बोलता उत्तराखण्ड आपको वो ख़बर बता रहा है जैसा अकसर आप नाटकों में किसी चैनल पर ये प्रोग्राम देखते तो आपके आंसू निकल आते है और दिल और दिमाग मे गुस्सा भर आता ये बात और ख़बर देहरादून से है जहां अब ये सवाल खड़े हो गए है कि यहा के कुछ अस्पताल नवजात बच्चों का सौदा कर रहे हैं? ओर सवाल ये भी खड़े ही गए है कि क्या देहरादून के अस्पतालों में से हो रही है मानव तस्करी? इन सवालों के जवाब तो जब गहन तहकीकात होगी तब पता चलेगा लेकिन अभी बहुत कुछ गैरकानूनी जरूर हो रहा है। बोलता उत्तराखण्ड आपको बता रहा है कि इस बात का खुलासा तब हुआ जब गौरव आहूजा द्वारा थाना डालनवाला में एक लिखित प्रार्थना पत्र दिया, जिसमें उनके द्वारा बताया गया कि दिनांक 08/07/2018 को उसकी गर्भवती पत्नी एकता आहूजा की तबीयत अचानक खराब हो जाने के कारण वो उसे चैतन्य हास्पिटल जी.एम.एस रोड ले गए। जहाँ आपरेशन के दौरान उनकी पत्नी ने एक लडकी को जन्म दिया। डाक्टरों द्वारा बच्ची की हालत नाजुक बताकर उसे वैश्य नर्सिंग होम को रेफर कर दिया गया।
इसके बाद गौरव द्वारा अपनी पुत्री को वैश्य नर्सिंग होम भर्ती करवाया गया, जहाँ पहले से ही एक और बच्चा भर्ती था। रात के समय वैश्य नर्सिंग होम के डाक्टरों ने गौरव को बताया कि उसका बच्चा सिरियस है तथा उसे अन्य जगह पर मशीन में शिफ्ट किया गया है।
अगले दिन सुबह लगभग 11 बजे डाक्टरों द्वारा बच्चे की हालत नाजुक बताकर उपचार की बात कही गयी। परन्तु थोड़ी देर बाद ही नर्स के द्वारा सूचित किया कि उसके बच्चे की मृत्यु हो गई है तथा उसने एक सफेद कपड़े में बच्चे के शव को लपेटकर रख दिया तथा बताया कि थोड़ी देर पश्चात उनका स्वीपर आयेगा और उसके साथ जाकर बच्चे के शव को दफना देना।
इस बीच गौरव द्वारा मांगने पर बच्चा नहीं दिया गया। लगभग दो घण्टे बाद स्वीपर के आऩे पर अस्पताल वालों द्वारा बच्चे का शव गौरव के पिता को दे दिया, परन्तु उसका चेहरा नही देखने दिया। बच्चे को दफनाने के पश्चात जब घर पहुंच कर गौरव ने घऱ आकर कागजात चैक किये तो वैश्य नर्सिंग होम के कागजों में बच्चे के लिंग के आगे एम( मेल) लिखा हुआ था। जिस सम्बन्ध में जानकारी लेने के लिए गौरव वैश्य नर्सिंग होम गया। लेकिन वैश्य नर्सिं होम ने जानकारी देने में आनाकानी की और अगले दिन आऩे की बात कही।
गौरव ने इस पर अस्पताल में लगे सी.सी.टी.वी फुटेज दिखाने की बात कही तो भी उसे टरका दिया। अब गौरव का शक यकीन में बदल गया था कि जरूर गड़बड़ की गई है इसलिए गौरव ने मृत बच्चे का डी.एन.ए टेस्ट कराने की मांग की।अगले दिन जब गौरव ने बच्चे को दफनाये गये स्थान पर जाकर देखा गया तो उक्त स्थान पर गढ्डा खुला हुआ था और बच्चे के डायपर व अन्य कपडे उक्त गड्डे में पड़े थे परन्तु बच्चे का शव गायब था। जबकि उस स्थान के सम्बन्ध में केवल गौरव व वैश्य नर्सिंग होम के स्टॉफ को जानकारी थी। जिस पर गौरव ने दोबारा बैश्य़ नर्सिंग होम पहुँचकर स्वीपर व अन्य स्टॉफ से जानकारी करनी चाही तो वे कोई संतोष जनक जवाब नही दे पाये। अस्पताल के सी.सी.टी.वी. चैक करने पर पाया गया कि कैमरों का समय व दिनांक से छेडछाड की गयी है। गौरव ने पुलिस में लिखाई गई रिपोर्ट में कहा है कि वैश्य नर्सिंग होम के डाक्टर वैश्य ने अपने स्टॉफ के साथ मिलकर जानबूझकर बदनीयती से धोखाधडी कर किसी साजिश के तहत उसकी बच्ची को पैसों के लालच में किसी अन्य को दे दिया तथा किसी अन्य के मृत बच्चे को मेरा बताकर उसके शव को दफना दिया। जब गौरव द्वारा डी.एन.ए. टैस्ट की बात कही तो पर शव को दफनाए गये स्थान से गायब कर दिया गया। आपको बता दे कि दून पुलिस ने इस मामले की जांच एसओजी को सौंप दी है। फिलहाल पूरे देहरादून की नज़र अब इस प्रकरण पर लगी है कि क्या हकीकत मे दूंन के अस्पतालों से मानव तस्करी हो रही है ओर अगर नही सब कुछ ठीक है कुछ हुवा नही तो सवाल यही है कि फिर उस नवजात की लाश वहां क्यो नही मिली जहा उसको दफनाया गया था उत्तरखंड पुलिस को पूरे मामले की जांच ईमानदारी से करनी होगी ताकि पूरा सच सामने आजाये