उत्तराखंड में विपक्ष की भूमिका में बैठी कांग्रेस को जब धाकड़ धामी की सरकार को घेरने के लिए कोई मुद्दा ढूंढने से भी.. खोजने से भी नहीं मिल पाता. तब वह बौखला कर कुछ भी आरोप लगाने से बाज़ नहीं आती और उसी बौखलाहट में आजकल उन्होने हो हल्ला मचा रखा है कि मुख्यमंत्री ने विचलन का प्रयोग कर विधानसभा में बैक डोर नियुक्ति देने का काम किया….
दरसल में आपको बता दें कि राज्य गठन से लेकर और राज्य के पहले मुख्यमंत्री स्वर्गीय नित्यानंद स्वामी ने भी विचलन के माध्यम से नियुक्तियां की थी..
कहने का मतलब यह है कि.. विचलन का प्रयोग कर समस्या क़ो हल करने का रास्ता समय-समय पर निकाला गया….
आईये पहले आपको पहले बताते हैं कि विचलन से कब-कब नियुक्त हुई है …
पूर्व मुख्यमंत्री सर्वगीय नित्यानंद स्वामी के कार्यकाल मैं विचलन से
53 तदर्थ नियुक्ति हुई
उत्तराखंड राज्य का जन्म 9 नवंबर 2000 को हुवा.
राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने स्वर्गीय नित्यानंद स्वामी…
साल 2001 –तत्कालीन सीएम स्वर्गीय नित्यानंद स्वामी ने 53 पदों पर तदर्थ भर्ती को विचलन से ही मंजूरी दी
वही स्वर्गीय सीएम एनडी
तिवारी कार्यकाल में विचलन से 80 तदर्थ नियुक्ति हुईं
सभी जानते हैं कि तत्कालीन सीएम एनडी तिवारी ने तो बड़ा दिल दिखाते हुए ताबड़तोड़ विचलन से तदर्थ भर्ती को मंजूरी देने का जबरदस्त रिकॉर्ड ही बना दिया था..
जानिए तिवारी जी के समय
साल 2002 में 28
साल 2003 में 5
साल 2004 में 18
साल 2005 में 8
ओर 2006 में 21 पदों को मंजूरी दी गईं
इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री जनरल बीसी खण्डूड़ी कार्यकाल में 27 तदर्थ नियुक्ति हुईं
साल 2007 में सीएम बने बीसी खंडूड़ी ने तो कुर्सी संभालने के महज कुछ महीने के भीतर 27 पदों पर तदर्थ भर्ती को मंजूरी दी
अब इसके बाद बारी थी पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की…
हरीश रावत ने भी अपने कार्यकाल में विचलन के जरिये धड़ाधड़. ताबड़तोड़ 156 तदर्थ नियुक्ति दी..
1 फरवरी 2014 को हरीश रवात राज्य के मुख्यमंत्री बने थे..
साल 2014 में 7
ओर साल 2016 में उन्होने 149 पदों पर तदर्थ भर्ती की विचलन से मंजूरी तत्कालीन सीएम हरीश रावत ने दी
अब आपको बता दें मुख्यमंत्री धामी के पहले कार्यकाल 2021 में 78 तदर्थ पदों की मंजूरी सिर्फ़ 12 महीने के लिए दी थीं… जो आने वाले दिसंबर 2022 में समाप्त हो रहा था…
अब ऐसे में इस पूरी रिपोर्ट को देखने के बाद..पढ़ने के बाद .. आप क्या कहेंगे.. और क्या सोचेंगे… यह आपने तय करना है… बस हम तो इतना ही जानते हैं कि पहली बार उत्तराखंड को काम करने वाला.. भ्रष्टाचार पर चोट करने वाला.. युवाओं के दिलों में राज करने वाला.. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के रुप में मिला है….. जो ना विपक्ष को राज आ रहा है.. ना धामी के कुनबे में बैठे उनके राजनीतिक विरोधियों को.. तभी तो आये दिन सुना हैं.. कुछ विपक्ष के नेताओं के साथ मिलकर उनके राजनीतिक विरोधी उनकी बढ़ती लोकप्रियता से घबराकर उनकी छवि क़ो खराब करने का काम लगातार कर रहे हैं.. षड्यंत्र करते रहते हैं…