मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की बढ़ती लोकप्रियता से घबराए उनके राजनीतिक विरोधी.. सूत्र बताते हैं रची जा सकती है बड़ी साजिश…! पक रही है खिचड़ी..
आइए पहले जान लेते हैं भाजपा हाईकमान को क्यों हैं पुष्कर सिंह धामी पसंद
विपरीत परिस्थितियों में भी दिलाया दो तिहाई बहुमत
2017 में भाजपा ने 57 सीटों पर जीत हासिल की थी। तब त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया था। तीन साल 357 दिन के बाद ही भाजपा ने त्रिवेंद्र रावत को हटाकर तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बना दिया था। तीरथ का कार्यकाल भी महज 116 दिन ही रहा। चुनाव से ठीक पहले 4 जुलाई 2021 में खटीमा से विधायक पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाया गया। सात महीने में धामी द्वारा की गई मेहनत का फल भाजपा को 47 सीट पर जीत के रूप में मिला।
सत्ताविरोधी लहर को खत्म किया
धामी के नेतृत्व में ही उत्तराखंड में भाजपा ने चुनाव लड़ा और दोबारा 47 सीटें पाकर सत्ता हासिल कर ली। छह महीने के अंदर दो बार मुख्यमंत्री बदलने से जनता में काफी रोष था। लेकिन धामी ने उसे अपने अंदाज में संभाल लिया। युवा नेता के तौर पर धामी ने सात महीने के अंदर खूब मेहनत की और एंटीइनकंबेंसी को दूर किया। जिसकी बदौलत भाजपा ने राज्य में हर चुनाव में सत्ता बदलने के मिथक को तोड़ दिया।
. युवा चेहरा और जनता के बीच लोकप्रिय
पुष्कर सिंह धामी की उम्र लगभग 47 साल है। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने पूरे उत्तराखंड में अपनी अलग पहचान बना ली। देवभूमि के युवाओं के बीच उनकी काफी लोकप्रियता बढ़ गई।
सीएम बनते ही बड़ी योजनाओं का एलान किया
चार जुलाई 2021 को पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली थी। इसके एक महीने बाद यानी 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर धामी ने कई योजनाओं का ऐलान कर दिया। 10वीं-12वीं पास छात्रों को मुफ्त टैबलेट, खिलाड़ियों के लिए खेल नीति बनाने, जनसंख्या नियंत्रण पर कानून बनाने, पौड़ी और अल्मोड़ा को रेल लाइन से जोड़ने जैसी योजनाओं का ऐलान इसमें शामिल था। इसने आम लोगों के बीच धामी की लोकप्रियता को बढ़ाने का काम किया।
पुराने और युवा नेताओं के बीच तालमेल
मुख्यमंत्री बनने के बाद भी धामी ने उत्तराखंड भाजपा के पुराने और वरिष्ठ नेताओं का ख्याल रखा। बड़े-बड़े फैसले लेने से पहले उन्होंने तीरथ सिंह रावत, त्रिवेंद्र सिंह रावत, रमेश पोखरियाल निशंक जैसे पूर्व मुख्यमंत्रियों की सलाह ली। पार्टी और सरकार के बीच तालमेल बनाने के लिए वरिष्ठ नेताओं से भी सुझाव मांगे। इससे उन्होंने वरिष्ठ और युवा नेताओं के बीच अच्छा तालमेल बना।
तो इसलिए धामी की बढ़ती लोकप्रियता से घबराए हुये है उनके राजनीतिक विरोधी
4 जुलाई 2021 को ली थी पहली बार सीएम की शपथ
