उत्तराखंड का लाल: जख्मी हवालदार बिशन हुए शहीद, रानीबाग चित्रशीला घाट में हुआ अंतिम संस्कार, 6 मई को गलवन घाटी में चीनी सैनिकों संग झड़प के दौरान बिशन मोर्चे पर थे।

गलवन घाटी में जख्मी हवालदार बिशन हुए शहीद, रानीबाग चित्रशीला घाट में हुआ अंतिम संस्कार

आपको बता दे कि
गलवन घाटी में दुश्मनों से लड़ाई के दौरान जख्मी हुए कमलुवागांजा निवासी हवलदार बिशन सिंह उम्र 44 साल ने उपचार के दौरान चंडीगढ़ स्थित आर्मी अस्पताल में दम तोड़ दिया था

ख़बर हल्द्वानी से

जी हा उत्तराखंड का लाल
 गलवन घाटी में दुश्मनों से लड़ाई के दौरान जख्मी हो गया था इस दौरान बीते दिन हमारे कमलुवागांजा निवासी हवलदार बिशन सिंह ने उपचार के दौरान चंडीगढ़ स्थित आर्मी अस्पताल में दम तोड़ दिया था और शनिवार देर रात शहीद का पार्थिव शरीर घर लाया गया। जिसके बाद सुबह रानीबाग स्थित चित्रशीला घाट पर सैन्य सम्मान के साथ उनकी अंत्येष्टि की गई। इस दौरान घाट पर मौजूद हर शख्स की आंखें नम थी।

बता दे कि मूल रूप से पिथौरागढ़ के ग्राम माणी धामी पोस्ट ऑफिस मवानी दवानी तहसील बंगापानी निवासी बिशन सिंह 17 कुमाऊं में हवलदार के पद पर तैनात थे। वर्तमान में उनकी पोस्टिंग लेह में थी। बिशन का परिवार पिछले दो साल से हल्द्वानी के कमलुवागांजा कबड़वालपुर में रहता है। शहीद के छोटे भाई व सेवानिवृत्त सैन्यकर्मी जगत सिंह ने बताया कि छह मई को गलवन घाटी में चीनी सैनिकों संग झड़प के दौरान बिशन मोर्चे पर थे। इस दौरान वह घायल भी हुए। जिसके बाद लेह स्थित सेना के अस्पताल में उनका इलाज हुआ। हालत में सुधार आने पर उन्होंने दोबारा ड्यूटी भी ज्वाइन की।


मगर कुछ दिन बाद उनका स्वास्थ्य फिर बिगड़ गया। जिस वजह से उन्हें चंडीगढ़ स्थित आर्मी के कमान अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां 14 अगस्त की रात लगभग डेढ़ बजे उनकी मौत हो गई। वहीं, स्वतंत्रता दिवस की देर रात उनका पार्थिव शरीर हल्द्वानी पहुंचा। रविवार सुबह शहीद की अंतिम यात्रा घर से चित्रशीला घाट को रवाना हुई। जहां पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित करने के बाद सेना ने उन्हें सलामी भी दी। घाट में चिता को मुखाग्नि बेटे शहीद के बेटे मनोज व छोटे भाई जगत ने दी।
जय हिंद आपको भावभीनी श्रदांजलि सर ।

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