता है।
वही सोमवार को सचिवालय में एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उक्त निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आजीविका, ग्रामीण परिवारों को सक्षम बनाने के अपने उद्देश्य में सफल हो सकें, इसके लिए उन्हें बाजार अर्थव्यवस्था से जोड़ने पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। योजना की धरातल पर सफलता के लिए जरूरी है कि बड़े अधिकारी नियमित रूप से फील्ड भ्रमण करें। यात्रा मार्ग पर फूलों के क्लस्टर विकसित किए जाएं। प्रसाद योजना का केदारनाथ व बद्रीनाथ के साथ अन्य मंदिरों में विस्तार किया जाए। प्रसाद निर्माण की प्रक्रिया में साफ-सफाई पर ध्यान दिया जाए। आजीविका के जिन केंद्रों पर बहुत अच्छा काम हुआ है, वहां स्कूल-कॉलेज के छात्रों का भ्रमण कराकर प्रोत्साहित किया जाए।
बैठक में बताया गया कि एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना वर्तमान में उत्तराखण्ड में 11 पर्वतीय जनपदों अल्मोड़ा, बागेश्वर, चमोली, उत्तरकाशी, टिहरी, पिथौरागढ़, देहरादून, रूद्रप्रयाग, पौड़ी, नैनीताल व चम्पावत के 44 विकासखण्डों में संचालित की जा रही है। परियोजना की कुल लागत 868 करोड़ 60 लाख रूपए है। इसके वित्तपोषण में 63 प्रतिशत आईफैड, 14 प्रतिशत राज्य सरकार, 19 प्रतिशत लाभार्थियों को बैंक फाईनेंस व 4 प्रतिशत लाभार्थी अंशदान है।
परियोजना के प्रमुख घटक खाद्य सुरक्षा एवं आजीविका संवर्धन, सहभागी जलागम विकास, आजीविका वित्तपोषण व परियोजना प्रबंधन है। उत्तराखण्ड के एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना (आईएलएसपी) को भारत सरकार के आर्थिक मामलों के विभाग ने लैंडमार्क प्रोजेक्ट के रूप में मान्यता दी है। अनेक देशों में यहां के प्रोजेक्ट को दोहराया गया है। इस परियोजना में उत्तराखण्ड के 11 पर्वतीय जनपदों के 44 विकासखण्ड, 3470 गांव आच्छादित किए गए हैं। इससे 13702 उत्पादक/निर्बल उत्पादक/स्वयं सहायता समूह के 126000 सदस्य लाभान्वित हो रहे हैं। परियोजना में सिंचाई के लिए 3291 एलडीपीई टैंकों का निर्माण किया गया है। 1828 हेक्टेयर में फेंसिंग द्वारा फसलों को सुरक्षा प्रदान की गई है। 650 हेक्टेयर में चारा विकास कार्यक्रम संचालित हैं। आजीविका परियोजना में 918 बंजर भूमि को उपयोग के तहत लाया गया है। इसी प्रकार 150 क्लस्टर स्तरीय कलेक्शन सेंटर, 599 ग्राम स्तरीय स्मॉल कलेक्शन सेंटर व 129 नेनो पेकेजिंग यूनिट की स्थापना की गई है।
वेल्यू चैन के तहत 4898 समूह बैमोसमी सब्जियां, 4590 समूह डेरी, 3800 समूह मसाले, 4290 समूह पारम्परिक अनाज, 1875 समूह दालें, 3650 समूह फल, 1750 समूह गैर कृषि सेवा क्षेत्र, 798 समूह बकरी पालन, 367 समूह मुर्गी पालन, 290 समूह औषधीय व सगंध पौध, 89 समूह इको-टूरिज्म व 276 समूह गैर कृषि उद्यम से जुड़े हैं।
मार्केटिंग के लिए हिलांस नाम से ब्रांड विकसित किया गया है। अनेक बड़ी संस्थाओं से टाई अप किया गया है। अल्मोड़ा में फल व सब्जियों के लिए मदर डेरी, चमोली में आलू के लिए एपीएमसी मंडी हल्द्वानी, उत्तरकाशी में सेब के लिए एफएफटी हिमालयन फ्रेश प्रोड्यूस लि., अल्मोड़ा में पारम्परिक फसलों के लिए ऑरगेनिक इंडिया एसओएस ऑरगेनिक प्रा.लि., पिथौरागढ़ में सोप नट्स के लिए हार्वेस्ट वाईल्ड ऑरगेनिक सोल्यूशन प्रा.लि., अल्मोड़ा में ओएसवी के लिए विनोधरा बायोटेक, अल्मोड़ा व बागेश्वर में मंडुआ बिस्किट के लिए ट्राईफेड, चमोली में कुटकी के लिए इमामी, कृष्ण ट्रेडर्स, चमोली में सब्जियों के लिए मोनाल होटल, देहरादून में फल व सब्जियों के लिए एसएस ट्रेडर व दिल्ली टोमटो कम्पनी दिल्ली से टाई अप किया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में बागेश्वर में आजीविका परियोजना के अंतर्गत संचालित महिला समूह द्वारा उत्पादित मंडुवा बिस्किट का जिक्र किया था।
प्रसाद योजना के तहत वर्तमान में जागेश्वर, बैजनाथ, बद्रीनाथ, केदारनाथ, कोटेश्वर, गंगोत्री, महासू, सिद्धबली व सुरकंडा देवी, कुंजापुरी में स्थानीय समूहों द्वारा प्रसाद बनाकर वितरण किया जा रहा है। अभिनव प्रयास करते हुए आईटीसी ग्रुप के साथ सीएसआर के अंतर्गत मंदिरों में चढ़ाए गए फूलों व पत्तियों को रिसाईकल कर समूहों द्वारा धूपबत्ती बनाने का काम किया जा रहा है।
इस बैठक में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, प्रमुख सचिव मनीषा पंवार, अपर सचिव रामविलास यादव सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।