सिक्किम में ड्यूटी के दौरान गाड़ी खाई में गिरने से शहीद हुए बृजेश रौतेला अल्मोड़ा के रानीखेत के रहने वाले बृजेश रौतेला के पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गांव सरना पहुंचा. शहीद के पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन के लिए क्षेत्र के लोगों की भारी भीड़ उमड़ी.
शहीद जवान बृजेश रौतेला का खीराश्वर घाट में सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. शहीद को मुखाग्नि उनके भाई अमित और चचेरे भाई कमलेश ने दिया. इस मौके पर सांसद अजय टम्टा, बीजेपी नेता और भाजयुमो के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रमोद नैनवाल समेत सेना के अधिकारी और प्रशासन के लोग मौजूद रहे.
बता दें कि, ताड़ीखेत के सरना गांव निवासी शहीद जवान बृजेश रौतेला 2 साल पहले कुमाऊं रेजीमेंट में भर्ती हुए थे. विगत बुधवार को सिक्किम में चौकी पर गोला-बारूद पहुंचाकर लौटने के दौरान उनका वाहन खाई में गिरने से शहीद हो गए. बृजेश की शहादत की सूचना मिलने के बाद से गांव में मातम पसर गया. शहीद के पिता दलवीर सिंह ने भरे गले से बताया कि उनका 22 वर्षीय पुत्र बृजेश रौतेला 2019 में कुमाऊं रेजीमेंट में भर्ती हुआ. ट्रेनिंग के बाद वह जम्मू के कुपवाड़ा में तैनात था. इसके बाद उसकी पोस्टिंग असोम के हासिमआरा में हुई. 3 महीने के लिए वह सिक्किम स्थित नाथुलापोस्ट पर तैनात थे.
चौकी पर गोला-बारूद पहुंचाकर लौटते वक्त वाहन दुर्घटना में वह शहीद हो गए. जवान बेटे की मौत की सूचना के बाद मां पुष्पा सुधबुध खो बैठी है. शहीद बृजेश 3 भाई बहनों में बीच के थे. उनका बड़ा भाई अमित रौतेला दिल्ली में कोचिंग कर रहा है और बहन 11वीं की छात्रा है. बृजेश के पिता दलवीर सिंह भी कुमाऊं रेजीमेंट केंद्र की 7वीं बटालियन में तैनात थे. 2004 में सेवानिवृत्त हुए दलवीर को सेना मेडल से भी नवाजा गया है.
बता दें कि, शहीद बृजेश रौतेला के पिता दलवीर सिंह ने बताया कि बृजेश ने 17 वर्ष 4 माह की उम्र में ही कुमाऊं रेजीमेंट की भर्ती में भाग लिया था और दौड़ पूरी कर ली थी. लेकिन 18 से कम की उम्र होने के कारण उन्हें तब लौटा गया था. उनके पिता का कहना है कि शहीद बृजेश भारतीय कमांडो बनना चाहते थे.