धामी सरकार 2.0 का एक साल: खींचतान से दूर रही राज्य सरकार, किसी भी मंत्री के दामन पर नहीं लगा दाग..
पुष्कर सिंह धामी सरकार के एक वर्ष का कार्यकाल पूरा होने के अवसर पर उनकी टीम के सदस्य, यानी मंत्रियों के कामकाज का आकलन भी स्वाभाविक है। पांचवीं विधानसभा के चुनाव में बड़े बहुमत से लगातार दूसरी बार सरकार बनाने में सफल रही भाजपा ने टीम धामी के रूप में आठ कैबिनेट मंत्रियों को मैदान में उतारा
धामी ने शुरुआती दौर में सभी मंत्रियों को 100 दिनी रोडमैप तैयार करने को कहा, लेकिन बाद में सशक्त उत्तराखंड की थीम पर विभागवार ऐसे लक्ष्य तय किए गए, जिन्हें वर्ष 2025 तक पूरा करने का संकल्प लिया गया है। आने वाले समय में इन लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में बनने वाले ठोस कदम ही कैबिनेट मंत्रियों के लिए अग्नि परीक्षा भी बनने जा रहे हैं
सरकार के लिए संतोष की बात यह है कि एक वर्ष के कार्यकाल में किसी भी मंत्री के दामन पर दाग नहीं लगा। अधिकारियों को लेकर मंत्रियों की छिटपुट शिकायतें या नाराजगी सामने तो आईं, लेकिन पिछली सरकारों की भांति इसने खींचतान का रूप नहीं धरा..
प्रेमचंद अग्रवाल: कई महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी संभाल रहे कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल टास्क मैनेजर की भूमिका में रहे। केंद्र से राज्य को जीएसटी प्रतिपूर्ति बंद होने के बाद राज्य जीएसटी बढ़ाने के लिए शुरू की गई मुहिम में कर विभाग को सफलता मिली। राज्य जीएसटी बढ़ा तो कोरोना संकट के चलते तीन वर्ष बाद सर्किल रेट बढ़ाकर राज्य के खजाने की स्थिति संभालने का यत्न किया गया।
शहरी विकास और आवास के अंतर्गत स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से लेकर ग्रीन और ब्राउन सिटी के निर्माण की आधार भूमि तैयार की जा चुकी है। बतौर विधायी एवं संसदीय कार्यमंत्री अब तक विधानसभा सत्र के दौरान फ्लोर मैनेजमेंट में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यद्यपि, पिछली विधानसभा अध्यक्ष के रूप में उनके कार्यकाल में विधानसभा में हुई नियुक्तियों को लेकर विवाद को लेकर लगभग बीते पूरे एक वर्ष तक राजनीतिक पर्यावरण गर्म रहा अब आने वाले समय में बतौर वित्त मंत्री राज्य सकल घरेलू उत्पाद को पांच वर्ष में दोगुना करने के संकल्प को पूरा करने में उनकी भूमिका चुनौतीपूर्ण रहने वाली है। साथ में 102 नगर निकायों की माली स्थिति में सुधार और नागरिक सुविधाओं के विस्तार के लिए भगीरथ प्रयासों की आवश्यकता है। प्रेमचंद अग्रवाल को इन मोर्चों पर जूझना होगा।
सतपाल महाराज: लोनिवि, पर्यटन, पंचायतीराज, संस्कृति, सिंचाई जैसे महत्वपूर्ण विभागों का जिम्मा है कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के पास। उनके एक वर्ष के कार्यकाल में सड़कों के निर्माण में तेजी आई है, लेकिन सड़कों को गड्ढामुक्त करने को पैचवर्क का कार्य अभी भी जारी है।जोशीमठ की आपदा का चारधाम विशेषकर बदरीनाथ धाम की यात्रा प्रभावित न हो, इसके लिए कदम उठाए गए हैं। पर्यटन के दृष्टिकोण से हिमालय दर्शन योजना प्रारंभ की गई है तो पैराग्लाइडिंग जैसी साहसिक गतिविधियों के लिए स्थल चिह्नित किए जा रहे हैं।.
उत्तराखंड की धामी सरकार का आज एक साल का कार्यकाल पूरा हो गया। इस दौरान सीएम धामी ने कार्यक्रम में अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनवाईं। वहीं सीएम ने कई घोषणाएं भी कीं। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने एक साल में कई कड़े फैसले लिए हैं। हमने जनता से किए वादों को धरातल पर उतारा हे.
सीएम धामी ने की ये घोषणाएं
प्रतियोगी परीक्षाओं में आने जाने में अभ्यर्थियों को किराए में 50% छूट।
कक्षा 6 से ही प्रतियोगी परीक्षा के लिए तैयारी करेंगे छात्र।
उत्तराखंड में साइंस एंड टेक्नोलॉजी पॉलिसी लाई जाएगी।
दूरस्थ क्षेत्रों के लिए लैब ऑन व्हील बनेगा।
हल्द्वानी के स्पोर्ट्स स्टेडियम में खेल विवि बनेगा।
स्नातक पास छात्रों के स्किल डवलपमेंट के लिए योजना शुरू होगी। जिससे युवा विदेशों तक जा सकेंगे।
250 आबादी वाले गांवों को मुख्य सड़कों से जोड़ा जाएगा।
जिला सेवायोजन कार्यालय को स्वरोजगार के नोडल के तौर पर भी जिम्मेदारी दी जाएगी।
दिवालिखाल से गैरसैंण तक की सड़क का चौड़ीकरण होगा।
लोकतंत्र सेनानी के निधन के बाद पेंशन उनकी पत्नी को दी जाएगी।
इगास बग्वाल को पहचान दिलाने के लिए समेकित रूप से नीति बनेगी।
लिए ये कड़े फैसले
महिला आरक्षण :
उच्च न्यायालय ने महिलाओं के सरकारी नौकरियों में 30 फीसद क्षैतिज आरक्षण के शासनादेश पर रोक लगाई। धामी सरकार ने कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। वहां से राहत मिलने के बाद कानून बना दिया।
आंदोलनकारियों का आरक्षण :
राज्य आंदोलनकारियों के 10 फीसद क्षैतिज आरक्षण का भी सरकार पर दबाव बना। सीएम धामी ने राजभवन से सात साल से लंबित पड़े विधेयक को वापस मंगवाया और कैबिनेट ने राज्य आंदोलनकारियों को आरक्षण देने का फैसला लिया।
धर्मांतरण पर रोक :
धामी सरकार में जबरन धर्मांतरण कानून को और अधिक सख्त बना दिया गया। इसमें 10 साल तक सजा का प्रावधान किया गया।
नकल विरोधी कानून :
प्रतियोगी परीक्षाओं में घपला सामने आने के बाद सरकार ने नकल विरोधी कानून बनाया और इसमें 10 साल तक की सजा और संपत्ति जब्त करने के कठोर प्रावधान किए।
विस बैकडोर भर्ती :
विधानसभा में बैकडोर से लगे 228 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया गया। स्पीकर के अनुरोध पर सरकार ने इसकी अनुमति दे दी