देहरादूनः मानसून से ठीक पहले मई में मौसम के तेवरों ने लोगों को डरा दिया है। पिछले कुछ दिनों से पर्वतीय क्षेत्रों में बारिश होते ही अतिवृष्टि और बादल फटने की घटनाएं कहर बनकर टूट रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि बंगाल की खाड़ी में चक्रवाती परिसंचरण, अरब सागर में बना चक्रवाती परिसंचरण और गुजरात तट के पास पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने से मौसम का मिजाज बदल गया है।

चार मई को चमोली जिले के घाट बाजार, छह को टिहरी जिले के पिपोला गांव व 11 को देवप्रयाग बाजार में बादल फटे। गोविंद बल्लभ पंत कृषि विवि के मौसम वैज्ञानिक प्रो. आरके सिंह के अनुसार पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने के कारण पहाड़ में मानसून पूर्व की बारिश हो रही है, जबकि पश्चिमी विक्षोभ अप्रैल के अंत तक ही सक्रिय रहता है।

साथ ही बंगाल की खाड़ी और अरब सागर के गुजरात तट केे पास चक्रवाती परिसंचरण, साइक्लोनिक सर्कुलेशन के साथ नमी युक्त हवाएं उत्तर की ओर आ रही हैं। ऐसे समय में जब नमी युक्त बादल पहाड़ में ऊंचाई वाले स्थान पर एकत्र हो रहे हैं, तो तापमान ठंडा होने के कारण हवा की अत्यधिक नमी पानी में बदलकर अतिवृष्टि कर रही है।

गढ़वाल केंद्रीय विवि में भौतिक विभाग के सहायक प्रोफेसर डा. आलोक सागर गौतम ने बताया कि जलवायु परिवर्तन और स्थानीय मौसम में बदलाव के कारण आए दिन ज्यादा बारिश होने की घटनाएं हो रही हैं। पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता और थंडर स्टार्म गतिविधियों के सक्रिय होने से मैदान से लेकर पहाड़ तक मौसम का मिजाज बदल रहा है।

 

 

 

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