
चारधाम यात्रा से पहले ज्योतिर्मठ को लेकर अलर्ट पर आपदा प्रबंधन, केंद्र से 3 साल का प्रोजेक्ट अप्रूव
देहरादून: उत्तराखंड का जोशीमठ अब ज्योतिर्मठ भू धंसाव और दरारों की वजह से सुर्खियों में आया. जहां अब पुनर्निर्माण और पुनर्विस्थापन को लेकर राज्य व केंद्र सरकार की तमाम एजेंसियां काम कर रही हैं, वहीं ज्योतिर्मठ को लेकर चारधाम यात्रा से पहले आपदा प्रबंधन विभाग अलर्ट पर है. ज्योतिर्मठ में चल रहे पुनर्निर्माण कार्यों को यात्रा के लिहाज से बेहद संवेदनशील माना जा रहा है. लिहाजा, पुनर्निर्माण के कार्यों पर तेजी लाने के निर्देश दिए गए हैं.
बता दें कि उत्तराखंड की चारधाम यात्रा में हर साल यात्रियों की संख्या बढ़ती जा रही है, तो वहीं बदरीनाथ धाम यात्रा के अहम पड़ाव जोशीमठ नगर जिसका अब सरकार ने नाम बदलकर ज्योर्तिमठ कर दिया है, यहां हिंदू धर्म के चार मठों में से उत्तर का महत्वपूर्ण ज्योर्तिमठ मौजूद है. इसके अलावा नृसिंह भगवान का मंदिर भी मौजूद है. लिहाजा, चारधाम यात्रा पर आने वाले यात्री अक्सर ज्योतिर्मठ में ठहरते हैं. बदरीनाथ धाम और हेमकुंड साहिब का यात्रा रूट होने की वजह से ज्योतिर्मठ पर भी यात्रियों का दबाव बढ़ जाता है. ऐसे में संवेदनशील ज्योतिर्मठ को लेकर आपदा प्रबंधन विभाग लगातार मॉनिटरिंग कर रहा है
ज्योतिर्मठ (जोशीमठ) नगर में भू धंसाव और पानी के रिसाव को लेकर केंद्र व राज्य की तमाम टेक्निकल एजेंसी की ओर से इन्वेस्टिगेशन की गयी थी. जिसकी फाइनल रिपोर्ट भारत सरकार को पूर्व में ही भेजी जा चुकी है. पुनर्निर्माण और पुनर्विस्थापन को लेकर अस्थायी तौर पर कार्य कर दिए गए थे तो वहीं स्थायी तौर पर नगर में जो बड़े काम होने हैं, उसको लेकर भारत सरकार को प्रस्ताव भेजे गए हैं, जिस पर हरी झंडी मिल गई है. जल्द ही धनराशि भी केंद्र की ओर से अवमुक्त कर दी जाएगी, ऐसी उम्मीद की जा रही है.
3 बार ग्राउंड पर जा चुके आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन: आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि डीपीआर यानी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट अप्रूव होने के बाद 3 बार वो खुद भी ग्राउंड जीरो पर गए हैं. चरणबद्ध तरीके से जो पुनर्निर्माण होना है, उसको लेकर रणनीति तैयार की गई है.
ज्योतिर्मठ नगर में जो बड़े काम होने हैं, उनमें पानी का रिसाव भी शामिल है. जहां से पानी का रिसाव हो रहा था, उसके लिए ड्रेनेज सिस्टम को तैयार किया जाना है. जिसके तहत ड्रेनेज प्लांट को ठीक किया जाएगा और जरूरत पड़ने पर उसे बढ़ाया भी जा सकता है. इसके अलावा जहां पर भू धंसाव हो रहा था, वहां पर ट्रीटमेंट होना है. स्लोप स्टेबलाइजेशन के भी काम अप्रूव हो चुके हैं. -विनोद कुमार सुमन, सचिव, आपदा प्रबंधन
इसके अलावा नगर के नीचे अलकनंदा नदी और मारवाड़ी ब्रिज के किनारे टॉप प्रोडक्शन यानी नदी के तटों को भी मजबूत किया जाना है. इसके साथ ही भवनों को जो नुकसान हुआ है, उनको भी अलग-अलग कैटेगरी में बांटा गया है, जिन भवनों में रेट्रो फिटिंग के जरिए बचाया जा सकता है, वहां पर रेट्रो फिटिंग होनी है. वहीं, कुछ रेड कैटेगरी के भवन हैं, जिनको पूरी तरह से ध्वस्त किया जाना है. -विनोद कुमार सुमन, सचिव, आपदा प्रबंधन
3 साल का है प्रोजेक्ट: आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि ये पूरे 3 साल का एक बड़ा प्रोजेक्ट है, जिसमें पूरे ज्योतिर्मठ नगर को सुरक्षित करना उसका उद्देश्य है, तो वहीं अभी चारधाम यात्रा को मद्देनजर रखते हुए जरूरी कार्य को किए जाएंगे, जिससे कि यात्रा पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े.
क्यों सुर्खियों में आया था ज्योतिर्मठ: दरअसल, साल 2022 के आखिर से उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ (अब ज्योतिर्मठ) में जमीनों में दरारें और भू धंसाव की खबरें आने लगी. यहां अचानक घरों पर दरारें पड़नी शुरू हो गई थी. कुछ समय बाद तो दरारें जमीन पर दिखने लगीं. सुरक्षा के मद्देनजर यहां दो बड़े होटलों को ध्वस्त किया गया.
काफी संख्या में लोग अपने आशियाने छोड़ने को मजबूर हो गए. जिन्हें राहत कैंप में शिफ्ट किया गया. ऐसा नहीं है कि ज्योतिर्मठ में ये स्थिति अचानक बनी थी, धीरे-धीरे ये सब हो रहा था, लेकिन सरकार और प्रशासन ने इस पर काफी देर बाद ध्यान दिया. तब तक ज्योतिर्मठ का एक बड़ा हिस्सा भू धंसाव की चपेट में आ चुका था.