ख़बर उत्तराखंड से : केदारनाथ में घोड़ों-खच्चरों की मौत और यात्रा मार्गों पर अव्यवस्था को लेकर हाईकोर्ट सख्त, कमेटी गठित

ख़बर उत्तराखंड से: केदारनाथ में घोड़ों-खच्चरों की मौत और यात्रा मार्गों पर अव्यवस्था को लेकर हाईकोर्ट सख्त, कमेटी गठित

चार धाम यात्रा में स्वास्थ्य सुविधाओं के सुधार के लिए सरकार ने चार सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन कर दिया है। इस बीच हाईकोर्ट ने चारधाम यात्रा मार्गों पर अव्यवस्थाओं और केदारनाथ यात्रा के दौरान घोड़ों-खच्चरों की मौत के मामले में नाराजगी जताते हुए सुरक्षित यात्रा के लिए कमेटी बनाने के निर्देश दिए हैं।

चारधाम यात्रा में स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के लिए सरकार ने चार सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन निदेशक डॉ.सरोज नैथानी की अध्यक्षता में समिति बनाई गई है जो यात्रा मार्गों पर तीर्थयात्रियों को दी जा रही स्वास्थ्य सेवाओं का निरीक्षण कर सरकार को सुझाव देगी।
सचिव स्वास्थ्य राधिका झा ने इस संबंध में आदेश जारी किए हैं। समिति में दून मेडिकल कॉलेज के टीबी एवं चेस्ट विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ.अनुराग अग्रवाल, कॉर्डियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ.अमर उपाध्याय, हिमालयन मेडिकल कॉलेज जौलीग्रांट के मेडिसिन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.नवीन राजपूत सदस्य होंगे।

चारधाम यात्रा संचालन को एक माह का समय पूरा हो गया है। अब तक चारों धामों में 17 लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं, जबकि 148 यात्रियों की मौत हुई है। इसे देखते हुए सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं में और सुधार लाने के लिए चार सदस्यीय विशेषज्ञ समिति गठित की है।
जवाब दाखिल करने के निर्देश
चारधाम यात्रा मार्गों पर अव्यवस्थाओं और केदारनाथ यात्रा के दौरान घोड़ों-खच्चरों की मौतों के मामले में हाईकोर्ट ने चारधाम से संबंधित उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग व अन्य जिलाधिकारियों, पशुपालन विभाग और राज्य सरकार को दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। हाईकोर्ट ने सुरक्षित चार धाम यात्रा के लिए एक कमेटी गठित करने के निर्देश भी दिए हैं। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने देहरादून निवासी पशु प्रेमी गौरी मौलखी की याचिका पर सुनवाई के दौरान ये निर्देश दिए। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 22 जून की तिथि नियत की है।

अब तक करीब छह सौ घोड़ों खच्चरों की हो चुकी मौत
नैनीताल। देहरादून निवासी पशु प्रेमी गौरी मौलखी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि उत्तराखंड के तीर्थ स्थलों में 20000 से अधिक घोड़ों-खच्चरों का इस्तेमाल यात्रियों का सामान ढोने के लिए किया जा रहा है। इनमें से अधिकतर घोड़े-खच्चर बीमार हैं। बेजुबानों पर उनकी क्षमता से अधिक बोझ डाला जा रहा है। अब तक करीब 600 घोड़ों- खच्चरों की मौत हो चुकी है। यात्रा मार्ग पर इन घोड़ों-खच्चरों के स्वास्थ्य की जांच के लिए न ही पशु चिकित्सक हैं और न ही उनके लिए चारा, पानी व छप्पर की कोई उचित व्यवस्था है। यात्रा मार्ग पर आवश्यकता से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने के कारण धक्का लगने का खतरा रहता है। यात्रा मार्ग पर जहा-तहां जानवरों की लीद पड़ी रहती है। इस पर फिसलने से कई यात्रियों की मौत हो चुकी है। याचिकाकर्ता का यह भी कहना था कि यात्रा मार्ग पर जिन घोड़ों-खच्चरों की मौत हो रही है, उनके शवों को नदियों में फेंका जा रहा है। इससे नदियां दूषित हो रहीं हैं।

चार धाम में अब तक हुई तीर्थयात्रियों की मौत
धाम मृतक संख्या
केदारनाथ 66
बदरीनाथ 34
गंगोत्री 12
यमुनोत्री 36
कुल- 148

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