क्वी सुनदु मेरी खैरी क्वी गणदु मेरा दुख, कख होलु व यनु दगडया कख मिललू यानो गैल्या ! क्वी थामदो मेरु क्रोध क्वी देंदो मैंही सारो, क्वी बैठदो मेरा धोरा, मलासदो मेरी मुंडी क्वी फोन्जादो मेरा आंसू , ओर फिर मुख्यमंत्री की आंख मे आसू ,

वो 6 अगस्त की सुबह थी जिस दिन पूरी देवभूमि की आंखे रोई थी
माँ का कलेजा फटा था, हर आंख मैं आसुओ का सैलाब था
उस दिन ही टिहरी जिले के प्रतापनगर-कंगसाली-मदननेगी मोटर मार्ग पर बच्चों को लेकर स्कूल जा रहा मैक्स वाहन संख्या यूए 07क्यू 3126 अनियंत्रित होकर खाई में गिर गया था। ओर इस दुःखद हादसे मैं हमारे पहाड़ के मासूम नौ बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई थी जबकि एक बच्चे की अगले दिन इलाज के दौरान मौत हो गई थी दुःखद। इस दर्दनाक हादसे ने टिहरी से लेकर देहरादून तक की जनता को रुला डाला था और आज भी इस हादसे का जिक्र आते ही आँखे भर आती है हमारी तो
बता दे कि इस वैन में बच्चों सहित 22 लोग वाहन में सवार थे।
इस  हादसे के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने गहरा दुःख जताया था और त्रिवेंद्र सरकार ने तत्काल अधिकारियों को फटकार लगाई थी । पहली तत्काल जांच के बाद लापरवाही पर पिपलडली चौकी प्रभारी मयंक त्यागी सहित कांस्टेबल दुर्गेश कोठियाल को सस्पेंड कर दिया है। वहीं इसके साथ ही एआरटीओ एनके ओझा, उप खंड शिक्षा अधिकारी धनवीर सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया था।


क्योकि बात यहा पर स्कूल के मान्यता की ना होने की भी आ गई थी।ओर गाड़ी चालक की भी पूरी कमियां निकल आई थी
उसी दिन सबने रोते रोते अपने दिल पर पथर रखते हुए उन सभी मासूमो को टिहरी झील मैं समाधि दे डाली थी
तब से लेकर अभी तक कही राजनेता उन माता पिता का दर्द बाटने के लिए उस गाँव मैं जा चुके है कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने भी उस गाँव मैं जाकर उन सभी परिवार जनों से मिलकर दुःख जताया था ।


तो सभी क्षेत्रीय नेता लगातार हादसे के बाद उधर ही है
लेकिन इसके बाद भी टिहरी के वे लोग जिन्होंने अपनो को खोया है अपने लाड़लो को खोया है मासूम बच्चों को खोया है वो आज भी उनकी याद मैं रो रहे है
उनको याद करते ही उनकी आँखों मैं आंसू आ जाते है तो कुछ मा कहती है कि मेरी आँखों के सामने वो मासूम कह रहै थे कि ममी हमको बचाओ पापा हमको बचाओ ओर फिर वो मा रोने लगती है ।बहुत कठिन है इस हादसे को भूलना । उनके लिए तो असम्भव जिन्होंने अपने को खोया ओर उनके लिए भी जो रोज उनके सामने से आते जाते थे, हस्ते थे, खेलते थे, शैतानियां करते थे, उनकी याद आते ही हर किसी की आंखे भर आती है
वो तो कुछ कह नही पा रहै है पर
स्याद उनकी आँखें कुछ कह रही है ,गाव वालो की आँखे दर्द बया कर रही है


कि …………
क्वी सुनदु मेरी खैरी क्वी गणदु मेरा दुख, कख होलु व यनु दगडया
कख मिललू यानो गैल्या !
क्वी थामदो मेरु क्रोध
क्वी देंदो मैंही सारो,
क्वी बैठदो मेरा धोरा,
मलासदो मेरी मुंडी
क्वी फोन्जादो मेरा आंसू,
क्वी सुनदु मेरी खैरी
क्वी गणदु मेरा दुख,
क्वी सुनदु मेरी खैरी
क्वी गणदु मेरा दुख !!
कभी आउँदो मेरा मुखमा,


वही रविवार का पूरा दिन भी को
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पहले इस सड़क हादसे मैं घायल बच्चों के स्वास्थ्य की जानकारी लेने ओर उन्हें देखने एम्स अस्पताल पहुँचे जहा उन्होंने डॉक्टर और परिजनों से मासूम बच्चों के स्वास्थ्य सम्बंधित जानकारी जुटाई फिर डॉक्टर को दिशा निर्देश भी दिए ताकि उनके इलाज मैं कोई कमी ना रहे जिसके बाद
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत उस गाव पहुचे जहा की माताओ ने पिता ने अपने लाडलो को इस दर्दनाक हादसे मैं खो दिया जिनकी सख्या 10 है

