
मुख्यमंत्री धामी जी प्रदेश भर में सहकारिता विभाग में हुए भर्ती घोटाले की गूंज से बीजेपी सरकार की जमकर किरकिरी हो रही ( धामी सरकार की किरकिरी )हो रही है..
बता दे कि सीएम धामी ने ढंग से कार्यभार अभी संभाला भी नही था की सहकारिता विभाग में भर्ती घोटाले का बम फूट गया
हालात ये हैं की 423 पदों को लेकर हुई भर्ती में जिस तरह से भाई भतीजा वाद के आरोप लगे हैं उसके बाद कहाँ तो पूरी भर्ती प्रक्रिया पर जाँच पूरी हो जाने तक रोक लगनी चाहिए थी
लेकिन ऐसा हुआ नहीं हालात तो ये हैं कि तमाम चयनित बच्चों को जॉइनिंग भी दी जा चुकी हैं और ब्रांच भी अलाट कर 10 दिन की ट्रेनिंग चल रही हैं
सवाल उठ रहे है कि क्या खानापूर्ति के लिए बच्चों को 16 अप्रैल को जाँच कमेटी के सामने अपना बयान दर्ज करने के लिए बुलाया गया हैं
ओर यही बड़ा सवाल है कि क्या केवल खानापूर्ति की जाँच हो रही हैं तमाम बेरोजगार बच्चे कंपटीशन देकर भी रोजगार नहीं पा सके जबकि नेताओं और अधिकारियो की मिली भगत के चलते परिवार के लोगो को नौकरी दें दी गईं आरोप तो ये भी हैं कि पैसो का भी जमकर लेनदेन हुआ है
वही देहरादून जिले में ही अकेले 58 बच्चे चयनित हुए हैं इनमे से कितने अपनी मेहनत से हैं और कितने सिफारिशी ये तो जाँच के बाद ही साफ हो सकता हैं लेकिन विभाग लगता हैं पहले ही इन तमाम बच्चों को बचने कि राह दिखा रहा हैं या फिर कोई मंत्री !!
एक तरफ जॉइनिंग दें दी गई हैं दूसरी तरफ बच्चों पर कोई कार्यावाही अगर हुई भी तो कोर्ट जाने का रास्ता खुला रहेगा और वहां से राहत मिल गई तो फिर नौकरी करने से कौन रोक सकता हैं
ऐसे में सवाल उठना लाजमी है है कि क्या सहकारिता भर्ती घोटाले में जाँच केवल खानापूर्ति तो नहीं
ओर पूरी प्रक्रिया पर क्यों नहीं लगाई रोक .. चयनित बच्चों को करा दी जॉइनिंग, करवा रहे ट्रेनिंग.. अब कोंन देगा जवाब
वही विपक्ष लगातार एसआईटी जांच कराने की इस पूरे मामले में मांग कर रहा है
मुख्यमंत्री धामी भी चाहते हैं की
एसआईटी की जांच होनी चाहिए लेकिन सूत्रों बताते है कि पॉलिटिकल दबाव भी आ रहा है बहराल खबर यह है कि सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत को भी एसआईटी जांच के लिए तैयार रहना चाहिए ताकि दूध का दूध और पानी का साफ़ जाए ..