2017 के विधानसभा में भाजपा ने प्रचंड बहुमत की सरकार के साथ त्रिवेंद्र रावत के नेतृत्व में सरकार बनाई। जो कि 4 साल पूरा करने से पहले ही सीएम पद से हटा दिए गए। त्रिवेंद्र रावत के बाद तीरथ सिंह रावत को सीएम बनाया गया। लेकिन पार्टी ने संवैधानिक परिस्थितियों का हवाला देकर तीरथ को हटाकर 4 जुलाई 2021 को पुष्कर सिंह धामी को प्रदेश की कमान सौंपी। इस तरह धामी ने 4 जुलाई को बतौर सीएम एक साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है।
इस एक साल में धामी ने कई रिकॉर्ड बनाए हैं। धामी ने लगातार दो बार सीएम बनने का रिकॉर्ड तो बनाया ही, किसी पार्टी को दो बार सरकार लाने का मिथक भी तोड़ते हुए भाजपा को दोबारा सत्ता में लाने में अपनी अहम भूमिका निभाई है। हालांकि इस बीच सीएम ने ऐसा समय भी देखा जब पार्टी को जिताने के बाद भी वे अपना चुनाव भारी षड्यंत्र के चलते हारे।
इसके बाद सीएम को लेकर कई तरह के कयास लगाए गए। लेकिन हाईकमान ने भी पुष्कर सिंह धामी पर विश्वास जताया और हारने के बाद भी कमान सौंप दी।
चंपावत में बनाया नया रिकॉर्ड
फिर धामी ने 100 दिन के अंदर ही चंपावत से रिकॉर्ड मतों से चुनाव जीता और एक नया कीर्तिमान बनाया। धामी उत्तराखंड में सबसे ज्यादा मतों के अंतर से जीतने वाले मुख्यमंत्री बन गए
इसके बाद सीएम धामी ने अपने दूसरे कार्यकाल के 100 दिन में कई ऐतिहासिक निर्णय लिए जिसमे सीएम धामी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने का ऐलान कर एक बड़ा कदम उठाया है। जो कि जल्द ही धरातल पर आने वाला है। इसके साथ ही अपने एक साल के कार्यकाल में मुख्यमंत्री धामी ने देवस्थानम बोर्ड जैसे अहम मुद्दे को तीर्थ पुरोहितों के भारी विरोध के बाद वापस लेकर बड़ा कदम उठाया जिसके बाद धामी की लोकप्रियता सबसे ज्यादा बढ़ी है। इस दौरान धामी ने ताबड़तोड़ बैटिंग भी की है, जिस वजह से धामी को राजनीति में धाकड़ धामी के नाम से भी जाना जाने लगा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उन्हें फ्लावर के साथ फायर भी बताया तो पीएम नरेंद्र मोदी ने कई बार सार्वजनिक मंच से धामी की पीठ थपथपाई और जमकर तारीफ भी की।
बस यह सभी बाते उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के राजनीतिक विरोधियों को भा नहीं रही है और वे आए दिन कुछ ना कुछ षडयंत्र रचने का काम करते रहते हैं या फिर षड्यंत्र रचने की फिराक में है सूत्र कहते हे कि कहीं ना कहीं कुछ ना कुछ खिचड़ी तो पक रही है जिसकी खुशबू यहां तक पहुंचने लगी है
सूत्र बताते हैं कि आगामी दिनों में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के खिलाफ गहरी साजिश रची जा सकती है या फिर रची जा रही है
और धामी की बढ़ती लोकप्रियता से बौखलाए धामी की राजनीतिक विरोधी पुष्कर सिंह धामी की छवि को खराब करने के लिए हर प्रकार का खेल खेलेंगे फिर चाहे बात साम दाम दंड भेद की ही क्यों ना हो..
सूत्र बताते हैं कि पूरा जाल बिछाया जा रहा है जिसमें अबकी बार राज्य के कुछ दिग्गज नेताओं को भी शामिल कर षड्यंत्रकारी अपने मोहरे फिट करते नजर आएंगे बहरहाल अब देखना यह होगा कि क्या मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपने खिलाफ फिर से हो रहे षड्यंत्र को समय रहते भाप भी पाएंगे या नहीं..
यह पूरी खबर सूत्रों के हवाले से ….