जब मुख्यमंत्री टिहरी के कगसाली गांव मैं पहुचे तो सभी की आंखे नम थी ,ओर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र को देख ओर नम हो गई,
हर कोई अपने दर्द को बयां कर रहा था इस दर्दनाक हादसे मैं जिन मासूमो की ज़िंदगी चली गई उन बच्चों को मुख्यमंत्री ने श्रद्धांजलि अर्पित की व परिजनों को ढांढस बंधाया। बता दे के मृत बच्चों के परिजनों को जिला प्रशासन द्वारा 1-1 लाख रूपये का मुआवजा पहले ही दिया गया है इसकेअलावा मृतकों के परिजनों को एक-एक लाख रुपए की अतिरिक्त आर्थिक सहायता व घायलों को 50 हजार रुपए की अतिरिक्त मदद मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने प्रदान की साथ ही कहा कि इस हादसे के लिए जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जा रही है।
तो वही कुछ लोगो ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मृतकों के परिवार को 10-10 लाख और घायल बच्चों के उपचार के लिए पांच-पांच लाख की मांग की।
इस दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने उन सभी गाव के लोगो की बात को एक एक कर सुना
एक माँ रोते हुए बोल रही थी कि मुख्यमंत्री जी हमने अपना सब कुछ खो दिया , हमारे यहां के नेता सिर्फ वोट मांगने आते है , जब भी हमको मदद की जरुरत होती है तो कोई साथ नही देता, तो किसी ने मुख्यमंत्री का उनके बीच आने पर धन्यवाद जताया और कहा कि सर बस ये सिस्टम सुधार दो जब हम अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए निजी स्कूलों मैं पैसे दे सकते है तो फिर सरकारी स्कूल मे क्यो नही आप भी फीस बड़ा दो हम देगे पर ये सिस्टम सुधार दो,
कोई कह रहा था रोते रोते मुख्यमंत्री जी इंसाफ मिलना चाहिए दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले, तो किसी क्षेत्र के विद्यायक पर ही सवाल उठा दिए, उन सभी के दर्द को देख समझ कर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र की आंखे भी भर आईं ।जैसे तैसे मुख्यमंत्री ने खुद को रोकते हुए गढ़वाली मैं ओर कुछ हिंदी मैं बोलते हुए दुःख प्रकट किया साथ ही उनको विस्वास दिलाया कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी,इस बीच मुख्य्मंत्री भी कही बार भावुक हो गए ।
वही इसके बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने घनसाली विधानसभा के थार्ती गांव के आपदा प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया, सीएम रावत ने आपदा में मृतक के परिजनों से मुलाकात कर उन्हें सांत्वना दी। सीएम रावत ने अधिकारियों को निर्देश दिये किये आपदा में जिनका जो भी नुकसान हुवा है व उनकी
परिसंपत्तियों का वे जल्द से जल्द अपनी जांच कर आपदा पीड़ितों को उचित मुवाज़ा दे तो वंही पेयजल, बिजली, सड़क जैसी मुलभूत जरुरतो को जल्द से जल्द पूरा करे।
अब बोलता है उत्तराखण्ड कि है मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत जी हमारी टीम ने बताया कि आपके चश्मे के अंदर आज आपके आँसू छुप गए जो किसी को नज़र नही आये , पर हमने देखा कि आपने कैसे खुद को सभाला ,
आप भी जब टिहरी के गांव के लोग रो रहे थे, अपनी बात कह रहे थे ,जिस गांव ने अपने मासूमो को खो दिया जिस मा पिता ने अपने भविष्य की रोशनी को अंत होते देखा तो , उनकी बात मैं दर्द भी था और सिस्टम के प्रति गुस्सा भी , जब किसी के घर का चिराग बुझ जाता है तो उनका ये दर्द उफ आपने समझा , ओर कुछ लोग गुस्से मैं बहुत कुछ सामने नही तो बाद में बोलें भी है
ओर आखिर क्यों ना बोले वो अपनी जगह ठीक है वो मुख्यमंत्री जी उनका दर्द हम ओर सिस्टम कुछ दिन ही महसूस कर सकता है बाकी पूरी ज़िंदगी तो उनको ही पीड़ा होनी है
ये कड़वा सच है
बहराल इस सड़क हादसे को लेकर आपके राजनीतिक मित्र ( बढ़िया वाले ) इस मुद्दे को भुना कर आपकी छवि खराब करने का काम भी करेगे ओर कुछ ने आरम्भ भी कर दिया होगा
बस हम तो यही कहते है कि मुख्यमंत्री जी 10 मासूमो की दर्दनाक मौत पर राजनीति ना हो,
पैसे से किसी के घर के चिराग को वापस लौटाया नही जा सकता है ये भी कड़वा सच है
पर अगर आप चाहे तो उन सभी मासूम के परिजनों को सरकारी सिस्टम की आर्थिक सहायता को छोड़ ,उस परिवार की मदद ,सहयोग विभन्न सामाजिक सगठनों से करवा सकते है।
ओर हमको उम्मीद है कि आप वो रास्ता निकालेंगे जिससे उन लोगो के चेहरे पर वो पहले वाली मुस्कान तो नही लाई जा सकती ये कड़वा सच है पर उनके दर्द को कम इस हिसाब से कम किया जा सकता है कि हम आपके एक सन्तान की पढ़ाई लिखाई के लिए हम पूरा खर्च का इंतज़ाम खुद करेगे आपका बच्चा जो बन सकता है या इच्छा रखता है हम उसकी फीस का इंतज़ाम खुद करेगे ।
वो जिस क्षेत्र मैं जाए या सोच रखता है हम उसके साथ है।
और आप ये सोच रखते है , आपको भी बहुत दर्द है ये हम जानते है इसलिए आप सर जी उन की जितनी भी मदद जैसे भी हो जाये आप करोगे ये आप से हमारी उम्मीद है , विस्वास है।

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